डॉक्टर रामानंद सागर कृत मेगा धारावाहिक एक वो मिसाल है, कला जगत में, जो सूरज और चन्द्रमा की तरह सिर्फ एक ही बनी है By Sulena Majumdar Arora 24 Jun 2023 | एडिट 24 Jun 2023 12:46 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर बहुप्रतीक्षित बॉलीवुड फिल्म **आदिपुरुष**, जो हिंदू महाकाव्य रामायण का एक नाटकीय पुनर्कथन है, पिछले सप्ताह रिलीज होने के बाद से ही आलोचकों और दर्शकों द्वारा समान रूप से तीखे प्रतिक्रिया का सामना कर रही है। हालांकि फ़िल्म मेकर्स ने आपत्तिजनक डायलॉग्स को संशोधित कर लिया है और डैमेज रिपेर, ऑपरेशन वगैरह करके इस नए पैच कप वाले आदिपुरुष को फिर से अपने पांवों पर खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन डैमेज इज़ ऑलरेडी डन। विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। फिल्म अपनी विवादास्पद पंक्तियों और खराब दृश्य प्रभावों के कारण आलोचना का शिकार हो गई है और पूरे भारत में इस फ़िल्म को लेकर एक जलजला सा उमड़ आया है। उत्सुकता से इंतज़ार करते भारतीय दर्शकों का गुस्सा सातवें आसमान पर है कि वे क्या देखना चाहते थे, अपने बच्चों को क्या दिखाना चाहते थे और उन्हे क्या परोसा गया? एक तरह से दर्शक अपने आप को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। एक वो रामायण था जो आज से छत्तीस वर्ष पहले दिग्गज फ़िल्म मेकर और इलेक्ट्रॉनिक जमाने के संत तुलसीदास माने जाने वाले डॉक्टर रामानंद सागर द्वारा दूरदर्शन में प्रस्तुत किया गया था, जिसे देखने के लिए पूरी दुनिया ठहर गई थी, सड़के सूनी, दुकाने बंद, यहां तक कि नेता, राजनेता, मंत्री, महामंत्री सभी अपना अपना काम रोककर रामायण सीरियल देखने के लिए अपने अपने घरों में रुक जाते थे। पाकिस्तान से लेकर चीन, जैसे हमारे देश के हरिफों तक भी रामानंद सागर कृत रामायण को देखने के लिए अपने टीवी सेट से चिपक जाते थे। रामानंद सागर की इस दैविक, अलौकिक, पवित्र, अमर कृति मेगा धारावाहिक 'रामायण' की महिमा भारत की सीमा से बाहर कुछ इस प्रकार दिगदिगंतर में छा गया था कि दुनिया राममय हो गई थी। और आज जब फिर से 'आदि पुरुष' के रूप में रामायण बनी तो उसे देखकर हर भद्र भारतीय का गुस्सा फूट पड़ा है। कुछ लोगों का तो मानना है कि फिल्म के कई विवादास्पद डायलॉग जैसे "मरेगा बेटे", "बुआ का बगीचा हैं क्या", "जलेगी तेरे बाप की" निर्माताओं ने इसे जानबूझकर जोड़ा था, फ़िल्म को लेकर हलचल मचाने के लिए। लेकिन यह हलचल उल्टा तीर चलाएगा और इस फ़िल्म से जुड़े हर शख्स इसके निशाने पर आ जाएगा यह कौन जानता था। खराब वीएफएक्स को लेकर भी फिल्म को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। आदिपुरुष, जो रामायण की एक नाटकीय रीटेलिंग है, का निर्देशन ओम राउत ने किया है। इस विषय पर बात करते हुए डॉक्टर रामानंद सागर के सुपुत्र, मशहूर फ़िल्म तथा टीवी एंड वेब सिरीज़ के निर्माता निर्देशक, गोल्ड मेडलिस्ट सिनेमाटोग्राफर श्री प्रेम सागर ने कहा, " इस तरह की फ़िल्म ना मैं देखता हूँ ना देखूँगा। मेरे विश्वास में फ़िल्म के संवाद लेखक और फ़िल्म के मेकर हिंदू धर्म के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। मुझे समझ नहीं आता कि उन्होंने फिल्म में ऐसे संवादों की कल्पना कैसे की। हो सकता है कि उन्हे यह गलतफहमी हुई हो कि आज की पीढ़ी इस तरह के संवाद खूब पसंद करेंगे। यह एक गलतफहमी हो सकती है। लेकिन ऐसा अनुमान लगाना कतई उचित नहीं। आप आज की पीढ़ी को नहीं समझ पाए हो, वे बहुत समझदार, बहुत जानकार है। आज उनकी मुट्ठी में दुनिया है। वे चुटकी में सब पता कर लेते हैं। वे भारत के हर ग्रंथ, हर पौराणिक कथाओं, हर वेदों को उसके सच्चे स्वरूप में जानना चाहते हैं या जानते हैं। उन्हे आप बेवकूफ़ नहीं बना सकते। जिस तरह से आपने पवित्र रामायण को अलग कलेवर देकर दर्शकों को आकर्षित करने के लिए प्रस्तुत किया है, ऐसा आप नहीं कर सकते। ऐसा डायलॉग नहीं परोस सकते जो सत्य ही नहीं है। यह मत कहो कि यह वाल्मीकि रामायण पर आधारित है, इसे कोई और नाम दो। इसे एक फंतासी फिल्म करार दो । लेकिन अगर आप रामायण बना रहे हैं तो आप किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकते। लोग इसे श्रद्धा से देखते हैं। मैं यह नहीं कहता हूँ कि कला के क्षेत्र में किसी कृति में थोड़ी बहुत बदलाव की गुंजाइश नहीं है। मेरे पिताश्री ने भी कई जगह कलात्मक चेंज किया था लेकिन वो बहुत गहरी शोध और गहरी चिंतन के बाद किया था, वेद पुराण को रात रात जागकर, पूरा कंठस्थ करने के बाद किया था। रामायण को अलंकृत करने के लिए किया था जिसे देखकर दर्शक भाव विभोर हो गए।" प्रेम सागर जी ने यह भी कहा, "मैंने आदिपुरुष फिल्म नहीं देखी है , देखना भी नहीं है, बस विवाद किन बातों पर है इसके लिए कुछ क्लिप देखे हैं और सुनील लहरी (जिन्होंने रामानंद सागर की 'रामायण' में लक्ष्मण की भूमिका निभाई थी) जैसे लोगों के साथ काफी बातचीत की है, इसलिए समझ पाया कि कुछ समस्या जरूर है। मैं ऐसी फिल्में देखना भी नहीं चाहता हूं। रामायण को सही स्वरूप में जानने वाले ज्ञानी जन जानते हैं कि रावण बहुत ज्ञानी था। आप सोने की लंका को काला नहीं दिखा सकते और रामायण के पात्रों का पौराणिक लुक नहीं बदल सकते। लेकिन खैर, मुझे इस बात की खुशी है कि आखिर फ़िल्म मेकर्स को अपनी गलती का एहसास हो गया है और यह एहसास अपने आप में बहुत बड़ी बात है। अब प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों हुआ, या ऐसा क्यों किया गया, मुझे नहीं पता कि इस बार क्या हुआ। हो सकता है कि कभी-कभी प्रकृति कुछ ऐसा घटित कर देती है कि बुद्धि विचलित हो जाती है।" दिव्य आत्मा डॉक्टर रामानंद सागर जी की अतुलनीय कृति धारावाहिक 'रामायण' एक वो मिसाल है, कला जगत में, जो सूरज और चन्द्रमा की तरह सिर्फ एक ही बनी है, द्वितीयो नास्ति, ना भूतो, ना भविषयति। विवादास्पद संवादों के अलावा, फिल्म को खराब दृश्य प्रभावों को लेकर भी आलोचना का सामना करना पड़ा है। कई दर्शकों ने फिल्म में कंप्यूटर जनित इमेजरी (सीजीआई) के उपयोग की आलोचना की है और वीएफएक्स में कई गंभीर त्रुटियों की ओर इशारा किया है। फिल्म के मेकर्स ने यह तर्क देते हुए फिल्म का बचाव किया है कि वे कहानी में पात्रों की भावनाओं का प्रतिबिंब थे और विवादास्पद पंक्तियों को फ़िल्म से बाहर कर दिया गया है और उन्होंने यह भी कहा कि वीएफएक्स पर काम चल रहा है और फिल्म के अंतिम संस्करण में दृश्यों में सुधार होगा। निर्देशक के दावों के बावजूद, कई प्रशंसक और आलोचक असहमत हैं, कई लोगों ने फिल्म के बहिष्कार का आह्वान किया है। अब यह देखना बाकी है कि क्या ये बदलाव आलोचकों की चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त होंगे या नहीं? 'आदिपुरुष' से जुड़े विवाद ने राजनीतिक ध्यान भी खींचा। विभिन्न राजनीतिक हस्तियों और संगठनों ने फिल्म के समर्थन या विरोध में बयान दिए, जिससे विचारों का ध्रुवीकरण और बढ़ गया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मनोरंजन उद्योग में विवाद असामान्य नहीं हैं, और ऐसे मामलों पर राय काफी भिन्न हो सकती है। फिल्म निर्माताओं को अक्सर रचनात्मक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक संवेदनशीलता और दर्शकों की अपेक्षाओं के बीच संतुलन बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। "आदिपुरुष" की प्रोडक्शन टीम सक्रिय रूप से जनता के साथ जुड़ना चाहती है और फिल्म से जुड़े विवाद को कम करने के लिए काम कर रहे हैं। कई लोगों ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। आदिपुरुष विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। देवताओं का उपहास करने वाली फिल्म को बिना किसी आपत्ति के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से मंजूरी कैसे मिल गई? धारावाहिक रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल कहते हैं, “रामायण से आप छेड़-छाड़ ना करें। हम नहीं चाहते कि कोई हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ करे। मेकर्स डायलॉग्स को रिवाइज कर रहे हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि लोग आगे रिएक्ट करें। पर जिन लोगों ने फिल्म पहले ही देख ली है, वो दोबारा देखेंगे क्या?” इस एतिहासिक कामयाबी हासिल कर चुकी धारावाहिक 'रामायण' में सीता की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका चिखलिया ने कहा, “नुकसान पहले ही हो चुका है। ऐसी फिल्म को सेंसर बोर्ड ने कैसे मंजूरी दे दी, यह जरूर सोचने वाली बात है। मुझे लगता है कि लोगों को अब रामायण का रीमेक बनाना बंद कर देना चाहिए। हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article