पामेला चोपड़ा के निधन का शोक सिनेमा जगत में साफ महसूस किया जा रहा है. पूरी बॉलीवुड पामेला चोपड़ा जैसे आइकॉनिक लेडी के निधन से हुए नुकसान का शोक मना रही हैं. उनके निधन की खबर ने फ़िल्म उद्योग और उनके फैंस को समान रूप से स्तब्ध कर दिया है. जो लोग उन्हे जानते थे, उन्हे पामेला के उपकारों, शक्ति और प्रेम को देखने का सौभाग्य मिला, जो उनके शरीर के रेशे रेशे में अंकित था.
पामेला चोपड़ा न केवल प्रसिद्ध फिल्म निर्माता यश चोपड़ा की पत्नी थीं, बल्कि यशराज फिल्म्स परिवार की एक स्तंभ भी थीं. फ़िल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. संगीत में उनका त्रुटिहीन टेस्ट और उनकी भावपूर्ण आवाज ने हमेशा दर्शकों को बांधे रखा.
यह कितनी अजीब बात है कि जो यश चोपड़ा, अपनी बॉलीवुड रोमांटिक फिल्मों के शहंशाह माने जाते थे, उनकी अपनी एक अलग तरह की प्रेम कहानी थी जिससे बहुत से लोग परिचित नहीं होंगे. पामेला चोपड़ा के साथ उनका वास्तविक जीवन का रोमांस उनकी फिल्मों में प्रस्तुत की गई कहानी के समान बिल्कुल नहीं था. जैसा कि पामेला ने एक बार सच कहा था, उन्होंने कहा कि यश चोपड़ा ने भले ही कई भावपूर्ण रोमांटिक फिल्में बनाई हों, लेकिन वास्तविक जीवन में वह एक व्यावहारिक व्यक्ति थे.
ऐसा कहा जाता है कि जब वे दोनों अपने माता-पिता की इच्छा के अनुसार एक-दूसरे को विवाह के उद्देश्य से देखने के लिए मिले थे, तो पामेला को यश पसंद आ गए थे लेकिन यश चोपड़ा ने अपने पिता से कहा था कि "दिमाग की बत्ती नहीं जली."
दिल्ली की लड़की और एक कुशल गायिका पामेला ने पहली बार यश को दिल्ली में एक स्टार क्रिकेट के शो में देखा था. उस वक्त उनके साथ उनकी कज़न बहनें भी थी, वहां यश चोपड़ा सामने के रो में बैठे थे और पामेला पलटन पीछे की रो में बैठे हुए थे. रसिक यश बार बार पीछे मुड़कर लड़कियों को देख रहे थे, लेकिन पामेला का मानना था कि यश उनकी सुंदर बहनों को निहार रहे थे. पामेला की अगली मुलाकात यश के साथ फिर से मुंबई में एक संगीत कार्यक्रम में हुआ , जहाँ पहली बार यश ने पामेला का एक गीत सुना और उनकी गायन प्रतिभा की सराहना की. इसके बाद निर्देशक तथा अभिनेता रोमेश शर्मा की मां ने यश चोपड़ा के परिवार से कहा था कि पामेला एक बहुत अच्छी लड़की है, उससे यश की शादी कर दीजिए, वो एक अच्छी और जिम्मेदार बहू साबित होगी. और ऐसा ही हुआ.
यश और पामेला ने 1970 में शादी की और वे दो लड़कों, आदित्य और उदय चोपड़ा के माता-पिता बने. हालाँकि उनकी शादी खुशहाल थी, लेकिन पामेला अक्सर निराश हो जाती थी जब यश अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण अपने बच्चों के जन्मदिन में शामिल नहीं हो पाते थे. पामेला ने यह भी उल्लेख किया कि यश एक से बढ़कर एक रोमांटिक फिल्में बनाते हैं उन्हे रोमांस का बादशाह कहा जाता है लेकिन वास्तविक जीवन में वे बहुत ज्यादा व्यावहारिक थे.
चोपड़ा की प्रेम कहानी भले ही एक स्वप्निल शुरुआत न रही हो, लेकिन यह जोड़ी दशकों तक एक पर्फेक्ट जोड़ी कहलाई गई और सही में यह एक गैर फिल्मी क्लासिक बॉलीवुड रोमांस रहा. यशराज फिल्म्स के साथ पामेला की यात्रा 1971 में शुरू हुई जब उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस स्थापित किया. वह फिल्म निर्माण के हर पहलू में शामिल थी, पटकथा से लेकर फ़िल्म के अंतिम टच तक. यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनने वाली फिल्मों के रचनात्मक फैसलों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. वह संगीत में अपने अद्भुत टेस्ट और शैली की असाधारण समझ के लिए जानी और मानी जाती थीं. शादी के बाद पामेला अपने पति की लोकप्रिय फिल्मों में "बन्नो की आएगी बारात" और "घर आजा परदेसी" जैसे गीतों के लिए जानी जाती रही तथा विभिन्न हिंदी और पंजाबी फिल्मों में गाना शुरू किया.
गायन के अलावा, पामेला चोपड़ा ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में विभिन्न भूमिकाएँ निभाईं. वह अपने पति यश चोपड़ा कृत फिल्में "कभी कभी" की सह-लेखिका थीं और उन्होंने "आईना" फिल्म का स्वतंत्र रूप से निर्माण किया. वह बॉलीवुड की मेगा-हिट फिल्में, "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे," के साथ-साथ "मोहब्बतें," "मुझसे दोस्ती करोगे, चांदनी', लम्हे " "मेरे यार की शादी है," और "वीर ज़रा" के लिए सह-निर्माता थी और "दिल तो पागल है" की सह-निर्माता तथा लेखिका दोनों भी थीं. यहां तक कि उन्होंने "सिलसिला" और "सवाल" जैसी फिल्मों के लिए भी कलाकारों के कपड़े डिजाइन किए थे. पामेला चोपड़ा एक प्रशिक्षित डांसर भी थीं और वे यश चोपड़ा के साथ "एक दूजे के वास्ते" (दिल तो पागल है) गाने में पर्दे पर भी नजर आई थीं. पामेला चोपड़ा के गीत आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा. उसकी मीठी देसी आवाज किसी भी श्रोता को मोहित कर सकती है और गाने की भावनाओं को व्यक्त करने की उसकी क्षमता अद्वितीय थी.
यश चोपड़ा बॉलीवुड के रोमांटिक फिल्म निर्माता थे और पामेला के साथ उनकी व्यक्तिगत प्रेम कहानी एक ट्रू ब्लू प्रेम कहानी थी. एक बार यश चोपड़ा से बातचीत के दौरान उन्होने कहा था कि उनके जीवन में कई अभिनेत्रियों और स्त्रियों का उनके साथ जान पहचान थी लेकिन पामेला का उनके जीवन में जो जगह है वो इस दुनिया में ही क्या, उस दुनिया (परलोक) में भी कोई उसके दिल से निकाल नहीं सकता. पामेला का अटूट सपोर्ट और विश्वास उन्हे पल पल की प्रेरणा देने से कम नहीं था. यश चोपड़ा ने कहा था, "पाम ने मेरे जीवन में सच्चे रोमांस की सर्वोत्कृष्टता को जीवंत किया और मुझे सच्चे प्यार की सच्ची सुंदरता दिखाई."
यश चोपड़ा के जीवन और फिल्म इंडस्ट्री में पामेला का योगदान यहीं समाप्त नहीं होता है. वह बेहद परफेक्शनिस्ट भी थीं और सौंदर्यशास्त्र में उनकी रुचि और नजर गहरी थी. वह यशराज फिल्म्स में नायिकाओं को सजाने संवारने और स्टाइल करने के लिए जिम्मेदार थीं. साथ ही यशराज फिल्म्स में संगीत को सर्वोपरि रखने के लिए पामेला का ही हाथ था क्योंकि उनकी दृष्टि बेजोड़ थी और उसके पास सबसे खूबसूरत धुनों को पहचानने की ताकत थी जिसने यशराज फिल्म्स की सफलता में बहुत इजाफा किया.
2012 में यश चोपड़ा के निधन के बाद पामेला ने गायन से संन्यास ले लिया. हालाँकि, भारतीय सिनेमा के संगीत में उनका योगदान कालातीत है. उनकी आवाज उस युग का प्रमाण है जब धुनों का बोलबाला था और भावपूर्ण गायन था.
पामेला का जीवन कठिनाइयों के बिना नहीं था, जिसने चोपड़ा परिवार को अंदर तक झकझोर कर रख दिया था, इसके बावजूद, पामेला परिवार के लिए ताकत का स्रोत बनी रहीं और उन्होंने वही करना जारी रखा जो उन्हें पसंद था - परिवार को संभालना, यशराज फिल्म्स को संभालना और फिल्में प्रोड्यूस करना.
पामेला सिर्फ एक गायिका, एक पत्नी या एक फैशनिस्टा ही नहीं थी बल्कि उससे भी कहीं अधिक थीं. वह अपने बच्चों की बेहद अच्छी माँ, अपने पति की एक दोस्त और अपने परिवार की एक संरक्षक थी. उन्होने अपने व्यक्तित्व को इतनी शिष्टता और शालीनता के साथ धारण किया था कि उसकी ओर देखे बिना रहना असंभव था. उनका जीवन प्यार और जुनून का एक सेलिब्रेशन था और उनकी अटूट भावना ने सबको खुद के प्रति सच्चे रहने का मूल्य सिखाया.
पामेला चोपड़ा एक ऐसा नाम है जो फिल्म उद्योग में अपने काम के लिए, पूरे बॉलीवुड में गूंज रही है. वे हिंदी सिनेमा के महान, दिग्गज़ फिल्म निर्माता, यश चोपड़ा की पूरी दुनिया थीं, वह एक ताकत थीं और यशराज फिल्म्स साम्राज्य का एक अभिन्न अंग थीं जो भारतीय सिनेमा में कुछ बेहतरीन फिल्मों के निर्माण के लिए जानी जाती हैं. वह पूरी फिल्म बिरादरी के लिए एक शक्ति स्तंभ थीं और सिनेमा की दुनिया में उनके अपार योगदान के लिए हमेशा याद की जाएंगी. पाठकों को बता दूँ कि प्रसिध्द बॉलीवुड अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल पामेला की बुआ की बेटी है.
भारतीय सिनेमा में पामेला के योगदान को केवल यशराज फिल्म्स के साथ उनके काम तक नहीं आंका जा सकता है. वो यशराज फिल्म्स के हर पहलू में शामिल होने के साथ-साथ खुद एक कवयित्री और गीतकार भी थीं. उन्होंने 2010 में अपने पति को श्रद्धांजलि के रूप में फिल्म "पाठशाला" में 'ऐ खुदा' के लिए गीत लिखे. कविता के लिए उनका प्यार उनके काम में स्पष्ट था, और उन्हें हमेशा एक प्रतिभाशाली कवि के रूप में याद किया जाएगा.
पामेला चोपड़ा भारतीय सिनेमा के संगीत के स्वर्ण युग का पर्यायवाची नाम है. वह न केवल अपने पति की प्रेरणा थी, बल्कि अपने आप में एक संपूर्ण और निपुण गायिका भी थी. उनकी भावपूर्ण आवाज ने कई कालातीत क्लासिक्स की शोभा बढ़ाई.
पामेला की गायन शैली अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए जानी जाती थी. उनकी आवाज में एक अनूठी बुनावट थी जो कई तरह की भावनाओं को सहजता से व्यक्त कर सकती थी. पामेला की आवाज गीतों में कोमलता और स्नेह को जीवंत करती है.
पामेला चोपड़ा एक आत्मीय और अद्भुत महिला थीं, जिन्होंने अपने आसपास के सभी लोगों के दिलों को छू लिया. उनका एक जीवंत व्यक्तित्व था जो अपने आप में इन्फेकशियश था. उनकी मुस्कान, उनकी गर्मजोशी और उनके संक्रामक आकर्षण ने उन्हे फिल्म उद्योग में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया. वह स्त्री शक्ति की स्तंभ थी. बॉलीवुड और यशराज फिल्म्स उन्हे हमेशा याद रखेगी.
भारतीय सिनेमा जगत के प्रत्येक निर्माता निर्देशक, अभिनेता अभिनेत्रियां, संगीतकार और अन्य तमाम लोगों ने उनके निधन की खबर पर दुख व्यक्त किया और सोशल मीडिया पर अपनी संवेदना व्यक्त की. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस दुख की घड़ी को सहने की शक्ति दें.