बर्थडे स्पेशल: जानिए, आरडी बर्मन से कैसे 'पंचम दा' बने सुरों के ये बादशाह ? By Sangya Singh 26 Jun 2018 | एडिट 26 Jun 2018 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर हिंदी संगीत को सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले पंचम दा यानी आर.डी.बर्मन का आज जन्मदिन है। पंचम दा एक ऐसी शख्सियत थे कि वह बारिश की बूंदों से भी संगीत पैदा कर देते थे। उन्हें म्यूज़िक में ऐक्सपेरिमेंट करना बेहद पसंद था। आपको यकीन नहीं होगा कि 'चुरा लिया है तुमने' गाने के लिए पंचम दा ने गिलास और चम्मच बजाकर म्यूज़िक निकाला था और उसके बाद वह गाना ज़बरदस्त हिट हुआ। आज भी वह गाना सुनते हुए मूड फ्रेश हो जाता है। वैसे तो पंचम दा के बारे में सभी लोग जानते हैं, लेकिन आज हम उनके जीवन से जुड़े कुछ ऐसे अनोखे किस्सों के बारे में बताएंगे, जो आपने कभी नहीं सुने होंगे। - पंचम दा ने 9 साल की उम्र में ही अपना पहला गाना कंपोज़ किया था, लेकिन म्यूज़िक डायरेक्टर के तौर पर उन्हें ब्रेक फिल्म 'छोटे नवाब' में मिला। महमूद ने इस फिल्म के लिए पंचम दा को इसलिए ब्रेक दिया क्योंकि पंचम ने उनकी कार को अपनी उंगलियों से ड्रम की तरह बजा-बजाकर उसमें गड्ढे कर दिए थे। कहीं गाड़ी खराब न हो जाए, इस डर से महमूद ने पंचम को फिल्म में बतौर म्यूज़िक डायरेक्टर ले लिया। - इसके बाद पंचम दा ने जो ऊंचाइयां छूईं, वो सभी ने देखीं, लेकिन आखिरी दिनों में बप्पी लहरी और बाकी डिस्को म्यूजिक कंपोजर्स उन पर हावी हो गए और उनका रंग फीका-सा पड़ गया। कई फिल्ममेकर्स ने उनके साथ विनम्रता से बात करनी भी बंद कर दी क्योंकि उन दिनों जिस भी फिल्म में पंचम दा के गाने आ रहे थे, वो सभी एक के बाद एक कर बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गईं। जिन फिल्ममेकर्स ने पंचम दा को शुरुआती फिल्मों में काम दिया था, उन्होंने भी अपनी अगली फिल्मों में पंचम को नहीं लिया। - 60 के दशक से लेकर 80 के दशक तक सुपरहिट गाने देने वाले संगीतकार और गायक राहुल देव बर्मन यानी आरडी बर्मन का जन्म 27 जून 1939 को कोलकाता में हुआ था। आरडी बर्मन को लोग प्यार से 'पंचम दा' कहकर बुलाते थे। उनकी और आशा भोसले की प्रेम कहानी भी काफी म्यूजिकल रही है। - आरडी बर्मन और आशा भोंसले की पहली मुलाकात 1956 में हुई थी। तब तक आशा भोसले ने इंडस्ट्री में अच्छी खासी पहचान बना ली थी। जबकि आरडी बर्मन मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के टीएनज बेटे थे। करीब 10 साल बाद वो मौका आया जब आरडी बर्मन ने फिल्म 'तीसरी मंजिल' के लिए आशा भोसले से गाने के लिए संपर्क किया। - तब तक पंचम दा और आशा भोसले दोनों की ही पहली शादी टूट चुकी थी। पंचम दा अपनी पहली पत्नी रीता पटेल से अलग हो गए थे। वो रीता पटेल से इतना परेशान हो चुके थे कि घर छोड़कर होटल में रहने चले गए थे। वहीं आशा भोसले अपने पति गणपतराव भोंसले से बिल्कुल खुश नहीं थीं। एक दिन ऐसा आया जब दो बेटों और एक बेटी के साथ गर्भवती आशा ने अपनी बहन के घर की ओर रुख किया। उनका तीसरा बेटा इसी के बाद हुआ। - इसी बीच आशा भोसले लगातार पंचम के लिए गाने गा रही थीं। दोनों के गाने सुनकर ऐसा लगता था कि पंचम का संगीत और आशा की सुरीली आवाज एक दूसरे के लिए ही बने हैं। कई सालों तक बगैर शब्दों के ही उनके एहसास संगीत की तरह रोमांस बनकर बहते रहे। संगीत उन्हें करीब ला रहा था। इस दौर में दोनों ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट गाने दिए। - दोनों की शादी का रास्ता इतना भी आसान नहीं था। आशा की उम्र पंचम से ज्यादा थी जिस वजह से उनकी मां इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थीं। जब पंचम ने अपनी मां से शादी की अनुमति मांगी तो उन्होंने गुस्से में कांपती हुई आवाज में कहा-'जब तक मैं जिंदा हूं ये शादी नहीं हो सकती, तुम चाहो तो मेरी लाश पर से ही आशा भोसले को इस घर में ला सकते हो।' - आज्ञाकारी पंचम ने मां से उस वक्त कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहां से चले गए। फिर उन्हें शादी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा हालांकि शादी तो उन्होंने मां के जीते जी ही की लेकिन मां की ऐसी हालत हो चुकी थी कि उन्होंने किसी को पहचानना बंद कर दिया था। - पंचम और आशा की ये म्यूजिकल लव स्टोरी का सफर ज्यादा दिन तक नहीं चल सका और शादी के 14 साल बाद ही पंचम दा, आशा भोंसले को अकेले छोड़कर 54 साल की उम्र में इस दुनिया से चले गए। पंचम के चले जाने के बाद आशा बिल्कुल टूट गई थीं। बाद में वो कई सालों बाद सामान्य हो पाईं। - आरडी जितना अपने संगीत के लिए मशहूर थे उतना ही अपनी आवाज के लिए भी। 1960 से 90 के दशक तक आरडी बर्मन ने 331 फिल्मों में संगीत दिया। कई फिल्मों में उन्होंने खुद गाना भी गाया है। एक संगीतकार के तौर पर उन्होंने ज्यादातर अपनी पत्नी आशा भोंसले और किशोर (दा) कुमार के साथ काम किया। सलिल चौधरी को वो अपना गुरु मानते थे। इसके अलावा पिता एसडी बर्मन के साथ काफी समय तक सहकलाकार रहे। - बचपन में आरडी की नानी ने उनका उपनाम टुबलू रखा था, हालांकि बाद में वे पंचम के उपनाम से मशहूर हुए। पंचम नाम पड़ने के पीछे कई कहानियां हैं। एक कहानी के अनुसार बचपन में जब वे रोते थे तो पांचवें सुर (पा) में रोते थे, इसलिए उनका नाम पंचम रखा गया। दूसरी कहानी यह है कि वे बचपन में पांच अलग-अलग तान में रोते थे। तीसरी कहानी के अनुसार जब अभिनेता अशोक कुमार ने उन्हें देखा तो वे बार-बार 'पा' शब्द का उच्चारण कर रहे थे इसलिए उनका नाम पंचम पड़ गया। - 1970 के दशक में पंचम दा खूब हिट हुए। 1970 में कटी पतंग के सुपरहिट संगीत से यह जोड़ी शुरू हुई और फिर रुकने का नाम नहीं लिया। इसके अलावा ‘सीता और गीता' ‘बॉम्बे टू गोवा’, ‘अपना देश’, ‘परिचय’ जैसी फिल्मों में हिट संगीत दिया। यादों की बारात, आप की कसम, शोले,आंधी, गोलमाल, घर, खूबसूरत, मासूम और 1942 अ लव स्टोरी जैसी फिल्मों में भी पंचम दा ने अपने संगीत का जलवा बिखेरा। - जिंदगी के अंतिम दिनों में पंचम दा को पैसे की तंगी हो गई थी। 4 जनवरी 1994 को हिन्दी संगीत जगत सितारे पंचम दा ने 54 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। पंचम दा आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन संगीत के रूप में उनकी विरासत आज भी करोड़ों लोगों के लिए अनमोल तोहफा है। #asha bhosle #bollywood #Lata Mangeshkar #R.D. 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