Pandit Deendayal Upadhyay की पुण्यतिथि पर हिन्दी फ़िल्म Main Deendayal Hoon का मुहूर्त, Annu Kapoor करेंगे टाइटिल रोल

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By Mayapuri Desk
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Pandit Deendayal Upadhyay की पुण्यतिथि पर हिन्दी फ़िल्म Main Deendayal Hoon का मुहूर्त, Annu Kapoor करेंगे टाइटिल रोल

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के अवसर पर मुम्बई में हुए एक भव्य कार्यक्रम में हिन्दी फ़िल्म मैं दीनदयाल हूँ का मुहूर्त किया गया. सबसे पहले दीनदयाल उपाध्याय की एक तस्वीर पर अन्नू कपूर सहित फ़िल्म के निर्माता, निर्देशक और पूरी टीम ने श्रद्धासुमन अर्पित करके उन्हें याद किया. अन्नू कपूर ने कुछ लाइन कहकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित की. "इस सदन में मैं अकेला ही दिया हूँ, मत बुझाओ जब मिलेगी रौशनी मुझसे मिलेगी.पांव तो मेरे थकन ने छील डाले, बस विचारों के सहारे चल रहा हूँ." अन्नू कपूर ने क्लैप देकर फ़िल्म का मुहूर्त किया, उसके बाद निर्देशक पवन केके नागपाल, निर्माता रंजीत शर्मा, सह-निर्माता हरीश रेड्डी नगलमदका, कार्यकारी निर्माता राजीव धमीजा और लेखक राशिद इकबाल ने फ़िल्म के संदर्भ में मीडिया से बात की. टीजीएम फिल्म्स के बैनर तले बन रही इस फ़िल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश में मई से शुरु होगी.

प्रतिभाशाली अभिनेता अन्नू कपूर ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक राजनीतिक दार्शनिक थे, वह केवल एक राजनेता नहीं थे. देश और मातृभूमि के प्रति उनका बेमिसाल योगदान रहा है. उनके विचार, उनके दर्शन बहुत बड़े थे. उनके जीवन पर फ़िल्म बनाना निर्माता, निर्देशक, लेखक सभी के लिए बहुत हिम्मत और बहादुरी का काम है. इस फ़िल्म की टीम के पास वीरता, हिम्मत, उत्साह, लगन देखकर संघ ने कहा कि तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं. अब मीडिया का साथ चाहिए और मीडिया के माध्यम से जनता का साथ चाहिए. लेखक राशिद इकबाल जी ने मजबूत पकड़ के साथ इस सब्जेक्ट को पेपर पर उतारा है, यह पॉलिटिकल थ्रिलर तो है ही, साथ ही इसमें बहुत से सवाल उठाए गए हैं. क्या पंडित जी का जाना एक राजनीतिक साजिश थी या प्राकृतिक मौत थी? इसका जवाब गुजरे हुए समय के तमाम राजनीतिज्ञों को देना होगा. दीनदयाल जी ने अपना सब कुछ अपनी मातृभूमि के लिए निस्वार्थ रूप से समर्पित किया था ताकि उनका देश सम्पन्न हो सके. उन्होंने देश के हर नागरिक के हित और कल्याण के बारे में सोचा. हम अगर उनकी मौत के रहस्य को नहीं सुलझाएंगे तो हम उनके साथ अन्याय करेंगे.

हम सब पर इस फ़िल्म को लेकर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि हमें सच्चाई भी दिखानी है और इतनी कड़क रूप से, रोमांचक ढंग से दर्शाना है कि आप अपनी कुर्सी छोड़कर एक मिनट के लिए भी न जा सकें.

निर्देशक पवन केके नागपाल ने कहा कि जब लेखक राशिद इकबाल ने इस फ़िल्म की कहानी मुझे सुनाई तो मुझे तुरंत लगा कि इस विषय पर जल्द फ़िल्म बननी चाहिए. स्क्रिप्ट सुनते ही दीनदयाल उपाध्याय की भूमिका निभाने के लिए मेरी ज़ुबान से जिस ऎक्टर का नाम निकला वह थे अन्नू कपूर. मुझे लगा कि अन्नू कपूर जितने बेहतरीन ढंग से इस किरदार को जी सकते हैं वह कोई और नहीं कर सकता. वह इतने अनुभवी अभिनेता हैं, आप फ़िल्म के पोस्टर में देखें कि उन्होंने खुद को कैसे दीनदयाल उपाध्याय के रूप में ढाल लिया है. यह हम सब के लिए सौभाग्य की बात है कि उन्होंने यह टाइटल रोल निभाने की हामी भरी. दीनदयाल जी ने जो नीतियां बनाई थीं, उस समय वह काम जो वह करना चाहते थे, वह कहीं न कहीं अधूरे रह गए और जो आगे जाकर हो रहे हैं. उनकी मृत्यु भी एक सस्पेंस, मिस्ट्री है. हम उसी रहस्य को जानने की कोशिश कर रहे हैं, जो इस फ़िल्म में दर्शाया जाएगा.

वही फ़िल्म के निर्माता रंजीत शर्मा ने बताया कि जब आरएसएस के इंद्रेश कुमार से मैंने ज़िक्र किया कि मैं दीनदयाल उपाध्याय पर फ़िल्म बनाना चाहता हूँ तो उन्होंने मुझे हौसला दिया और कहा कि आप बिलकुल बनाएं. उनका आशीर्वाद पाने के बाद हमने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का सोचा.

लेखक राशिद इकबाल ने बताया कि दीनदयाल जी की मौत का रहस्य अब तक नहीं सुलझाया जा सका है. उसी विषय पर यह फ़िल्म लिखी है. जब अन्नू कपूर जी इस रोल के लिए फाइनल हुए तो मुझे बड़ी खुशी हुई कि वह एक ऐसे ऎक्टर हैं जो उस आदमी को भी अपनी अदाकारी से जीवित कर देंगे जो हमारे बीच से चले गए हैं. अन्नू कपूर का हां कहना हम सब के लिए बड़ी हिम्मत देने वाली बात रही. मुझे लगता है कि अन्नू कपूर 1 घण्टा 45 मिनट तक सिनेमाघर में किसी को अपनी कुर्सी से हिलने नहीं देंगे. हमारे पीछे जो ताकत खड़ी रही वह हैं रंजीत शर्मा, इस फ़िल्म के निर्माता. संघ के बड़े लोगों के साथ अच्छी मीटिंग हूई. मैंने इस कहानी में दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी के साथ उनकी मौत के रहस्य को पिरो दिया है. उनकी बॉयोपिक भी चल रही है और उनकी मौत की मिस्ट्री भी रोमांचक रूप से जारी है." तो आप तैयार रहें एक जबरदस्त बायोपिक के लिए!

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