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वेब सीरीज़ लिटिल थिंग्स के फैन्स को शो के रिलीज़ का जितना इंतजार था उतना ही दुख शो के खत्म हो जाने का भी हुआ। कारण है शो का खत्म हो जाना। अपने फेवरेट किरदार काव्या और ध्रुव को दोबारा न देख पाने का।
कहानी में क्या था-
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बढ़ते सीज़न के साथ साथ काव्या और ध्रुव दोनों काफी मैच्योर हो गए हैं। अब उनकी लड़ाई कम और बातें ज्यादा होने लगी है। इसका कारण क्या है। बढ़ती ऐज या फिर लोंग डिसटेंस में रहना। आइए देखते हैं।
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कहानी के 8 एपिसोड में दो पार्ट है। पहले 4 एपिसोड में ध्रुव और काव्या केरल में 14 महीने के लोंग डिसटेंस रिलेशनशिप के बाद फाइनली मिलते हैं। वहीं बाकी के 4 एपिसोड में वो मुंबई वापस आते हैं और एक बार फिर से लिविंग में रहते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली परेशानियों को जीतते एक दूसरे के साथ रहते हैं।
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केरल का ट्रिप काफी अच्छा रहा। 14 महीने अलग रहने के बाद काव्या को ध्रुव से कई गिले-शिकवे थे जो वो इस ट्रिप के दौरान दूर करती है। वहीं ध्रुव, काव्या को मैच्योरडली हैंडल करने की कोशिश करता है।
दोनों ये डिसकस करते हैं कि दोनों को एक दूसरे के बिना रहने की आदत हो गई थी, जो बिलकुल भी अच्छा नहीं था। जहाँ ध्रुव ने अपना काम इन्जॉय किया वहीं काव्या अपने पैरेंट्स के साथ रहना बिलकुल भी इन्जॉय नहीं कर रही थी। वो मुंबई जाना चाहती थी लेकिन ध्रुव से अपने दिल की बात न कह पाने की वजह से उससे काफी नाराज़ थी।
ट्रिप के बीच में कई बार दोनों को लड़ते देखा जा सकता है। इतने दिन अलग रहने पर जो एक दूसरे से शिकायत थी वो गुस्से के जरिए बाहर आती है। लेकिन ट्रिप एंड होते होते दोनों समझदारी से चीजें सोट आउट करते हैं।
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सीरीज़ में काव्या और ध्रुव की केमस्ट्री वैसी ही है जैसी आपने पहले भी देख रखी है। फाइट भी दोनों पहले जैसे ही करते हैं। हालांकि दोनों की कॉन्वर्सेशन में फर्क आया है। अब वो काम और डेली लाइफ में क्या चल रहा है उससे अधिक फेमली, शादी और बच्चो की बातें करते हैं।
वहीं जब ध्रुव और काव्या मुंबई वापस आते हैं तो नए चैलेंजेस को फेस करते हैं। काव्या 30 साल की हो गई है और ऐज बढ़ने के साथ साथ उसकी प्रॉब्लेम्स भी बढ़ती है जिसे वो और ध्रुव मिलकर फेस करते हैं।
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ध्रुव मुंबई आने के बाद अपने काम को उस तरीके से इन्जॉय नहीं करता है जैसे वो फिनलेंड में करता था। वो मुंबई वापस आने के फैसले को लेकर धोड़ा अपसेट होता है। वहीं काव्या अपने बैक पेन को लेकर ऑफिस न जा पाने को लेकर परेशान है।
सीरीज़ में कुछ चीजे जैसे पैरेंट्स को लेकर जो स्टीरियोटाइप था उसका टूटना नया लगता है। काव्या के मुश्किल समय में ध्रुव का साथ देना, गलतियाँ रियलाइज करना, उसे ठीक करना, ये सारी बातें सीज़न 4 को थोड़ा अलग और नया बनाती है।
बाकी चीजें कैसी रहीं
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एक्टिंग की बात करें तो यहाँ डिसएप्वाइंट होने का सवाल ही नहीं उठता। ध्रुव सहगल और मिथिला पाल्कर बेहतरीन कलाकार तो है ही वहीं अन्य कलाकारों ने भी अपना किरदार बखूबी निभाया। म्यूजिक की बात करें तो शो में नील अधिकारी ने म्यूजिक दिया है जो फ्रेश और इम्पैक्टफुल है। रुचिर अरुण का डायरेक्शन है जिसमें कोई कमी नहीं है।
क्या अच्छा नहीं लगा-
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बाकी सीज़न के मुकाबले सीजन 4 थोड़ी ठंडा है। कुछ चीजों के अलावा कहानी रिपीट लग रही है। बढ़ती उम्र के साथ होने वाली दिक्कतों पर ज्यादा फोकस किया गया है। ये सीरीज़ को नेगेटिव बनाता है।
सीजन का अंत, खत्म होता नहीं लगा। एक नई शुरूआत की फील के साथ सीजन का एंड होता है।
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