आर्थिक तंगी झेल रहे हिंदी व पंजाबी फिल्मों के चर्चित कलाकार रहे सतीश कौल ने लोगों से माॅंगी मदद By Pooja Chowdhary 21 May 2020 | एडिट 21 May 2020 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर बी आर चोपड़ा के मैथोलाॅजिकल सीरियल‘‘महाभारत’’में भगवान इंद्र का किरदार निभा चुके हिंदी और पंजाबी फिल्मों के सशक्त अभिनेता सतीश कौल इन दिनों एक एक पैसे के मोहताज हैं।सीरियल ‘‘महाभारत’’में भगवान इंद्र बनकर कर्ण से उसके कवच व कुंडल माॅंगने गए थे,मगर अब अपनी निजी जिंदगी में सतीश कौल लोगों से पैसे की मदद मांग रहे हैं। अभिनेता सतीश कौल किसी परिचय के मोहताज नही है। ‘कर्मा’, ‘चाची नंबर वन’सहित तकरीबन 300 हिंदी और पंजाबी फिल्मों तथा ‘महाभारत‘,‘सर्कस‘और ‘विक्रम बेताल‘ में अलग अलग किरदारों को निभा चुके हैं।हिंदी फिल्मों में काम न मिलता देख वह 2011 में लुधियाना, पंजाब चले गए थे।सतीश कौल ने लुधियाना में अपना एक एक्टिंग स्कूल भी खोला था।बताया जाता है कि उनका वह एक्टिंग स्कूल फ्लॉप हो गया और उसमें लगे सारे पैसे भी डूब गए। पर अब वह पंजाब के लुधियाना शहर में एक छोटे से मकान में रहने के लिए मजबूर हैं।इस मकान का वह हर माह साढ़े सात हजार रूपए किराया देते हैं।पर लाॅक डाउन के दिनों में अब सतीश कौल को मकान का किराया देने के साथ साथ ही अपनी दवाइयां और राषन वगैरह खरीने के लिए पैसों की तंगी है,जिसके लिए उन्होने लोगों से मदद की गुहार लगायी है। सतीश कौल ने कुछ समाचार एजेंसियों से बात करते हुए कहा है- ‘‘लॉकडाउन के चलते मेरी मुश्किलें कई गुना बढ़ गयीं हैं. मुझे घर के किराए,दवाइयों और राशन-पानी के लिए पैसों की सख्त जरूरत है।उम्मीद है कि लोग मेरी मदद के लिए आगे आएंगे।’‘ सतीश कौल आगे कहते हैं-‘‘बतौर अभिनेता मुझे लोगों से भरपूर प्यार मिला है।मगर अब मैं अपने प्रशसंको से आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक इंसान के तौर पर मदद की गुहार लगा रहा हॅूं।’’ इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के अनुसार जब सतीश कौल को बतौर अभिनेता काम मिलना कम हुआ,तो मुसीबत के वक्त उनका साथ देने की बजाय उनकी बीवी और बेटा भी उन्हें छोड़कर दक्षिण अफ्रीका जाकर बस गए।इतना ही नहीं इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक कुछ वर्ष पहले गिरने से उनके कूल्हे की हड्डी टूट गयी थी,जिसके चलते ढाई वर्ष वह अस्पताल में रहे और फिर कुछ समय लुधियाना के विवेकानंद वृद्धाश्रम में रहे।पर अब वह किराए के मकान में रह रहे हैं।उनके पास न तो खाने-पीने के पैसे हैं और न ही दवाइयों का खर्च उठाने के पैसे हैं। शान्तिस्वरुप त्रिपाठी हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article