मायापुरी के पिछले अंक में हमने सन्यास अश्रम तथा द इंडियन प्लानेटरी सोसाइटी, परमार्थ सेवा समिति और गुजराती सेवा समाज द्वारा सन्यास अश्रम विले पार्ले पश्चिम, मुंबई में गौ महोत्सव का पावन उत्सव के बारे में लिखा था जो भारतीय संस्कृति में विश्व माता माने जाने वाली सार्वभौमिक मां अर्थात हमारी गौ माता पर बृहद अंतर्दृष्टि के उत्सव के बारे में जानकारी दी थी जिसमें अध्यक्ष थे महामंडलेश्वर 1008 श्री स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरीजी महाराज, आशिर्वचन परम पूज्य श्री मोरारी बापू तथा गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में देश के कई गणमान्य हस्तियों के साथ भारतीय सिनेमा तथा टीवी और ओटिटी जगत के सुप्रसिद्ध हस्ती श्री प्रेम रामानंद सागर, बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर उपस्थित रहने की बात मैंने पिछली बार जिक्र किया था।
जहां प्रोग्राम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरीजी महाराज तथा अन्य सभी गणमान्य जनों ने मॉडर्न जमाने के तुलसीदास माने जाने वाले डॉक्टर रामानंद सागर की अमर मेगा टीवी श्रंखला 'रामायण' को याद किया और उनके सुपुत्र श्री प्रेम सागर द्वारा, उनके पुत्र-धर्म और पितृ ऋण पालन करने हेतु उठाए प्रत्येक कदम की सराहना करते हुए उनका स्वागत किया। "उस उत्सव में प्रेम सागर जी ने वो घोषणा की थी जिसे सुनकर भारत के प्रत्येक सनातनी का आनंदित हो जाना यह जाहिर करता है कि न जाने कब से भारत वासी इसी घोषणा का इंतज़ार कर रहे थे कि हमारे देश में पवित्र माने जाने वाली गौ माता को समर्पित, कोई ऐसी बृहद श्रंखला निर्मित करने का, बीड़ा उठाए जिससे दुनिया के कोने कोने में गौ माता की महिमा का बखान और वर्णन हो।"
"उस कार्यक्रम के दौरान प्रेम सागर जी ने घोषणा की थी कि वे जल्द ही एक भव्य मेगा सीरीज निर्मित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जो भारतीय संस्कृति में विश्व माता मानी जाने वाली सार्वभौमिक मां अर्थात हमारी गौ माता, या कहें 'कामधेनु' को समर्पित होगी। इस घोषणा ने भारत के हर सच्चे भारतीय को गद-गद कर दिया कि जिसका इंतज़ार इतने वर्षो से हो रहा था आखिर वो इच्छा फलीभूत होने जा रही है।" आज उसी गौमहोत्सव के बारे में प्रेम सागर जी से जब मेरी दोबारा बातें हुई और मैंने उनसे उनकी मेगा शो 'कामधेनु के बारे में जानकारी देने की गुजारिश की तो उन्होने मुझे उनके जीवन में आंखो देखी एक ऐसी आश्चर्यजनक सत्य घटना के बारे में बताया जिसे सुनकर मैं हैरान रह गई।
इस घटना ने लीजेंड फ़िल्म मेकर डॉक्टर रामानंद सागर को प्रेरित किया कि वे लगातार ब्लॉक बस्टर फिल्में बनाने की अपनी होड़ पर ब्रेक लगाए और प्रत्येक भारत वासी को सनातन धर्म के प्रति उन्मुख करने का बीड़ा उठा ले। प्रेम सागर जी ने उस दिव्य घटना को याद करते हुए बताया, यह सन् 1986 के दशक की बात है, धारावाहिक 'रामायण' बनाने के एक वर्ष पहले की घटना रही होगी। पूरा सागर परिवार अपने जुहू स्थित सागर विला बंगले में सुबह के नित्य कर्मों में व्यस्त थे। पापाजी (डॉक्टर रामानंद सागर) प्रत्येक दिन की तरह उस दिन भी बंगले के टेरेस पर कबूतरों को दाना खिला रहे थे। यह उनका नित्य कर्म था।
(हमारे लिफ्ट-कम स्टोर रूम में कई बोरियां बाजरे की हमेशा भरी रहती थी) पापाजी प्रत्येक कबूतर को कोई न कोई ऋषि मुनि का पुनर्जन्म मानते थे, किसी कबूतर को वे भृगु ऋषि कहते थे तो किसी को ऋषि वशिष्ठ, किसी को अत्री तो किसी को पुलास्ट। तो पापाजी छत पर थे और बाकी सब लोग सुबह के कामों में व्यस्त थे। अचानक तभी हमारे बंगले का वॉच मैन भागते दौड़ते छत पर आया और हाँफ्ते हुए बोला कि सब लोग जल्दी नीचे चलिए, देखिए क्या हुआ है। एक गाभीन गाय ने बंगले के गेट पर बच्चे को जन्म दे दिया है। यह सुनते ही हम सब भागते हुए नीचे आए तो देखा एक सुंदर सी उज्ज्वल गाय ने सचमुच बछड़े को जन्म दे दिया है।
इस दिव्य दृश्य को देखकर हम सब हैरान रह गए। तुरंत हम सबने गौ माता और उनके बच्चे को गेट के अंदर सुरक्षित स्थान पर ले आए और गाय को चना गुड़ खिलाया। बच्चे और मां को साफ किया, नहलाया। और कुछ समय बाद स्वस्थ हो कर दोनों गेट से निकल कर चले गए। उस दिन के बाद से हमारे घर में कभी कोई दुरूह समस्या नहीं आई, हर काम बनता गया। उसके पश्चात ही 'रामायण' बनी और इतिहास रच दिया। हम सबको यह विश्वास है कि उस दिन हमारे घर में "गौ माता कामधेनु" ही पधारी थी और पापाजी को आशिर्वाद दे कर चली गई। उसी दिन पापाजी और हम सबने संकल्प लिया कि आगे चलकर हम माता 'कामधेनु ' पर एक भव्य सिरीज़ जरूर बनाएंगे। आज वो समय आ गया है।
पैंतीस वर्ष बाद। इस विषय पर पांच वर्षो के अथक रिसर्च करने के पश्चात अब हम पूरी तरह से तैयार हैं भव्य पैमाने पर 'कामधेनु' पर मेगा सिरीज़ बनाने के लिए। जिस तरह से 'रामायण' के मेगा धारावाहिक बनाते ही भारत में जन जन तक हिन्दुत्व की लहर दौड़ गई थी, और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम के दिव्य जीवन के बारे में बच्चे बच्चे जान गए थे, दुनिया राम मय हो उठी थी, ठीक उसी प्रकार अब गौमाता, 'कामधेनु' को लेकर जन जागरण अभियान चलाना है। इस मेगा श्रंखला में द्वापर युग भी है, त्रेता युग भी है, इसमें परशुराम भी आएंगे और इसमें अर्जुन भी आएंगे , वशिष्ठ मुनि भी आएंगे , समुन्दर मंथन भी होगा , कृष्ण, राधा के साथ गोलोक भी आएंगे , बहुत ही विशाल पैमाने पर यह सीरीज़ बनेगी।
इससे जितने भी भारतवासी हैं, उनको गौ माता के बारे में संपूर्ण ज्ञान मिलेगा। यह हमारा संकल्प है कि 'कामधेनु' मेगा सिरीज़ के साथ हम जन जन तक गउमाता के लिए श्रद्धा, भावना और प्रेम भरना चाहते हैं। सबको पता चलना चाहिए कि गउमाता आई कहाँ से। गउमाता आई है श्री कृष्ण भगवान के बाएं हाथ से। सबको रिएलाईज़ करना चाहिए कि असली माता तो गौ माता ही है, वो सबकी माता है। और ये गोवर्धन, गो लोक, गोकुल यह सब गौ माता के साथ संलिप्त है। यह बहुत यूनिवर्सल है। इसपर अभी तक कुछ बना नहीं। हमारा संकल्प यही है कि पापाजी जो द्वीप प्रज्वलित कर गए थे, उसे, पुत्र होने के नाते, पुत्र धर्म का पालन करते हुए, आगे लेकार चलना है । पापाजी की जो इच्छा थी कि जन जन तक राम की कथा पहुंचे, पूरे संसार में राम की महिमा की गाथा पहुँचे। पूरा संसार राम मय हो जाए। तो वो रामायण मेगा सीरीज के साथ सम्पन्न हुआ।
मैंने प्रेम जी से पूछा," रामानंद सागर जी ने कब यह संकल्प लिया था कि 'कामधेनु' पर सीरीज़ बनाना है?'
इसपर प्रेमजी ने कहा, "यह 1986 में जब हमारे बंगले के गेट पर गौ माता आई थी और बच्चे को जन्म दिया था, तब से पापाजी और हम सबके मन में गौ माता पर कोई सीरीज़ बनाकर, घर घर तक गौ माता के बारे में ज्ञान, श्रद्घा, भाव बढ़ाने का संकल्प लिया था जो अब जाकर घर घर तक पंहुचने वाली है। एक दिन मैंने पापाजी के मंदिर में कामधेनु की छोटी सी प्रतिमा रखी हुई देखी । जिसे देखकर मै हैरान रह गया। फिर कुछ वर्षो बाद मै मद्रास गया तो वहां एक ऐंटिक डीलर के घर पर जब मै गया तो वहां भी कामधेनु की तीन चार फुट की तंजोर की पेंटिंग मिली जो सोने से मढ़ी होती है। तो इस तरह लगातार कामधेनु की छाया मुझ पर पड़ती गई।
मेरे घर में एक शंख आया, मुझे पता ही नहीं था कि यह कामधेनु शंख है। और जो समुंदर मंथन में चौदह रत्न उभरे उनमें से एक कामधेनु और शंख थे। अर्थात गौ माता भी समुंदर मंथन से ही उभरी। श्री कृष्ण और राधा जब अपने लोक में बैठे हुए थे तब राधा को अचानक प्यास लगी, श्रीकृष्ण ने अपने बाम हस्त से गौमाता की सृष्टि की, गौ माता का दूध राधा को पिलाया। तब थोड़ी सी दूध गिर गई और वो दूध क्षीरसागर बन गई। गौ माता ने श्रीकृष्ण से पूछा, "आपने मेरी सृष्टि की लेकिन मेरा काम क्या है?" तब श्रीकृष्ण ने उन्हे कहा, "आप अभी सातवें पाताल लोक में जाकर रहिए, जब समुन्द्र मंथन होगा, तो उसमें से आप फिर से उदय होंगी । तो जब समुन्द्र मंथन हुआ तो कामधेनु का उदय हुआ। इस तरह यह कथा इतना विशाल है, अश्वथमा, द्रोणाचार्य सब का इस 'कामधेनु' कथा में जिक्र है। इसका कैनवास बहुत विशाल है।"
प्रेम जी ने इतने वर्षों बाद, गौ माता पर सीरीज़ बनाने के संकल्प को पूरा करने की इच्छा को लेकर कहा,"रामायण के बाद एक एक करते हुए बहुत सी पौराणिक कथाओं पर हम सब काम करते रहे। लेकिन जिस तरह से आप तब तक किसी तीर्थ में नहीं जा सकते, जब तक कि वहां के भगवान से बुलावा नहीं आता है, उसी तरह हम 'कामधेनु' आज तभी बना पा रहे हैं। जब ऊपरवाले का कहीं से आदेश हुआ, उससे पहले नहीं बना पा रहे थे। आज का माहौल सनातन रोशनी से जगमगा रही है। गौमहोत्सव, गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है।
आज गउमाता हमारे देश में सबसे महत्वपूर्ण इशू है, जैसे जब 'रामायण' सिरीज़ आई तो, पूरा देश राम मय हो गया था, उससे पहले इस विषय पर कभी कोई चर्चा ही नहीं हुई थी। आज की पीढ़ी को रामायण का ज्ञान, रामायण सिरीज़ देखने के बाद ही हुआ। उस वक्त ईश्वर ने पापाजी रामानंद जी को निमित्त बनाया 'रामायण' को बना कर घर घर तक फैलाने के लिए, आज ऊपर वाले ने शायदा मुझे चुना कामधेनु सिरीज़ बनाने के लिए। मै तो बस निमित्त हूँ सब कुछ तो ऊपरवाला बना रहे है।"
"कामधेनु शृंखला के पथ प्रदर्शक तो प्रेम सागर जी ही हैं लेकिन इसे निर्देशित कर रहे हैं जयदेव चक्रवर्ती, जिन्होने बहुत काम किया है सागर आर्ट्स और सागर वर्ल्ड के लिए। वे सागर आर्ट्स की ही देन है। इस मेगा श्रंखला की शूटिंग अक्टूबर से शुरू हो रही है।