इरफ़ान का आख़िरी ख़त By Mayapuri Desk 28 Apr 2020 | एडिट 28 Apr 2020 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर अभी कुछ वक्त पहले ही तो पता चला था मुझे ये नया सा शब्द 'हाई-ग्रेड न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर' .मेरे लिए एकदम नया नाम. डॉक्टर प्रयोग करते रहे , इलाज करते रहे, लंदन अमेरिका और मुंबई, मैं इस नयी बीमारी के प्रयोग का हिस्सा बन गया था. डॉक्टर्स ने तो सांत्वाना भी दी थी कि मैं ठीक हो जाऊंगा, मैं वापस लौट भी आया था, मैं तो एक तेज़ रफ़्तार दौड़ती ट्रेन पर सवार था, जहां मेरे सपने थे, प्लान थे, महत्वकांक्षाएं थीं, उद्देश्य था , मैं पूरी तरह से व्यस्त था. … और तभी, अचानक किसी ने मेरे कंधे को थपथपाया, मैंने मुड़कर देखा. तो वह उस ट्रेन का टीसी था, उसने कहा, ‘आपकी मंजिल आ गई है, उतर जाइए.’ मैं हक्का-बक्का सा, जैसे झटका लगा हो। सोचने लगा ‘ मेरी मंजिल आ गई है 😳 नहीं नहीं, मेरी मंजिल अभी नहीं आ सकती ’ अभी 53 साल 3 महीने और 22 दिन ही तो हुए है। और अभी तो अम्मी उतरी थी पिछले स्टेशन पर। और मेरा स्टेशन पर इतनी जल्दी, नहीं यह नहीं हो सकता। लेकिन उसने कहा, ‘नहीं, यही है आपकी मंजिल, आपको यही उतरना है आपका सफर यंही तक.’ हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए जिंदगी ऐसी ही होती है. आप सोचते कुछ और है ,जिंदगी में होता कुछ और है। मीलों लंबी प्लानिंग अगले पल का पता नहीं। मैंने तो एक लंबी लिस्ट बनाई हुई थी, इसमें बॉलीवुड था, हॉलीवुड था, फ्रेंच सिनेमा था, Life of Pi , slumdog millionaire, Jurassic world Namesake थी, अभी हाल ही में तो अवेंजर्स का स्टार Ruffalo मिलने आया था, एक नये project के बारे में बात करने। बॉलीवुड में अंग्रेजी मीडियम हाल ही में रिलीज हुई थी, लाकडाउन में अभी हॉटस्टार पर आ भी गई थी। लेकिन.... सब.... रह गया कल जब मुझे बहुत तेज दर्द हुआ, तो पहले तो लगा करोना तो नहीं है, पर तेज़ दर्द से पिछले 2 सालों से मैं वाकिफ था, अब तक मैं दर्द को जान गया था और अब मुझे उसकी असली फितरत और तीव्रता का पता रहता था, दर्द में वैसे भी दिमाग काम नहीं करता है, न किसी तरह की हौसला अफजाई, ना कोई प्रेरणा …पूरी कायनात उस वक्त आपको एक सी नजर आती है – सिर्फ दर्द और दर्द का एहसास जो ईश्वर से भी ज्यादा बड़ा लगने लगता है. जैसे ही मैं हॉस्पिटल के अंदर जा रहा था मैं खत्म हो रहा था, कमजोर पड़ रहा था, उदासीन हो चुका था और मुझे किसी चीज का एहसास नहीं था। लेकिन मन नहीं मानता , दर्द के बीच में भी यह उम्मीद की लौ जलती है, लगता है कि बस चंद पल बाद लौटना है जिंदगी और मौत के खेल के बीच बस एक सड़क होती है, अस्पताल की निराशा के उलट सड़क पार ज़िन्दगी मुस्कराती दिखती है। हॉस्पिटल में निश्चिंतता कंहा होती है, नतीजे का दावा कौन कर सकता इस दुनिया में ? केवल एक ही चीज निश्चित है और वह है अनिश्चितता. मैं केवल इतना कर सकता था कि अपनी पूरी ताकत से अपनी लड़ाई लड़ूं. मैं लड़ा भी, लेकिन मौत यूं धोबी पछाड़ मारेगी, यह पता नहीं था। सफर खत्म होते होते, अलविदा कहने के वक्त कैफी साहब की नज्में अपने पर कुछ यूं याद आई रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई जैसे मैं गया ऐसे भी जाता नहीं कोई । आपका इरफ़ान #bollywood #Bollywood Update #Irrfan Khan #Irrfan Khan News #Actor Irrfan Khan death News हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article