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Meghna Gulzar Birthday: गुलज़ार और मेघना गुलज़ार जब मेरे वकील बने थे

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By Ali Peter John
Meghna Gulzar Birthday: गुलज़ार और मेघना गुलज़ार जब मेरे वकील बने थे
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अगर मैं चाहता तो मुझे विवादों और गॉसिप किंग के रूप में जाना जा सकता था. मेरा दावा है कि मैं हिंदी फिल्मों की दुनिया के बारे में उन कहानियों और उन लोगों से ज्यादा जानता हूं, जिन्हें गॉसिप की कहानियों का स्वामी माना जाता है. लेकिन, मुझे नहीं लगता कि मेरा जीवन इस लायक होता जो आज है अगर मैं वही करता जो दूसरों ने केवल कुछ रुपयों के लिए किया था. क्या मैं स्टार्स, सुपरस्टार और दिग्गजों के जीवन के रहस्यों के बारे में खुले तौर पर बात कर पाउँगा? जो मेरे पास पिछले 50 वर्षों से बंद हैं और मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी ऐसा करूंगा. मेरे पास अनियोजित और अनजानी कहानियों का अपना एक हिस्सा है और वे ऐसी एक या दो कहानियाँ हैं. यह एक ऐसी कहानी है जिसे मैं बिना किसी को नुकसान पहुंचाए या चोट पहुंचाए आपके साथ शेयर कर सकता हूं.

राखी गुलज़ार अपने पति से अलग हो गई थीं और अपनी बेटी ‘बोस्की’ यानि मेघना के साथ अपने बंगले, "मुक्तांगन" में रह रही थीं.

मुझे एक दोपहर में राखी से बात करने का अवसर मिला और सबसे प्रसिद्ध नामों की तरह, वह भी मुझसे बात करते हुए खुल गई थी और उन्होंने भी मुझे अपने अतीत के बारे में कुछ रोचक बातें बताईं थी.

उन्होंने मुझे बताया था कि कैसे उन्होंने महान अभिनेत्री संध्या रॉय की जूनियर असिस्टेंट के रूप में अपना जीवन शुरू किया था और कैसे वह उनका बैग और मेकअप की टोकरी भी कैर्री किया करती थी. उन्होंने मुझसे निर्देशक अजोय बिस्वास से अपनी पहली शादी के बारे में भी बात की थी और मुंबई और अजोय के लिए अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए वापस जाने के साथ यह कैसे समाप्त हो गया था इस बारे में मुझे बताया था.

मैं उनकी पूरी कहानी लिख सकता था जैसा उन्होंने मुझसे बताया था, लेकिन मैंने केवल मानवीय पक्षों का चयन किया जो इसे बनाने के लिए उनका संघर्ष था. और मैंने अपने कॉलम अली के नोट्स में उनकी कहानी लिखी, जिसके परिणाम का मुझे सामना करना पड़ा.

यह "स्क्रीन" में मेरे लेख के प्रकाशित होने के बाद का दूसरा दिन था और उनके वकील श्री देशमुख ने मुझे नोटिस भेजा था. हालांकि मुझे इस तरह के नोटिस प्राप्त करने की आदत नहीं थी और खुलकर कहू तो मैं तब घबरा गया था. उस नोटिस में मुझ पर यह क्लेम लगाया गया था की मैंने हर दिन कहानी गढ़ी थी और मैं अपने मैनेजमेंट के साथ एक ट्रैप में था और उन्होंने मुझे राखी से माफी मांगने के लिए कहा था लेकिन मेरी अंतरात्मा ने मुझ से कहा था कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और मैंने केवल वही लिखा था जो राखी ने मुझे बताया था.

राखी द्वारा मुझे मिले नोटिस की कहानी धीरे-धीरे हर तरफ फैल गई थी और मेरे अपने एडिटर जो राखी के प्रिय मित्र थे और मेरे सहयोगी मुझे ऐसे देखते रहे जैसे कि मैंने कोई बड़ा अपराध किया हो.

मेरी रातों की नींद और दिन का चैन सब ख़तम सा हो गया था और मैं अपनी रेप्यटेशन को पाने के तरीके खोजने की कोशिश करता रहा था, जिसे मैंने बहुत मेहनत और ईमानदारी के साथ बरसों बाद हासिल किया था, लेकिन मुझे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था. वह ऐसे दिन थे जब मैं राखी की एक झलक पाने के लिए "मुक्तांगन" के बाहर खड़ा था और उसे अपनी स्थिति समझाने की कोशिश करने की कौशिश में था, लेकिन मेरे द्वारा बनाई गई यह योजना भी विफल रही थी.

मैं गुलज़ार और राखी के बीच के रिश्ते को जानता था, लेकिन मुझे यह भी पता है कि वे कभी कभी रात के खाने के लिए एक दुसरे से मिलते थे. मैं बोस्क्याना में गुलज़ार के दफ्तर पहुंचा और उन्हें राखी और मेरे साथ हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे के बारे में सब कुछ बताया. गुलज़ार ने मुझे सुना वह तब अपनी पसंदीदा हरी चाय (ग्रीन टी) पी रहे थे और थोड़ी देर बाद, गुलज़ार ने मेरी ओर देखा और कहा, “मैंने किसी के लिए ऐसा कुछ नहीं किया होगा कभी, लेकिन आप मुझे प्रिय हैं और मैं आपके लिए इसे करूंगा. आज रात मैं मेघना और राखी के साथ रात का खाना खाने जा रहा हूँ और मैं आपके मामले को उनके सामने रख दूंगा और बाकी आपकी किस्मत और भगवान पर निर्भर है.”

उनसे बात करके मुझे थोड़ी राहत मिली, लेकिन मैं फिर भी तनाव में था. अगली सुबह, गुलज़ार ने मुझे बोस्क्याना बुलाया और मेरे साथ अपनी ग्रीन टी का एक गिलास पिते हुए, उन्होंने मुझसे कहा, “तुम्हारी दरख्वास्त (केस) ख़ारिज किया गया है, अब नीद ख़राब करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी तुम्हे.” मुझे ऐसा लगा जैसे मैं एक घोर अपराधी था जिसे तिहाड़ जेल से मुक्त कर दिया गया था.

अगली दोपहर मैं राखी के पीछे बैठा था और हम प्रमोद चक्रवर्ती की फिल्म ‘पुलिस फोर्स’ का एक ट्रायल शो देखने वाले थे, जिसमें वह अक्षय कुमार की मां की भूमिका निभा रही थीं. और उन्होंने अचानक से तब मुझे बहुत ही आश्चर्यचकित कर दिया जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा और मुझसे कहा, “अभी तो हम दोस्त है, क्या कमाल के वकील थे तुम्हारे, उनके सामने तो मुझे हारना ही था.”

एक और समय था जब एक व्यापार पत्रिका के संपादक जो गुलज़ार के साथ "लिबास" बना रहे थे, और निर्देशक मेरे साथ गंदी ट्रिक्स प्ले करने की कोशिश कर रहा था और तब भी गुलज़ार मेरे बचाव के लिए और वह मेरे लिए तब तक लड़े थे, जब तक मैं जीत नहीं गया था.

काश वो दिन वापस आते और हमारी दोस्ती वैसे ही रहती जैसे उन दिनों में हुआ करती थी, काश.

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