मैक्स हेल्थकेयर ने किया डॉक्टर दिवस आयोजन, अदाकारा चित्रांगदा सिंह ने बढ़ाई शोभा By Mayapuri Desk 30 Jun 2019 | एडिट 30 Jun 2019 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर देश के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में प्रतिष्ठित मैक्स हेल्थकेयर ने डॉक्टर्स दिवस के अवसर पर आज मैक्स अस्पताल, साकेत में पूरे दिन का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। यह ‘संपूर्ण जीवन आनंद’ की खुशियां मनाने का अवसर था। इस विशेष प्रोग्राम ‘दस में दस - लीवर ट्रांस्प्लांट के बाद जिन्दगी’ में एक दशक पूर्व लीवर ट्रांस्प्लांट करा चुके 100 से अधिक मरीजों और उनकी देखभाल करने वालों ने भागीदारी की। लीवर ट्रांस्प्लांट के बाद इन मरीजों ने स्वस्थ जीवन का आनंद लिया है। चुने हुए कुछ मरीजों ने इस जानलेवा बीमारी पर जीत हासिल करने की अपनी कहानी सुनाई ताकि ऐसे अन्य मरीजों का जीवन के प्रति उत्साह बना रहे। मैक्स हेल्थकेयर की लीवर बिलियरी साइंसेज़ टीम ने जाने-माने लीवर ट्रांस्प्लांट सर्जन डॉ. सुभाष गुप्ता के नेतृत्व में यह आयोजन किया। डॉ. गुप्ता ने 20 से अधिक वर्षों पूर्व भारत/ दक्षिण एशिया में लीवर ट्रांस्प्लांट की शुरुआत की थी। इस अवसर की विशिष्ट भोभा बनीं सुश्री चित्रांगदा सिंह लीवर ट्रांस्प्लांट के बाद मरीज के जीवन में गुणात्मक सुधार देख चकित रह गईं। उन्होंने मैक्स के उत्कृष्ट क्लिनिकल कार्य की सराहना की और चिकित्सकों की टीम को बधाई दी। इस अवसर पर मोहन फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक सुश्री पल्लवी कुमार भी उपस्थित थीं। उन्होंने अंग दान की अहमियत बताई और लोगों को आगे बढ़ कर यह नेक काम करने के लिए उत्साहित किया। मनुष्य के शरीर में लीवर का बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। हालांकि पिछले कई वर्षों से भारत में लीवर की बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है। जीवनशैली का बदलना, मोटापा, डायबीटीज़ का प्रकोप, शराब की आदत खास तौर लीवर की बीमारी को महामारी का रूप दे रहे हैं। हालांकि आज असरदार हेपेटाइटिस बी वैक्सीन उपलब्ध है और हेपेटाइटिस सी का भी इलाज है। लीवर फेल्यर की वजह लीवर के कार्य में तेज गिरावट आना है। इसमें लीवर का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है। जल्द पता लगने और मरीज के जीवन में संयम रखने पर अधिकांश मामलों पर काबू पाया जा सकता है लेकिन बहुत देर हो जाने पर और केवल लीवर ट्रांस्प्लांट का विकल्प बचने पर जल्द राहत के लिए डॉक्टरों की अनुभवी टीम से संपर्क करना होगा। एक दशक पहले ‘लीवर ट्रांस्प्लांट’ एक असंभव और भयानक सर्जरी मानी जाती थी पर आधुनिक तकनीक, बेहतर कौशल, उच्च स्तरीय क्लिनिकल विशेषज्ञता, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, वैश्विक अनुभव और ज्ञान के आदान-प्रदान और मरीजों को नया जीवन देने के लिए अधिक संख्या में अंगदान करने वालों की वजह से आज लीवर ट्रांस्प्लांट आसान हो गया है। इस अवसर पर ऐसे 100 से अधिक मरीजों का एकत्र होना इसका प्रमाण है कि चिकित्सा विज्ञान की आधुनिकता और व्यक्तिगत इच्छा शक्ति के तालमेल से मरीजों के लिए लीवर ट्रांस्प्लांट जैसी जटिल और जोखिम भरी सर्जरी के बाद संपूर्ण जीवन का आनंद लेना मुमकिन है। सर्जरी इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाता है कि समय से लीवर ट्रांस्प्लांट कर मरीज को सिरॉसिस से बचाया जा सकता है। इस आयोजन के बारे में बोलते हुए डॉ. सुभाष गुप्ता, चेयरमन - लीवर एवं बिलियरी साइंसेज़, मैक्स सुपर स्पेशियलीटी हॉस्पीटल, साकेत ने कहा, ‘‘ लीवर ट्रांस्प्लांट के बाद इतने सारे पुराने मरीजों का बेहतर जीवन देख बहुत प्रसन्नता होती है। इस अवसर पर मैं लोगों से आग्रह और अपील करता हूं कि मृत्यु के बाद अंगदान की शपथ लें ताकि अधिक से अधिक मरीजों का ट्रांस्प्लांट किया जा सके। मैं इन मरीजों और सबसे बढ़ कर उनके परिवारों और दोस्तों के साहस का सम्मान करता हूं जिन्होंने अंगदान कर अपनों को नया जीवन दिया।’’ इस आयोजन पर बॉलीवुड अदाकार चित्रांगदा सिंह ने कहा, ‘‘मैं इन मरीजों से मिल कर आश्चर्यचकित हूं क्योंकि मैं अब तक यही सोचती थी कि लीवर सिरॉसिस के बाद मरीज की जल्द ही मृत्यु तय है। ट्रांस्प्लांट के बाद कैसे नई जिन्दगी मिलती है यह देख मैं दंग हूं। लेकिन यह जरूरी है कि हम लीवर की बीमारियों की रोकथाम के लिए कुछ आसान उपाय करें जैसे ज्यादा शराब नहीं पीना, संतुलित आहार लेना और नियमित व्यायाम करना।’’ Chitrangada Singh मरीज और उनकी सोच मुंबई के जाने-माने चिकित्सक डॉ. अनिल नंद लाल सूचक ने बताया, ‘‘2007 में सीएलबीएस टीम ने मेरा लीवर ट्रांस्प्लांट कर मुझे आभारी बना दिया। इसके बाद मेरी जिन्दगी सामान्य हो गई और मैं आज भी एक्टिव हूं। पिछले कई वर्षों में मैं ने कई अन्य सावधानियां बरती है क्योंकि मुझे आजीवन इम्यूनो सप्रेसेंट लेना है जिसका अर्थ यह है कि मुझे संक्रमित करने वाले मरीजों से बच कर रहना है। हालांकि मैं फिर सभी सीपीआर, इंट्युबेशन और अन्य गंभीर उपचार करता हूं क्योंकि मैं ने अपने मरीजों की देखभाल का जीवन भर का वादा किया है। मुझे संयोग से लीवर डोनर मिल गया पर लीवर की जानलेवा बीमारी के 90 प्रतिशत से अधिक मरीजों के पास मृत्यु के सिवा कोई विकल्प नहीं होता है। इसलिए हम सभी आगे बढ़ कर अपना-अपना योगदान और मरीजों को नई जिन्दगी दें। मुझे इस अवसर पर यह संदेश देना है कि लीवर की बीमारी (अंतिम स्थिति) जीवन का अंत लग रहा हो पर यह सच नहीं है और मैं इसका जीता जागता उदाहरण हूं।’’ श्री अशोक पंत कुमार, पूर्व शिक्षा अधिकारी ने कहा, ‘‘मैं पाचन में कमी, जांडिस की गंभीर समस्या (दो बार), बार-बार बीमार पड़ने, अक्सर मरोड़ की समस्या, त्वचा काला और अनावश्यक थकान की समस्या के निदान के लिए चिकित्सक से मिला। मुझे यह अहासास बिल्कुल नहीं था कि ये हेपेटाइटिस सी के आरंभिक लक्षण हैं। इसके बाद सीएलबीएस टीम की देखभाल में जनवरी 2008 में मेरा लीवर ट्रांस्प्लांट किया गया। ट्रांस्प्लांट के समय मेरे लीवर का लगभग 85-90 प्रतिशत हिस्सा बेकार हो गया था। मेरे छोटे बेटे शिवाशीष (18$) ने लीवर डोनेट किया और मैं हमेशा उसका आभारी रहूंगा। मेरे जीवन के पिछले 11 वर्ष बहुत खूबसूरत रहे हैं और मैं निरोग रहा हूं। यह मेरी खुशनसीबी है कि मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं जो आज गिनती के लोग दावे के साथ अपने बारे में कह सकते हैं।’’ श्री अनिल लमसाल, एक सफल फिल्म निर्माता और ट्रैवेल एजेंट ने बताया, ‘‘नेपाल में मैंने जिस डॉक्टर से पहले दिखाया उसने विल्सन डिजीज़ के परिणामस्वरूप मेरे लीवर बेकार होने की वजह से मेरे केवल 10 दिन बचने की बात बताई। हालांकि सीएलबीएस टीम ने उम्मीद जगाई और मुझे संपूर्ण जीवन का भरोसा दिया और डॉक्टर ने अपना वादा पूरा किया। रिकवरी के बाद मैं स्वस्थ हो गया जिसकी मुझे बेहद खुशी थी। पिछले कुछ वर्षों में मेरी जीवनशैली बिल्कुल बदल गई है। आज मैं अपनी सेहत और स्वच्छता के प्रति बहुत सावधान हूं।’’ चांदनी पाल के पिता दशरथ पाल ने बताया, ‘‘मेरे पहले बच्चे की विल्सन डिजीज़ से मृत्यु के बाद मैं टूट गया था लेकिन चांदनी को भी यही बीमारी होने का पता चला तो मैंने उसका हर मुमकिन इलाज कराने का निर्णय लिया। 15 वर्ष पहले जब भारत में लीवर ट्रांस्प्लांट शुरू हुआ था मैं ने मेरे लीवर का एक हिस्सा अपनी बिटिया को देने की ठान ली। सर्जरी कितनी कठिन या जटिल थी मैंने इस पर सोचा भी नहीं।’’ लेकिन चिकित्सा विज्ञान के अत्याधुनिक होने से ऐसे चमत्कार हो रहे हैं जो केवल ऊपर वाले के हाथ था जबकि आज चिकित्सक इसे अंजाम दे रहे हैं। हम सदैव उनके आभारी रहेंगे। हम जिन्दगी के प्रति इस उत्साह की सराहना और सम्मान करते हैं। इन मरीजों के साहस के आगे नतमस्तक हैं और भविष्य में उनके सुखी जीवन की मंगलकामना करते हैं। #bollywood news #bollywood #Bollywood updates #television #Telly News #Chitrangada Singh #Doctors Day हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article