सेंसर बोर्ड ने अपना रवईया बदला है. 'आदिपुरुष' में भगवानों की इज्जत पर प्रहार होते चुपचाप देखने वाला सेंसर बोर्ड इस बार OMG 2,('ओह माय गॉड' की सीक्वल फिल्म 'ओह माय गॉड 2') पर शख्ती दिखाने की कोशिश किया है. इस फिल्म को बोर्ड ने कोई भी सर्टिफिकेट देने की बजाय फिल्म को रिव्यू कमेटी के पास भेज दिया है. सेंसर बोर्ड के इस कदम को देखकर कहा जा रहा है कि वे पिछली गलतियां दुहराना नहीं चाहते. भगवान राम की कहानी वाली फिल्म 'आदिपुरुष' को पास करके अपनी छिछालेदर करा चुका बोर्ड भगवान शिव की फिल्म OMG2 को लेकर गंभीर है. फिल्म सीधे रिव्यू कमेटी के पास भेज दी गयी है. बताया जा रहा है कि फिल्म के काफी संवाद सेक्स- एजुकेशन- कंटेंट से जुड़े हैं और फिल्म के कुछ दृश्यों पर भी विचार करने जैसा मामला है.
सवाल यह नहीं है कि बोर्ड ने यह कदम सावधानी के लिए उठाया है या धार्मिक भावना को नुकशान पहुचाये जाने से बचाने के लिए उठाया है. सवाल यह है कि उन्होंने ऐसा करने की खबर को बताकर फिल्म के लिए लोगों में उत्तेजना खड़ा कर दिया है. एक तरह से प्रचार देने की कोशिश किया है? सेंसर बोर्ड एकबार फिर बड़ी गलती कर बैठा है. इसबार कोहराम के टारगेट में आने वाले भगवान "शिव" हैं. पर्दे पर भगवान शिव के अवतारी रूप को अक्षय कुमार ने जीया है.
यह भी संयोग देखिए कि फिल्म OMG 2 का टीजर 11 जुलाई को रिलीज किया जाता है जिसमे बताया गया है कि यह फिल्म 11 अगस्त 2023 को रिलीज की जाएगी यानी- ठीक एक महीने बाद ; और अगले ही दिन 12 जुलाई को फिल्म को सेंसर बोर्ड अस्वीकृत कर देता है. फिल्म रिव्यू कमेटी में भेजे जाने की खबर आती है. यह क्या एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा नहीं लगता ? यहां बताने वाली बात यह है कि सेंसर बोर्ड के अपने नियम कायदे हैं. यूँ ही वहां कुछ नहीं होना चाहिए. जब से सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष गीतकार प्रसून जोशी बने हैं, बहुत बार हुआ है जब नियम ताख पर रखकर बोर्ड काम करता है.'आदिपुरुष' के मामले में कई खामियां गिनाई गयी थी.राम सीता, हनुमान, रावण के रूप और गेटअप तथा संवाद को लेकर कोहराम मचा था लेकिन क्या हुआ... फिल्म थियेटर में चलते हुए री- सेंसर हो गयी थी. अब शायद वही सब OMG 2 के साथ हो ! अमित राय लिखित- निर्देशित फिल्म 'ओएमजी 2' की कहानी में सेक्स एजुकेशन की बात कही गयी है और इसी फिल्म में भगवान शिव( अक्षय कुमार) अपने भक्त (पंकज त्रिपाठी) की मदत के लिए आते हैं.
एक और बात ध्यान देने वाली है कि कोई भी फिल्म सेंसरबोर्ड से पास होकर ही टाकिजों में रिलीज की जा सकती है. फिल्म सेंसर बोर्ड देखता है.गुणवत्ता के आधार पर फिल्म को U/A/U A जैसे सर्टिफिकेट दिए जाते हैं. फिल्म बच्चे, जवान बूढ़े सबके देखने लायक है तो U सर्टिफिकेट, सिर्फ वयस्कों के लायक होती है जिसे बच्चों को नही देखना चाहिए तो A सर्टिफिकेट अथवा बच्चे मां बाप के साथ जाकर देख सकते हैं तो उस फिल्म को UA सर्टिफिकेट दिया जाता है. मोटा मेटी सर्टिफिकेट दिए जाने का सामान्य फार्मूला है बाकी और भी कैटेगरीज हैं जो कम ही व्यवहार में देखी जाती हैं. फिल्म सेंसर प्रमाणपत्र लेकर ही कोई निर्माता रिलीज के लिए आगे बढ़ता है. अगर निर्माता को आपत्ति होती है तो वह वापस बोर्ड में शिकायत दर्ज कराता है और बोर्ड फिल्म को रिव्यू करता है.आगे रिवाइजिंग कमेटी और ट्रिब्यूनल कमेटी आपत्ति जनक मसलों पर फैसला लेती है कि फिल्म को दिया जाने वाला सर्टिफिकेट कैसा हो. इसमें कई महीने तक लग जाते हैं. लेकिन बिना सेंसर सर्टिफिकेट प्राप्त किये फिल्म को रिलीज नही किया जा सकता है. कईबार इस वजह से भी फिल्म की रिलीज डेटें आगे पीछे होती रहती हैं.
OMG 2 की बात करते हैं. सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को देखकर कोई सर्टिफिकेट ही नहीं दिया और सीधा रिव्यू कमेटी के पास भेज दिया. उनको पहले कोई सर्टिफिकेट देते फिर निर्माता से आपत्ति जनक बातों पर बात करके उसकी सफाई सुनते, जो करोडों लगाकर फिल्म बनाया है. ऐसा कुछ यहां नहीं हुआ है. अगर बोर्ड ने धार्मिक आस्था जैसे सेंटीमेंट को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया है तो यह चुपचाप होना चाहिए था. खबर बाहर कैसे आयी? सबसे पहले इस खबर को KRK ने ट्वीट किया कि ''OMG को सेंसर ने बैन कर दिया है''. क्या यह प्रोपोगंडा को बढ़ाने का एक तरीका नही है? बहरहाल फिल्म रिव्यू कमेटी के पास गई है. यानी- भोलेनाथ बने अक्षय कुमार की फिल्म का फैसला अब रिव्यू कमेटी के माननीय सदस्यों (विद्या बालन, वामन केंद्रे, विवेक अग्निहोत्री, मिहिर भूटिया, रमेश पतंगे, गौतमी तड़ीमल्ला, टीएस नागा भराना, नरेंद्र चंद्र लाल) की सोच पर है कि वे भगवान शिव के श्रावण मास में शिव के अवतार के कलयुगी दर्शन OMG2 को किस रूप में देखकर फैसला देते हैं.