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रवींद्रनाथ टैगोर ने गुरु नानक जी की आरती को बताया इंटरनेशनल Anthem

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By Asna Zaidi
guru nanak dev ji
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दुनियाभर में 8 नवंबर 2022 को गुरुनानक की 553वीं जयंती मनाई गई. इस खास मौके पर हम आपको बताना चाहते हैं गुरु नानक देव जी की ऐसी आरती के बारे में जो आज  इंटनेशनल गान बन चुकी हैं. आपको बता दें कि बलराज साहनी जो बॉलीवुड के स्टार भी थे. उनका जन्म पंजाब पाकिस्तान में हुआ वह एक कवि और लेखक भी थे. एक बार जब बलराज साहनी ने रवींद्रनाथ टैगोर का इंटरव्यू किया. इस दौरान उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर जी से सवाल पूछा कि आपने इस देश का राष्ट्रगान लिखा है. आपने बांग्लादेश का भी राष्ट्रगान लिखा हैं तो क्या आप पूरी दुनिया  के लिए राष्ट्रगान लिख सकते हैं. तो रवींद्रनाथ टैगोर ने बलराज साहनी को देखते हुए कहा कि वो तो पहले ही लिखा जा चुका है. आज से कई सौ साल पहले आप ही भाषा में ये गान लिखा जा चुका है और उसको लिखने वाला कोई नहीं बल्कि गुरु नानक देव साहब जी है. और वह केवल इंटरनेशल ही नहीं बल्कि पूरी कायनाथ का गान हैं. 

 


जिसके पंजाबी बोल कुछ इस प्रकार हैं-

गगन माई थाल रवि चंदू दीपक बने तारिका मंडल जनक मोती ||
धूपू मालनलो पवनु चावरो करई सगल बनारई फूलंत ज्योति ||1||
कैसी आरती होए, कैसी आरती होए, कैसी आरती होए भवखंडन तेरी आरती, कैसी आरती होए. 

आपको बता दें कि गुरु नानक जी इस आरती के जरिए ये बताना चाह रहे है कि उस परम परमात्मा की अलग से आरती करने की जरुरत नहीं हैं. ये पूरा ब्रह्मांड और कायनाथ ही उसकी आरती कर रही हैं. हमें तो बस उसमें लीन होना हैं. शब्द में जैसा कि बताया गया हैं. गगन में थाल अर्थात ये सारा आकाश जैसे कि पूजा का थाल हो उसमें सूरज और चांद ये ग्रह उस थाल में दिये बने हुए हैं और उस थाल में मोती भी हैंऔर ये मोती है सारे तारों का समूह. और मलय पर्वत से आने वाली हवा ऐसी है जैसे वह धूप का काम कर रही हैं और ये चलने वाली हवा ऐसी प्रतीत हो रही है जैसे वह परमात्मा के चवर कर रही है  और ये सारी वनस्पति प्रभु परमात्मा के लिए ऐसे है  जैसे वह उनके लिए फूल दे रही है.

वहीं संसार की सुंदरता को दर्शाने और इसकी हकीकत से अवगत करने के लिए बॉलीवुड में भी एक गीत हैं जो बहुत पहले गाया गया था जिसे महान कवि प्रदीप ने लिखा था.

इस गीत को पढ़िए और सुनिए –

लेकिन ये अकेला गीत नहीं जिससे कवि प्रदीप की पहचान है. सन 1950 में आई अशोक कुमार की फिल्म ‘मशाल’ में कवि प्रदीप का एक ऐसा गाना था जो बहुत हिट हुआ था. इस गीत के बोल थे “ऊपर गगन विशाल, नीचे गहरा पाताल बीच में धरती, वाह मेरे मालिक तूने किया कमाल”जिसे मन्ना डे गाया था और सचिन देव बर्मन द्वारा इसे कॉम्पोज़ किया गया था.


 इस गीत के बोल भी बहुत मीनिंग फुल हैं. जरा गौर फरमाइए

ऊपर गगन विशाल नीचे गहरा पाताल बीच में धरती वाह मेरे मालिक तूने किया कमाल अरे वाह मेरे मालिक क्या तेरी लीला तूने किया कमाल ऊपर गगन विशाल. एक फूंक से रच दिया तूने सूरज अगन का गोला एक फूंक से रचा चन्द्रमा लाखों सितारों का टोला तूने रच दिया पवन झखो लाये पानी और ये शोला ये बादल का उड़न खटोला जिसे देख हमारा मन डोला सोच-सोच हम करें अचम्भा नज़र न आता एक भी खम्बा फिर भी ये आकाश खड़ा है. हुए करोड़ों साल मालिक तूने किया कमाल. ऊपर गगन विशाल.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदीप कवि सिर्फ लिखते ही नहीं थे बल्कि वह गाते भी बहुत बढ़िया थे. उन्होंने बहुत से भजन, जिनमें मशहूर ‘जय जय संतोषी माता’ भी शामिल है. वह काफी धार्मिक किस्म व्यक्ति थे और दुनिया को भी भगवान की शरण में रहने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे.  उनका एक और सदाबहार गीत – ‘देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान’ आज तक दोहराया जाता है. गांधी जी पर कवि प्रदीप का ये गीत आपने ज़रूर सुना होगा- दे दी हमें आज़ादी बिना खड़क बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल. कवि प्रदीप बच्चों के लिए लिखना भी बहुत पसंद करते थे. उन्होंने ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की’गीत न सिर्फ लिखा था बल्कि गाया भी था.

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