साइमन एंड शूस्टर इंडिया ने अपनी आगामी किताब ‘स्ट्रेंज एन्काउंटर्स’ के प्रकाशन की घोषणा की है जिसे दिग्गज अभिनेता परीक्षित साहनी ने लिखा है. मुंबई में 28 अगस्त को मशहूर अभिनेता अनुपम खेर और अभिनेत्री दीप्ति नवल द्वारा इस किताब का विमोचन किया जाएगा.
अभिनेता और लेखक परीक्षित साहनी ने जानकारी साझा करते हुए कहा, “यह किताब निबंधों,संस्मरणों और समीक्षाओं का मिश्रण है और इसके साथ ही इसमें ऐसी चुनिंदा घटनाओं का वर्णन है जिन्होंने मेरे जीवन के सफर के दौरान अपनी एक अलग छाप छोड़ी है. रूस में एक फिल्म छात्र के तौर पर बिताए दिनों से लेकर, भारत में बसने और बॉलीवूड में अपनी जगह बनाने और सेलिब्रिटी बनने तक की मेरी यादें इसमें शामिल हैं और मेरे चिंतनशील क्षणों के दौरान जैसे जैसे वो यादें सामने आती रहीं उन्हें इस किताब में लिखा गया है.”
परीक्षित साहनी एक भारतीय अभिनेता हैं जिन्हें गुल गुलशन गुलफाम (दूरदर्शन), गाथा (स्टार प्लस), और बैरिस्टर विनोद जैसे मशहूर धारावाहिकों में प्रमुख भूमिकाओं के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही वे राजकुमार हिरानी की फिल्में लगे रहो मुन्नाभाई, 3 इडियट्स, और पीके में भी नज़र आए. वह मशहूर अभिनेता बलराज साहनी के पुत्र और प्रतिष्ठित लेखक भीष्म साहनी के भतीजे हैं.
सायमन एंड शूस्टर इंडिया के कमीशनिंग एडिटर सयंतन घोष ने कहा, “यह संग्रह मशहूर अभिनेता परीक्षित साहनी की ओर से दिल से लिखा गया है. भले ही प्रत्येक अध्याय में एक विशिष्ट घटना के बारे में वर्णन है, लेकिन यह घटनाएं उनके जीवन को यात्रा को सटीक तरीके से समझाती हैं. यह किताब पूरी ईमानदारी के साथ और हल्के फुल्के अंदाज़ में लिखी गई है, एक ऐसी शैली जो दुर्लभ होती जा रही है. यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने अपने जीवन को पूरी तरह जिया है और जिनसे पाठक विभिन्न काल्पनिक पात्रों के ज़रिए रूबरू हुए हैं और यहां उन्हें इन पात्रों को साकार करने वाले असली व्यक्ति से मिलने का मौका मिलेगा.”
स्ट्रेंज एनकाउंटर्स नामक यह किताब रूस, भारत और बॉलीवुड में परीक्षित साहनी के अनुभवों से प्रेरित निबंधों और कहानियों पर आधारित है. जहाँ एक ओर ‘द नॉनकॉन्फर्मिस्ट’ यह किताब उनके पिताबलराज साहनी की जीवनी से संबंधित थी, वहीं दूसरी ओर ‘स्ट्रेंज एन्काउंटर्स’ स्वयं को हमेशा बदलने वाले जीवन का एक अध्ययन है. यह परीक्षित साहनी के यात्रा-वर्णन, उनके जीवन की अमिट छाप और बेहतरीन अनुभवों का एक संग्रह है जो उन्होंने अपने भ्रमणशील जीवन के दौरान महान संगीतकार चैस्की की धुनों पर मॉस्को की सुनहरे वसंत ऋतु में बिताए लम्हों, मुंबई वापस लौटने, बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने और शोहरत हासिल करने के दौरान प्राप्त किया है.
परीक्षित साहनी ने अपने जीवन की उन कहानियों का वर्णन किया है जो कभी आपको हंसते हुए लोटपोट कर देती हैं तो कभी भयंकर डर का अनुभव कराती हैं. कभी वो फिल्म के सेट पर अपने थानाटोफोबिया यानि मृत्यु भय रोग से और एक अनियोजित अमरनाथ यात्रा के दौरान उनके नास्तिकवाद का सामना करते हैं; तो भी स्क्रीनराइटर दोस्तों के साथ शराब पीने पर सीख देते हैं और कभी आज के कश्मीर में संस्कृति को लेकर चल रहे युद्ध पर अत्यंत गहरी बात कह जाते हैं. वे इस किताब में जहाँ एक ओर रूस में उनके प्यार, रोमांच की और इससे जुड़ी प्यार में खाए धोखे की यादें साझा करते हैं तो वहीं दूसरी ओर एक शरणार्थी की नज़रों से पाकिस्तान पर एक अध्ययन, विविधताओं से भरे लोगों की भूमि के तौर पर भारत का इतिहास का वर्णन और आज के राजनीतिक हालात पर भी अपना पक्ष सामने रखते हैं.
स्ट्रेंज एन्काउंटर्स को परीक्षित साहनी ने बेहद विद्वत्तापूर्ण शैली में लिखा है जिसमें विभिन्न संस्मरणों का वर्णन है हिंदु, यहूदीवाद और इस्लामिक सिद्धातों के ज्ञान की बातें हैं. एक फिल्म छात्र के रूप में सोवियत रूस में जीवन, भारतीय सिनेमा के लिए महान रूसी कलाकार स्टेनिस्लावस्की के प्रति समर्पण और इस यात्रा के दौरान अपनी जगह बनाने और सुकून पाने के परीक्षित साहनी के जीवन का अनेक संस्कृतियों वाला और बहुआयामी कथानक इस किताब में पाठकों को एक दिलचस्प और आसान भाषा में पढ़ने मिलेगा.
-राकेश दवे