नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, रिलायंस जियो और स्ट्रीमिंग सर्विस देने वाली दूसरी कंपनियां जल्द ही वॉलंटरी सेंसरशिप कोड अपना सकती हैं। इसके बाद वो ऐसे कंटेट का प्रसारण नहीं करेंगी, जिन पर भारतीय अदालतों ने रोक लगाई है। वो राष्ट्रीय ध्वज और प्रतीक चिन्हों के प्रति सम्मानजनक भाव नहीं रखने वाले कंटेंट का प्रसारण भी बंद करेंगी। स्ट्रीमिंग सर्विस देने वाली कंपनियां ऐसा कंटेंट भी नहीं दिखाएंगी, जिनसे लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचे और आतंकवाद या राज्य के प्रति हिंसा को बढ़ावा मिले। वो बच्चों से जुड़े यौन दृश्य भी नहीं दिखाएंगी। यह जानकारी कई सूत्रों से मिली है।
वीडियो ऑन डिमांड (वीओडी) प्लेटफॉर्म ये कदम इसलिए उठा रहे हैं ताकि सरकार ही उन पर ऐसे नियम न थोप दे। एमेजॉन, फेसबुक और गूगल इन कोड को नहीं अपनाएंगी। उनका मानना है कि इसे अपनाने पर इंटरनेट को नियंत्रित करने की खतरनाक परंपरा शुरु हो सकती है। इन कंपनियों का मानना है कि ऐसी सेंसरशिप से क्रिएटिव फ्रीडम पर आंच आएगी।
यह जानकारी इन कंपनियों की सोच से वाकिफ एक सूत्र ने दी है। दर्शकों को लगता है कि अगर किसी कंटेंट से कोड का उल्लंघन हो रहा है तो वो अपनी शिकायत स्ट्रीमिंग सर्विस देने वाली कंपनियों तक पहुंचा सकेंगे। वॉलंटरी सेंसरशिप कोड का समर्थन करने वालों में Zee5, टाइम इंटरनेट, इरोजनाउ और ऑल्ट बालाजी भी शामिल है। इन सभी कंपनियों की पैरेंट फर्म्स ट्रेडिशनल ब्रॉडकास्ट बिजनेस से जुड़ी हुई है।