पारिवारिक रिश्ते, उनकी भावनात्मक स्थिति,सामूहिक घरौंदे में रह रहे अपनो की मार्मिक कहानी,दिखाती फ़िल्म गुलमोहर से एक्टर मनोज बाजपेयी का एक खास रिश्ता हैं. इस फ़िल्म को वो अपने परिवार की कहानी बताते हैं और यही गुलमोहर उन्हें बेलवा,बहौरि बिहार में स्थित उनके पुस्तैनी घर मे लेकर आ गया हैं.जहा मनोज बाजपेयी का पूरा बचपन बीता है. बरसों बाद अपने घर आकर मनोज बाजपेयी बहुत भावुक भी हो गए.
इस वीडियो को मनोज बाजपेयी ने अपने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए ,अपने बचपन की कुछ किस्से भी सुनाए. उनके पापा का बनाया हुआ घर, जहा सिर्फ दीवारें तो हैं लेकिन बचपन की वो मासूमियत गुम हो गयी हैं. जहा दीवारों पर इटो की धार तो दिख रही हैं पर रिश्तों की चमक कही खो गयी. जहा आ आंगन में चापाकल का पानी तो हैं पर बच्चे के लिए पानी लेकर आती हुई माँ खो गयी. काफी वक्त बाद मनोज अपने इस पुस्तैनी घर पर आए हैं जहाँ पहली बार उनका स्वागत करने के लिए उनकी माँ नही हैं.
मनोज ने रसोई से लेकर स्टोर रूम के उस अलमीरा की भी बात की जहा उनकी माता जी ,दही,पेढ़े और बर्फी रखा करती थी जिसे मनोज अक्सर चुराकर खाते थे.
मनोज बाजपेयी ने अपने घर मे मौंउद चापाकल को भी चलाया. अपनो के साथ उन्होंने इस पुस्तैनी घर पर एक पूजा भी की. साथ ही उन्होंने कहा कि, "कामकाज के चक्कर मे आदमी नया घर,नए शहर पहुच जाता हैं और घर मे कई यादें रह जाती हैं और जब हम इस घर मे पहुचते है तब बहुत यादें ताजा हो जाती हैं. गुलमोहर भी एक ऐसे ही घर कहानी हैं उसमें रहनेवाले लोगों की प्यारी कहानी हैं क्योंकि हर घर बनता हैं उसमें रहनेवालों लोगों के दिल से."
फ़िल्म गुलमोहर,पारिवारिक रिश्तों और उनके बीच के असमंजस और तालमेल की गहराई को दर्शाती हैं. फ़िल्म में मनोज बाजपेयी और शर्मिला टैगोर के अलावा अमोल पालेकर, सूरज शर्मा, और सिमरन मुख्य किरदार में हैं. राहुल चित्तेला द्वारा निर्देशित और राहुल चित्तेला और अर्पिता मुखर्जी द्वारा लिखित फ़िल्म गुलमोहर 3 फरवरी को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज की जाएगी.