Advertisment

बर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा

author-image
By Mayapuri Desk
बर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा
New Update

अपने समय की सबसे मशहूर और खूबसूरत अदाकारा नंदा का आज 80वां जन्मदिन है उनका जन्म 8 जनवरी 1939 को हुआ था। नंदा ने फ़िल्म 'जब-जब फूल खिले', 'गुमनाम' और 'प्रेम रोग' जैसीन कईं  हिट फ़िल्मों में काम किया है। चलिए उनके जन्मदिन पर जानते है उनके जीवन की कुछ खास बातेंबर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा

फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती होना चाहती थी

आपको बता दें की नंदा की बॉलीवुड में एंट्री की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। नंदा के पिता विनायक दामोदर कर्नाटकी और मराठी सिनेमा के सफल अभिनेता और निर्देशक थे। जब नंदा 5 साल की थीं तभी वो अपने पिता के कहने पर बेमन से उनकी एक फ़िल्म का हिस्सा बनीं। वैसे नंदा फिल्मों में नहीं आना चाहती थी. नंदा स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस से काफी प्रभावित थी और उनकी ही तरह सेना से जुड़कर देश की रक्षा करना चाहती थीं। एक दिन का वाकया है कि जब नंदा पढ़ाई में व्यस्त थीं तब उनकी मां ने उसके पास आकर कहा..तुम्हें अपने बाल कटवाने होंगे। क्योंकि तुम्हारे पापा चाहते है कि तुम उनकी फिल्म में लड़के का किरदार निभाओ। मां की इस बात को सुनकर नंदा को काफी गुस्सा आया। पहले तो उन्होंने बाल कटवाने के लिये साफ तौर से मना कर दिया लेकिन मां के समझाने पर वह इस बात के लिये तैयार हो गईं।

बर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा

10 साल की उम्र में शुरू किया था फ़िल्मी करियर

लेकिन, नियति को कुछ और मंज़ूर था इस फ़िल्म के पूरा होने से पहले ही नंदा के पिता की मौत हो गयी! अचानक हुए इस हादसे ने नंदा का जीवन पूरी तरह से बदल कर रख दिया। परिवार की पूरी जिम्मेदारी अब नंदा के नन्हें कन्धों पर आ गयी। इस वक़्त नंदा सिर्फ दस साल की थीं जब उन्होंने अपनी फ़िल्मी पारी शुरू की।बर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा

नंदा ने कुल 8 गुजराती फ़िल्मों में भी काम किया

दिनकर पाटिल की निर्देशित मराठी फ़िल्म ‘कुलदेवता  के लिये नंदा को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष पुरस्कार से नवाजा था। नंदा ने कुल 8 गुजराती फ़िल्मों में भी काम किया। हिंदी में नंदा ने बतौर हीरोइन 1957 में अपने चाचा वी शांता राम की फ़िल्म 'तूफान और दिया' में काम किया था। उसके बाद नंदा फ़िल्मों में ऐसे रमी कि निजी ज़िंदगी के लिय उन्हें वक़्त ही नहीं मिला।

बर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा

53 साल की उम्र में नंदा ने की थी सगाई

कहते हैं कि डायरेक्टर मनमोहन देसाई से वो बेइंतहां मोहब्बत करती थीं। देसाई भी उन्हें चाहते थे। लेकिन, बेहद शर्मीली नंदा ने मनमोहन को कभी अपने प्यार का इजहार करने का मौका ही नहीं दिया और उन्होंने शादी कर ली। मनमोहन की शादी के बाद नंदा भी अपनी ज़िंदगी में सिमट कर रह गयीं! लेकिन, कुछ समय बाद ही उनकी पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद मनमोहन ने फिर से नंदा के नाम मोहब्बत का पैगाम पहुंचाया। नंदा ने उसे कबूल कर लिया। 1992 में 53 साल की उम्र में नंदा ने उनसे सगाई कर ली। लेकिन, किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। सगाई के दो साल बाद ही मनमोहन देसाई की एक हादसे में मौत हो गई। दोनों कभी एक नहीं हो पाए और नंदा अविवाहित ही रह गईं।

बर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा

राजेंद्र कुमार की अंधी बहन का किरदार निभाया

1959 में नंदा ने फ़िल्म 'छोटी बहन' में राजेंद्र कुमार की अंधी बहन का किरदार निभाया था। उनका अभिनय दर्शकों को बहुत पसंद आया। राजेंद्र कुमार के साथ उनकी अगली फ़िल्म 'धूल का फूल' सुपरहिट रही। लेकिन, बहन के रोल उनका पीछा नहीं छोड़ रहे थे। नंदा एक बार फिर 1960 की फ़िल्म 'काला बाजार' में देव आनंद की बहन बनीं। नंदा ने सबसे ज्यादा 9 फ़िल्में शशिकपूर के साथ कीं। उन्होंने उनके साथ 1961 में ‘चार दीवारी’ और 1962 में ‘मेंहदी लगी मेरे हाथ जैसी फ़िल्में कीं।

बर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा

माला सिन्हा और वहीदा रहमान थीं खास दोस्त

‘जब जब फूल खिले  तो एक ज़बरदस्त हित फ़िल्म साबित हुई। इसके गाने आज भी खूब सुने जाते हैं! बहरहाल, मनमोहन देसाई के निधन के बाद से नंदा काफी अकेली हो गई थीं। वो किसी से ज्यादा बातें भी नहीं करती थीं। उनकी खास दोस्तों में माला सिन्हा और वहीदा रहमान थीं, जिनके साथ वो थोड़ा वक्त गुज़ार लिया करतीं। 75 साल की उम्र में साल 2014 में उनका निधन हो गया था! लेकिन, सिने प्रेमी उन्हें आज भी याद करते हैं।

बर्थडे एनिवर्सरी: फिल्मों में नहीं बल्कि सेना में भर्ती हो देश की रक्षा करना चाहती थी नंदा

नंदा की आखिरी फ़िल्म थी 'प्रेम रोग थी

राजेश खन्ना के साथ ‘इत्तेफाक’ (1969) में उन्होंने निगेटिव किरदार तक निभाया, लेकिन दर्शक उनका ये रूप नहीं स्वीकार सके। हाल ही में इस फ़िल्म की रीमेक भी बनी! बहरहाल, साल 1972-1973 के बाद नंदा की एक के बाद एक कई फ़िल्में फ्लॉप होती रहीं और इस तरह से नंदा ने खुद को इंडस्ट्री से अलग कर लिया! नंदा की आखिरी फ़िल्म थी 'प्रेम रोग'।

#Waheeda Rehman #Mala Sinha #Birthday Special #Manmohan Desai #Bollywood old diva #Happy Birthday Nanda #Nanda #Vetran Actress
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe