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बाॅलीवुड में अंडरवल्र्ड की मुठभेड़ पर एक नही सैकड़ो फिल्में बन चुकी हैं। लेकिन अब फिल्म लेखक व निर्देषक श्रवण तिवारी ‘‘आजम’’ नामक एक फिल्म बनायी है,जो कि 19 मई को सिनेमाघरों में पहुॅचने वाली है। इस फिल्म में अंडरवल्र्ड के अंदर वारिस यानी कि माफिया डाॅन की कुर्सी पर बैठने की एक रात की कहानी है। किस तरह अंडरवल्र्ड से जुड़े लोग एक रात में एक दूसरे का खून कर अंततः कुर्सी हथियाने का पय्रास करते हैं।
फिल्म ‘‘आजम’’ के लेखक व निर्देषक श्रवण तिवारी की पैदाइश इलहाबाद की है,पर उनकी परवरिश गुजरात में हुई.। क्योंकि उनके पिता सरकारी नौकरी कर रहे थे। वह काॅलेज के दिनों से फिल्मों से जुड़ना चाहते थे,मगर पारिवारिक माहौल के चलते एमबीए की पढ़ाई पूरी कर वह अखबार में मार्केटिंग हेड के रूप में जुड़ गए। श्रवण तिवारी ने गुजराती अखबार ‘संदेश’ के अलावा अंग्रेजी अखबार ‘हिंदुस्तान’ और ‘डीएनए’ में भी नौकरी । लेकिन वह बीच बीच में फिल्में बनाते रहे। सबसे पहले गुजराती भाषा में लघु फिल्म ‘‘द एडवोकेट ’’बनायी.फिर ‘‘706’’, ‘‘कमाठीपुरा’’ जैसी फिल्में बनायी। अब ‘आजम’ जैसी फिल्म लेकर आ रहे हैं।
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पेश है श्रवण तिवारी से हुई बातचीत के अंष...
किसी भी फिल्म को बनाने की प्रेरणा आपको कहां से मिलती है?
मैं दो किस्म की ही फिल्में बना सकता हॅूं.पहला हाॅरर या दूसरा डार्क.इसके अलावा दूसरे जाॅनर की फिल्में में नही बना सकता.मैं प्रेम कहानी प्रधान या हास्य फिल्म नही बना सकता.मुझे डार्क विषय बहुत अपील करते हैं.मैं बचपन से ही इसी तरह की फिल्में देखता आया हॅूं.इस वर्ष मैं दो फिल्में बनाने वाला हॅूं,उनके विषय भी ‘डार्क’ ही हैं
फिल्म ‘‘आजम’’ की कहानी का बीज कहां से मिला?यह कुदरती होता है.इसके अलावा कोई रास्ता नहीं होता है..अपनी नई फिल्म ‘‘आजम’’ को लेकर क्या कहना चाहेंगें?
हमारी फिल्म ‘आजम‘ मुम्बई अंडरवल्र्ड के काले चेहरे को उजागर करती है और अपराध जगत की तह में जाकर माफियाओं के क्रूर चेहरों को दिखाती है। इसमें एक्शन, रहस्य और रोमांच का भरपूर तड़का है। क्राइम थ्रिलर फिल्में देखने के शौकीन लोगों को ‘आजम‘ जरूर पसंद आएगी। इसमें विवेक घमांडे, गोविंद नामदेव, रजा मुराद, सयाजी राव शिंदे, अली खघन, अनंग देसाई , शिशिर शर्मा , संजीव त्यागी और मुश्ताक खान जैसे कलाकारों की सशक्त भूमिकाएं हैं। मैंने इस फिल्म को पूरी शिद्दत के साथ बनाया है और यह फिल्म मेरे जीवन की सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म है। एक सशक्त कहानी को रोमांचक अंदाज में पेश करने को लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं। हमने इस फिल्म को बनाने में खूब मेहनत की जो दर्शकों को रोमांच से भर देगी।
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मैंने सुना है कि ‘‘आजम’’ में अभिनय करने के लिए कलाकार तैयार नही हो रहे थे?
सर ऐसा नही है.बाॅलीवुड की प्रथा है कि कलाकार फिल्म की कहानी व पटकथा बाद में पढ़ते हैं.पहले वह यह पता करते हैं कि कौन सा स्टूडियो इसे बना रहा है और इसके निर्देशक की क्या हैसियत है.अथवा कौन सा ओटीटी प्लेटफार्म इसे लेने को तैयार है.उन्हें कहानी या किरदार से कोई लेना देना नही होता है.तो हम यहां असफल हो रहे थे.निर्देशक के तौर पर मेरा कोई बहुत बड़ा नाम नही है.इसका निर्माण करने वाला कोई बड़ा स्टूडियो नही है.किसी ओटीटी प्लेटफार्म ने हमारी इस फिल्म को तब भी खरीदा नही था और आज भी नहीं खरीदा है..हम तो इसे सिनेमाघरों में उन्नीस मई को प्रदर्शित करने जा रहे है.लेकिन जिसने भी यह काहनी पढ़ी,उसने मना नही किया.जिम्मी शेरगिल ने पढ़ी तो उन्होेने इसमें अभिनय करना स्वीकार किया.
फिल्म ‘‘आजम’’ की कहानी क्या है?
यह अंडरवल्र्ड की एक रात की कहानी है। फिल्म माफिया डॉन नवाब खान के उत्तराधिकार की लड़ाई की पृष्ठभूमि पर बनी है,जो अपने पांच साथियों के माध्यम से शहर को नियंत्रित और लोगों में खौफ पैदा कर उन पर राज करता है। कहानी के अनुसार नवाब के बेटे कादर अपने पिता के कारोबार के जायज वारिस हैं। मगर वह अपने गुर्गे जावेद के कहने पर अपने पिता के तमाम साथियों को एक-एक कर खत्म करने की योजना बनाते हैं। लेकिन कादर की यह साजिश नाकाम साबित होती है,क्योंकि उनके गिरोह के सदस्य गैंग वॉर को लेकर अपनी अलग योजना पर काम कर रहे होते हैं। इस सबके बीच शहर के डीसीपी जोशी शहर में गैंगवार को रोकने के लिए तमाम तरह के प्रयास करते हैं।
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फिल्म की खासियत क्या है?
फिल्म ‘आजम‘ दर्शकों के लिए एक ऐसा सिनेमाई अनुभव साबित होने वाला है,जिसे दर्शक हमेशा याद रखेंगे।
फिल्म की यूएसपी क्या है?
इस फिल्म की दो यूएसपी है.आम दर्षक को अंत तक बांध कर रखने वाली फिल्म है.फिल्म शुरू होने के तीन मिनट के अंदर दर्शकों को अपने साथ जोड़ लेगी और अंत तक नही छोड़ेगी.इसमे गाने,प्रेम कहानी या हीरोईन नही है.जो फिल्मकार या लेखक हैं,उन्हें इसकी प्रस्तुतिकरण बांध कर रखेगी.यह फिल्म एक बुद्धिजीवी को भी मजा देगी और मनोरंजन के लिए फिल्म देखने वालों को मनोरंजन देगी.यह कोई खोखली फिल्म नही है.आप कह सकते हैं कि ‘आजम’ विमल राॅय सर की फिल्मों की तरह है.
फिल्म निर्माण का अब तक का आपका अनुभव?
अच्छे अनुभव रहे हैं.जब तक जिंदगी रहेगी, फिल्म बनाता रहूंगा.इसके अलावा कुछ करना नही है.फिलहाल दो फिल्में बना रहा हॅूं.एक फिल्म कश्मीर के उपर बना रहा हॅूं,जिसमें जेनीफर हैं.कष्मीर में एक बहुत बुरा आतंकवादी है.वह पकड़ा जाता है.जिससे पूछताछ के बाद पता चलता है कि उसकी बेटी मुंबई में बहुत बड़ी पुलिस अफसर है.दूसरी फिल्म ‘‘2014’’इसमें जैकी श्राफ हैं. इसकी कहानी एक रिटायर्ड इंटेलीजेंट अफसर के इर्द गिर्द घूमती है.यह स्पाई थ्रिलर फिल्म है.यह भी डार्क फिल्म है.
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