सिनेमा हॉल में बाहर का खाना- उपभोक्ता सशक्तिकरण या सुरक्षा खतरा ? 

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By Mayapuri Desk
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सिनेमा हॉल में बाहर का खाना- उपभोक्ता सशक्तिकरण या सुरक्षा खतरा ? 

महाराष्ट्र राज्य सरकार ने अपने मानसून सत्र नागपुर में खाद्य एवं पेय पदार्थ को अंदर मल्टीप्लेक्स में ले जाने की अनुमति दी है| इस पर लोगों कि मिश्रित प्रत्रिकयाएँ सामने आई है. घोषणा शुक्रवार13 को हुई और यह वास्तव में सिनेमाघरों के  लिए एक दुःस्वप्न साबित हो सकता है। अमेरिका जैसे देशों में भी बाहर का खाना लाने में प्रतिबंद है। इसके अलावा, अन्य स्थान जैसे  लाइव संगीत कार्यक्रम, खेल स्टेडियमों, रेस्तरां, आदि में भी बाहर का खाना लाने अनुमति नही है ।

इस सवाल को लेकर  कलाकारों और नागरिकों में समान रूप से  आक्रोश देखा गया है ; हमारे पास संकलित में कुछ उद्धरण है  इस विषय पर: पूनम ढिल्लों कहती हैं, 'निश्चित रूप से यह मुद्दा लोगों की सुरक्षा के आड़े आएगा। साथ में लाये गए खाने की खुशबू जैसे अचार या मांसाहारी खाना थिएटर वातावरण को खराब करेगा। इससे लोगों में आपस में मतभेद हो सकते हैं। लोगों को खाद्य पदार्थों की खुशबू , नशे में दुर्व्यवहार जैसी चीजों से आपत्ति हो सकती है। सबसे महत्वपूर्ण - सुरक्षा में किसी प्रकार का समझौता संभव नही है इसीलिए हो सकता है के लिए सुरक्षा कर्मियों को लोगों द्वारा लाये गए हर आइटम की जाँच विस्तार से करनी होगी। हवाई अड्डे के सिक्योरिटी जांच की तरह यहां भी लोगों को फ़िल्म शुरू होने से 1-2 हटा पहले आके जाँच करवानी पड़ेगी।। यह व्यावहारिक नहीं।'

Poonam Dhillon Poonam Dhillon

गैंग्स ऑफ वासेपुर के निर्माता, निर्देशक, अभिनेता और लेखक  ज़ीशान क़ादरी ने टिप्पणी करते हुए कहा; ' लोग सिनमा हॉल पिक्चर देखने जाते है ना कि खाने पर ध्यान केंद्रित करने।' अभिनेता सोनू सूद की  राय भी यही है. वह कहते हैं, ' सिनेमा हॉल में लाये गए खाद्य पदार्थों की अच्छी तरह से जांच होनी चाहिए। इसके लिए सुरक्षा मानदंडों निर्धारित करना चाहिए। साथ में लाये टिफ़िन से आने वाली खुसबू हॉल का वातावरण खराब करेगी ।' अभिनेत्री प्रिया बनर्जी, अभिनेता जे ब्रैंडन हिल, और युवराज सिद्धार्थ सिंह ने भी यही भावना प्रस्तूत की है। गायक कैलाश खेर कहते हैं, 'जहां तक सुरक्षा कि बात है वह बहुत चुनौतीपूर्ण होगी क्योंकि लोगों के सिनेमा हॉल में शराब साथ लाने और सेवन करने से एक ऐसी स्थिति बन जाएगी जिसे नियंत्रण करना मुश्किल हो जाएगा।'

Sonu Sood Sonu Sood

इस पर टिप्पणी करते हुए  गायिका अनुराधा पोडवाल ने कहा, 'यह होगा एक भयानक बात है। काफी समय बाद हमे अच्छे सिनेमा हॉल मिले है और अगर वहां ऐसा होने लगा तो लोग फिरसे सिनेमा हॉल जाना बंद कर देंगे। इस ठेठ मानसिकता के वजह से सिनेमा हॉल का वातावरण खराब होगा। यह एक अच्छा विचार नहीं।' गायिका भूमि त्रिवेदी ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की एक ही तरीके से ' यहां प्रश्न उठता है की  अवांछित घटना होने की संभावना बढ़ जाएगी। हमारे पास इसको काबू में लाने का क्या उपाय है। बाहर से लाये खाद्य या शराब के वजह से अगर  असुविधा होती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? आज समाज में एक अनिश्चितता का माहौल है। लोग अपने आप को  असामाजिक तत्वों से संरक्षित रखना चाहते है। सिनेमा हॉल में लोग अपने परिवार के साथ समय बिताने आते है ना कि संदिग्ध वस्तुओं  के बारे में सोचकर चिंतित होने। कुछ भी वे देखते या लग रहा है। लोग घर से जितना समान कम लाएंगे उतना ही वो भय मुक्त होकर पिक्चर का आनंद ले पाएंगे।' सोनू निगम जिन्होंने काफी सामाजिक मुद्दों के बारे में अपनी आवाज़ उठाई है , कहते है; 'मैं पूरी तरह से सहमत हूँ कि बाहर खाना सिनेमा घरों में नही लाना चाहिए। यह सिनेमा घर के अस्तित्व के लिए हनिकारक है। हमे समझना चाहिए कि यह सिनेमा घर को उसके  खाद्य और पेय पदार्थ की बिक्री से मिलने वाले आय से वंचित कर रहे है जो उनके व्यापार मॉड्यूल के लिए  उचित नहीं है और उनके अस्तित्व को  संकट में डाल सकता है। इसके अलावा, भारतीयों की आदत है अपने अधिकारों का दुरुपयोग करना । ऐसे में हम  उम्मीद कर सकते हैं सिनेमा हॉल भविष्य में रेलवे प्लेटफार्म की तरह बन जायेगा। इसके अलावा  दुनिया में कहीं भी सिनेमा हॉल के अंदर खाना ले जाने की अनुमति नही दी जाती है ।'

Sonu Nigam Sonu Nigam

टीवी अभिनेता भी इस मुद्दे पर अपनी राय देने में पीछे नही है। अभिनेता करणवीर बोहरा, जिन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया है कहते है; 'मैं समझ नही पा रहा हूँ कि किसी भी समस्या का हल निकालने का यह कौनसा तरीका है?एक सुरक्षा उपाय के रूप मे पेय पदार्थ सिनेमा घर में ले जाने की  अनुमति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह अपराध को बढ़ावा देगा।' अभिनेत्री पूजा बिष्ट ने कहा 'मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि ऐसी वस्तुओं की  एक सूची तैयार करना चाहिए जो लोगों में  अत्यधिक असहज गंध से होने वाली असुविधा का कारण बनती है। बल्कि मैं किसी रेस्टॉरेंट मैं जाकर अपने पसंद का खाना खा सकती हूं ।' अनुभवी अभिनेता सुदेश बेरी ने टिप्पणी की; 'मुझे लगता है अंतराल समय अधिक होना चाहिए ताकि जिसे जो खाना  पीना  है और शौचालय  का उपयोग करके  आराम से वापस आ सकते। लेकिन कोई भी खाद्य और पेय पदार्थ अंदर ले जाने की अनुमति नही देनी चाहिए।' प्रसिद्ध शो भाभीजी घर पर है कि  शुभांगी आत्रे  ने कहा 'मैं चिंतित हूँ कि लोग थिएटर और मल्टीप्लेक्स में यहाँ वहाँ कूड़ा फेकेंगे। इससे थिएटर में ज्यादा देर बैठना मुश्किल हो जाएगा।'

Karanvir Bohra Karanvir Bohra

अभिनेत्री सौम्या टंडन ने कहा 'सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सिनेमा कीमतें चाढ जाएंगी मैंने इसे काफी बारीक से देखा है क्योंकि मैंने इस क्षेत्र की एक कंपनी (1018mb) में निवेश कया था।, मैं इसकी  वित्तीय समस्या को उजागर करना चाहती हूं। की अनुमति देकर बाहर खाना। एक स्क्रीन का निर्माण करने में 1.5 - 3 करोड़ की लागत है और  थिएटर व्यापार व्यवहार्य करने में सिनेमा  टिकट और खाद्य से लाभ लेता है। अब अगर सिनेमा को खाद्य पदार्थ की बिक्री से लाभ कमाने की अनुमति नहीं होगी तो टिकट की कीमतों को बढ़ाने की आवश्यकता होगी जिसका नुकसान उपभोक्ताओं को भरना पड़ेगा और लोग सिनेमा हॉल जाना कम कर देंगे। इससे देश में पूरा सिनेमा कारोबार प्रभावित होगा।' अभिनेता अदिति गुप्ता ओजस्विनी अरोड़ा, खुशानक अरोड़ा, राघव जुयाल और देवोलीना भट्टाचार्य ने भी यही चिंता व्यक्त की है। क्षेत्रीय सिनेमा के अभिनेताओं ने भी इसके बारे में अपने विचार प्रस्तूत किये है। हर्षाली जीने, जिन्होंने टेलीविज़न के साथ साथ मराठी फिल्मों में भी अभिनय किया है कहती हैं: 'थिएटर में कूड़ा कचरा फैलने की संभवना बढ़ जाएगी।' अभिनेता मिलिंद पाठक ने टिप्पणी की; 'वहाँ अपराध का डर बढ़ जायेगा।'

Saumya Tandon Saumya Tandon

अभिनेता सुमेध गायकवाड़ ने भी कहा; 'कुछ लोगों को निश्चित रूप से इसका अनवांछित फायदा उठाते हुए सॉफ्ट ड्रिंक्स में शराब मिलाकर थिएटर में ले जाएंगे। यह फ़िल्म देखने के पूरे अनुभव के लिए अभिशाप की तरह है।' लोकप्रिय होस्ट और आरजे मंत्रा ने कहा; ' जिस प्रकार नाटक देखते समय खाद्य पदार्थ भीतर स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह दर्शको का ध्यान हटाने के साथ साथ , कलाकारों की अवहेलना भी करता है। उसी प्रकार सिनेमा हॉल में भी भोजन नहीं ले जाना चाहिए। वह एक डायनिंग हॉल नही सिनेमा घर है। लोग वहाँ कला की सराहना करने और मनोरंजन हेतु जाते हैं ना कि खाना खाने। खाने के लिए वो अंतराल का उपयोग कर सकते है ।'

Mantra Mantra

लोकप्रिय कॉमेडियन्स ने भी अपने गुस्से को व्यंग्यात्मक तरीके से व्यक्त किया। सुरेश मेनन ने कहा 'मैं महकते हुए थिएटर में पिक्चर देखना बिल्कुल पसंद नही करूँगा। और हाँ, शराब का सेवन नियंत्रित कैसे करेंगे,शायद ब्रेथ एनालाइजर से ?? लोगों ने साथ लाया खाना एक  बदबूदार अनुभव सुनिश्चित करेगा।' बलराज स्याल और अतुल खत्री ने भी इसी प्रकार के विचार व्यक्त किये। डीजे परोमा जो लंबे समय से डीजे है का कहना है ; ' मैं काफी समय से इस नाइटलाइफ़ इंडस्ट्री में हु और मैंने देखा है कि नशे में धुत लोग दूसरों की असुविधा का कारण बन जाते है। यह एक अच्छी तस्वीर नही प्रस्तुत करता है। बहुत सी अनवांछित घटनाएं हो सकती है। मेहता थिएटर, आस पास फैला कूद कचरा और साथ में लाये पेय पदार्थ , पिक्चर देखने के अनुभव को खराब करते है। थिएटर से लिया हुआ पॉपकॉर्न, नचोस ओर कोक पीने का अपना ही मज़ा है। रायगढ़ डिस्ट्रिक्ट वुमन  सेल की अध्यक्ष चित्रलेखा पाटिल का कहना है; 'मैं इसका बिल्कुल समर्थन नहीं करती। यह ऐसी कई घटनाओं को जन्म देगा  जिससे अपराध में वृद्धि होगी। स्वच्छ्ता के संदर्भ में भी यह बहुत मुश्किल होगा क्योंकि लोग सफाई के मामले में बेपरवाह होते है। बहुत जल्द हमारे स्वच्छ सिनेमा घर अस्वच्छ पार्क्स में बदल जाएंगे'

Balraj Syal Balraj Syal

अभिनेत्री और राजनीतिज्ञ हेमा मालिनी ने कहा; ' अपनी खुशी से भोजन लाने की अनुमति देकर आप बीमारी और अस्वस्थता को बढ़ावा दे रहे है। इस्का दुष्प्रभाव गंध और बदबू होगा जो एक दूसरे के पूरक है। स्पष्ट रूप से, अपने पसंद का खाने के लिए आप एक गुणवत्ता में फिल्म देखने के  अनुभव को भी खराब करेंगे ! वास्तव में, आप अपने स्वाद की कीमत पिक्चर देखने का अनुभव होगा!' श्रिया सरन कहती हैं 'मुझे समझ में नहीं आता की इसके पीछे कारण क्या है  लेकिन मेरे हिसाब से, बाहर का भोजन मल्टीप्लेक्स के भीतर नही स्वीकार्य किया जाना।इसकी अनुमति दुनिया में कहीं नही है। यदि आपको लगता है भूख लगी है तो आप भोजन करके पिक्चर देखने आए। साथ में भोजन  ले जाने से आप मल्टीप्लेक्स में पिक्चर देखने के अनुभव को नष्ठ कर रहे है। यहां तक कि कई कारणों से यह सुरक्षित भी नही है।'

Shriya Saran Shriya Saran

हम मानते हैं कि सिनेमा हॉल भोजन की अनुमति दी जा रही यह सवाल जितना सरल दिखता है उतना है नही। यह सुरक्षा,अनुबंद, संपदा अधिकार, सिनेमा देखने का अनुभव जैसे कई मुद्दों के साथ जुड़ा हुआ है। फ़िल्म इंडस्ट्री बारीकी से जुड़े इन लोगों की यह प्रतिक्रियाएँ इस सवाल को और उजागर करेंगी।  पिछले 8 दिनों के सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएँ और उल्लासित चुटकुले से भरे हुए हैं। ट्विटर से फेसबुक और  इंस्टाग्राम तक, सोशल मीडिया  इसके बारे में चर्चाओं के साथ भरा हुआ है।

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