Priyanka Chopra: क्यों आया प्रियंका चोपड़ा फाउंडेशन बनाने का विचार

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By Sarita Sharma
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Priyanka Chopra: क्यों आया प्रियंका चोपड़ा फाउंडेशन बनाने का विचार

अंतर्राष्ट्रीय सुपरस्टार प्रियंका चोपड़ा ने अपनी एक्टिंग से बॉलीवुड में एक अलग पहचान बनाई हैं.वहीं एक्ट्रेस ने साल 2000 में मिस वर्ल्ड का खिताब भी जीता हैं. इसके साथ-साथ प्रियंका एक बेहतरीन गायिका भी हैं. बहुमुखी प्रतिभाशाली होने के साथ वह एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जो युवा लड़कियों को प्रेरित करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं।
प्रियंका चोपड़ा ने दिसंबर 2016  में ग्लोबल गुडविल एंबेसडर टीम में शामिल हो गई थी. इससे पहले प्रियंका ने दस साल तक यूनिसेफ इंडिया में राष्ट्रीय राजदूत के रूप में काम कर चुकी हैं. प्रियंका गर्ल राइजिंग, महिला शिक्षा के लिए एक वैश्विक अभियान, 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का भी हिस्सा बन चुकी हैं.


लड़कियों की शिक्षा ज़रुरी मानती हैं प्रियंका

उनका मानना है कि आज के युग में शिक्षा एक बुनियादी मानव अधिकार है और जरुरत भी. एक लड़की की एजुकेशन पूरी फैमली, सोसाइटी और इकोनोमी को स्ट्रॉग बनाती है. उनकी शिक्षा का परिणाम यह होगा कि हम सब बेहतर बनेंगे. हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम उन लोगों की आवाज बनें जो बेजुबान है. प्रियंका ने साल 2017 में वैरायटीज पावर ऑफ वूमेन स्पीच में कहा था.
लड़कियों को लेकर भारतीय समाज की एक तरफा सोच से प्रियंका को बहुत हैरानी होती हैं. उनके निजी जीवन में मिले बहुत से अनुभव प्रियंका चोपड़ा को समाज में सुधार से जुड़े काम करने के लिए प्रेरित करते हैं. 


 वो स्थितियां जिनसें इरादा हुआ पक्का 

प्रियंका चोपड़ा के घर में काम करने वाली नौकरानी की बेटी के स्थिति ने भी उन्हें इंस्पॉयर किया कि वह किस तरह पढ़ने की इच्छा होने के बावजूद उसे अपने भाई के लिए खुद की एजुकेशन से समझौता करना पड़ा क्योंकि उसकी मां सिर्फ एक बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाने की क्षमता रखती थी. इसी के साथ भारतीय समाज की सोच के अनुसार लड़कियों को तो शादी करके दूसरे घर जाना है तो उनपर इतना खर्च क्यों किया जाए. ऐसी सोच और घटनाएं प्रियंका को काफी आहत करती है. जिसके लिए प्रियंका चोपड़ा ने अपनी एक संस्था शुरु की जिसका नाम है- प्रियंका चोपड़ा फाउंडेशन फॉर हेल्थ एंड एजुकेशन (The Priyanka Chopra Foundation for Health and Education).


पिता से मिली सीख ने बदली जिंदगी

बचपन में प्रियंका को सिंड्रेला की कहानियों से बहुत प्यार था वह परी की कहानियों की जैसी बनने की कोशिश करती थी. लेकिन उनके पिता डॉ. अशोक चोपड़ा ने प्रियंका को समझाया कि आपको किसी और के कांच के चप्पल में फिट नही होना. ऐसी सोच तोड़कर खुद को साबित करना और अपनी एक अलग पहचान बनानी है. तुम किसी की कॉपी नही हो और न ही कॉपी बनने की कोशिश करो.प्रियंका ने आपने पिता की प्रेरणा से प्रभावित होकर उनकी याद में अपनी कलाई पर एक टैटू बनवाया जिसमें लिखा है "डैडीज़ लिल गर्ल".


कोई सपनों से दूर न रह जाए

प्रियंका चोपड़ा का कहना है कि मेरे पिता ने जो मुझमें आत्मविश्वास जगाया और खुद की अपनी अलग पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया. दुनिया में ऐसा बहुत से बच्चों है जिनके पास कोई व्यक्ति नहीं जो उनमें मेरे जैसा आत्मविश्वास जगाएं. मैं गरीबी नहीं मिटा सकती, लेकिन कम से कम मेरे आस-पास के लोगों की सुनिश्चित मदद कर सकती हूं कि कोई भी बच्चा अपने सपनों से दूर न रहे.

प्रियंका यूनिसेफ के साथ आपनी सामाजिक सुधार की यात्राओं का धन्यवाद करते हुए कहती हैं कि "यूनिसेफ के साथ इस यात्रा के साथ मैंने पहली बार युवा लड़कियों को अवसरों के साथ सशक्त बनाने की परिवर्तनकारी शक्ति का अनुभव किया है जो उनके अधिकार में हैं. मुझे एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद करने के लिए यूनिसेफ के साथ खड़े होने पर गर्व है जहां बच्चों के अधिकारों का सम्मान और रक्षा की जाती है."  

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