लोकप्रिय एडुटेनमेंट (शैक्षिक-मनोरंजन) शो ‘मैं कुछ भी कर सकती हूँ’ 240 मिलियन युवा भारतीयों के साथ जुड़ने को तैयार

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By Mayapuri Desk
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लोकप्रिय एडुटेनमेंट (शैक्षिक-मनोरंजन) शो ‘मैं कुछ भी कर सकती हूँ’ 240 मिलियन युवा भारतीयों के साथ जुड़ने को तैयार

लोकप्रिय एडुटेनमेंट शो ‘मैं कुछ भी कर सकती हूँ’ ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए न सिर्फ युवा दर्शकों के साथ संवाद कायम करने में भारतीय टीवी शो के लिए एक मानदंड स्थापित (बेंचमार्क सेट) किया है बल्कि इस शो में देश के 240 मिलियन युवाओं तक पहुँचने की क्षमता है। मैं कुछ भी कर सकती हूँ के फेसबुक पेज पर एआई-पावर्ड डॉ स्नेहा चैटबोट को यूजर्स से यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर संवाद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुटरेजा कहती हैं, “डॉ स्नेहा चैटबोट का मकसद शिक्षा प्रदान करना और स्वस्थ युवा व्यक्तियों का एक समुदाय तैयार करना है जो बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपने मौजूद विकल्पों से परिचित हों। यह चैटबॉट आईवीआरएस, रेडियो और सामुदायिक मीडिया के माध्यम से ट्राँसमीडिया एक्सटेंशन के साथ अधिकतम लोगों तक पहुँचने के लिए हमारे द्वारा अपनाए गए 360-डिग्री दृष्टिकोण का एक हिस्सा है। हम ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में पहली पीढ़ी के डिजिटल मीडिया यूजर्स के साथ जुड़कर पहुँच और इच्छित प्रभाव को बढ़ा रहे हैं।”

मुटरेजा कहती हैं, 'अपनी लॉन्चिंग के एक महीने के भीतर ही डॉ स्नेहा चैटबोट ने 32,700 सक्रिय यूजर्स के साथ एक मिलियन से अधिक लोगों से संवाद किया है जो 68% की उच्च सदस्यता दर के साथ स्वेच्छा से चैटबॉट से नोटिफिकेशंस और कंटेंट प्राप्त करने के लिए सहमत हुए हैं।'

शो के निर्माता और निर्देशक फ़िरोज़ अब्बास ख़ान का दावा है, “डॉ स्नेहा चैटबॉट एडुटेनमेंट के क्षेत्र में एक अनूठा प्रयास है। यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर संचार सुविधा के विचार के साथ हम उन सवालों को भी संबोधित करते हैं जो शो में उठाए जाते हैं। पहली पीढ़ी के डिजिटल यूजर्स की बढ़ती संख्या के साथ  डॉ स्नेहा चैटबोट में भारत में 200 मिलियन से अधिक यूजर्स तक पहुंचने की क्षमता है।”

दूरदर्शन की महानिदेशक सुप्रिया साहू कहती हैं, “दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक प्रसारण नेटवर्क के तौर पर भारत के सबसे दूर-दराज के हिस्सों को कवर करना  और सार्थक सामग्री दर्शकों तक पहुँचे यह सुनिश्चित करना हमारी ज़िम्मेदारी है। मैं कुछ भी कर सकती हूँ की लोकप्रियता के साथ हमने दर्शकों को आईवीआरएस पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए एक विंडो (खिड़की) भी बनाई थी। पिछले सीज़न को दर्शकों की तरफ से 1.7 मिलियन कॉल मिले और अब डीडी पर प्रसारण के अलावा युवाओं के साथ संवाद का विस्तार करने के लिए चैटबॉट एक स्वागत योग्य पहल है। ”

चैटबोट को अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरों से मिले सक्रिय इनपुट के साथ बनाया गया है। यह वीडियो, क्विज़ और कहानियों जैसी मनोरंजक सामग्रियों के माध्यम से सूचनाएँ प्रदान करता है और सरकार के राष्ट्रीय हेल्पलाइन्स से भी जुड़ता है, जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का परिवार नियोजन टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर भी शामिल है।

सीज़न 1 और 2 में धारावाहिक का मूल्यांकन स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा किया गया है और अब सीज़न 3 के साथ भी एक बाहरी मूल्यांकन की योजना बनाई गई है।  दर्शकों पर इसके असर पर नजर रखने के साथ-साथ ही एपिसोड्स प्रसारित किए जा रहे हैं। सीज़न 1 और 2 के कुछ प्रमुख मूल्यांकन परिणाम थे: जिन पुरुषों ने जवाब दिया कि उन्होंने खुद को घरेलू हिंसा में लिप्त माना और उनके सीरियल देखने के बाद घरेलू हिंसा में 20 प्रतिशत तक की कमी आई, शो देखने के बाद जल्द विवाह के दुष्परिणामों को समझने वाले पुरुष दर्शकों की संख्या 2% से बढ़कर 31% तक पहुँच गई। शो को 40% युवाओं सहित बराबर अनुपात में पुरुषों और महिलाओं ने देखा।

डिजाइन और रोल आउट में भारतीय और वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा निर्देशित मैं कुछ भी कर सकती हूँ एक युवा डॉक्टर डॉ. स्नेहा माथुर के प्रेरक सफर के इर्द-गिर्द घूमती है जो मुंबई में अपने आकर्षक कैरियर को छोड़कर अपने गाँव में काम करने का फैसला करती है। इसकी कहानी डॉ. स्नेहा के सभी के लिए बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के संघर्ष पर केंद्रित है। उनके नेतृत्व में गाँव की महिलाएँ सामूहिक कार्रवाई के ज़रिए अपनी आवाज़ उठाती हैं। दूसरे सीज़न में महिलाओं के साथ युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया था। तीसरे सीज़न में डॉ. स्नेहा माथुर को नए मुद्दों से निपटते हुए देखा जा सकता है  जिसमें एक नए सशक्त नारे 'मैं देश का चेहरा बदल दूँगी' के साथ स्वच्छता- साफ-सफाई और परिवार नियोजन शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर प्रशंसित इस एडुटेनमेंट शो के तीसरे सीजन के निर्माण के लिए पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया को आरईसी फाउंडेशन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन का सहयोग मिला है।

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