राज बब्बर ने उड़ेले दिल के भाव, अपने जीवन पर लिखी पहली किताब के विमोचन पर

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By Sharad Rai
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राज बब्बर ने उड़ेले दिल के भाव, अपने जीवन पर लिखी पहली किताब के विमोचन पर

अभिनेता राज बब्बर के जीवन पर लिखी गयी पहली किताब "राज बब्बर : दिल मे उतरता फसाना" का विमोचन ग्वालियर में तानसेन रेसीडेंसी में था, जहां राज बब्बर मुख्य अतिथि थे। राज बब्बर ने यहां खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त किया। इस किताब के विमोचन पर वहां पत्रकारों राज नेताओं के बीच राज बब्बर ने चर्चा सत्र में अपने फिल्मी जीवन की कई यादगार बातें शेयर किया।

             राज बब्बर आम फिल्मी अभिनेताओं से अलग हैं, वह जहां होते हैं, अपना अलग वजूद बनाते हैं। जब वे फिल्मों में आए अपनी तरह के एक अकेले नायक बनकर आए, और हैं (आजकल उनकी एक वेब सीरीज "हैप्पी फैमिली" ओटीटी अमेजोन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होरही है)। जब वे राजनीति में आये, एक अलग तेवर के साथ, औरों से अलग थलग दिखे। राज बब्बर के इसी बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालती किताब है "राज बब्बर : दिल मे उतरता फसाना" ।  जब मंच संभालते पत्रकार हरीश पाठक ने  राज बब्बर से अपने फिल्मी अनुभव सुनाने के लिए आग्रह किया तो राज ने बड़ी सरलता से जीवन की शुरुवात की बातें साझा किया- "मैं एक मध्य्म वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता हूं। मैंने अपनी जिंदगी में कोई नई बात नहीं की। लेकिन हर बात नई हो गयी। मैं उस परिवार से था जहां यह कहना मुश्किल था कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं। घर मे सबसे बड़ा होने से पूरे घर की जिम्मेदारी मेरे कंधे पर थी। चार बहने और भाई भी छोटे थे। सोचता था नौकरी करके पिताजी का बोझ हल्का करूंगा। बारहवीं का रिजल्ट आने वाला था। रेलवे  की वैकेंसी निकली थी।मैंने झूठ बोला कि पटियाला पढ़ने जाऊंगा।वहां ड्रामा विभाग में अप्लाई किया। मैंने जो रास्ता चुना बहुत संघर्ष का था।

जब फिल्मों के लिए मुम्बई गया उस जमाने मे हमें एक हज़ार मिलते थे एक फिल्म के लिए।" वह गम्भीरता से कहते हैं।

 राज बब्बर के जीवन के ये शुरुवाती दिन थे। बाद के उनके दिनों के संस्मरण "राज बब्बर : दिल मे उतरता फसाना" किताब में हैं। किताब के लेखक - संपादक हैं जाने माने पत्रकार हरीश पाठक जो कभी 'धर्मयुग' से जुड़े थे और कई अखबारों के संपादन से जुड़े रहे हैं।राज बब्बर से जुड़े संस्मरणों की इस किताब में जिन कुछ प्रमुख लोगों के अनुभव शेयर किए गए हैं उनमें 'मायापुरी' से जुड़े पत्रकार ( शरद राय) भी हैं। इस पुस्तक में राज बब्बर से जुड़े अपने अनुभव साझा करने वाले नाम हैं- अरविंद कुमार, शाहरुख खान,  चित्रा मुदगल, चंचल, सुरेंद्र पाल,  राजेन्द्र गुप्ता, शरद राय, राजा बुंदेला, हसन कमाल, अतुल तिवारी, चित्रार्थ, उदयन शर्मा, संतोष भारतीय, प्रह्लाद अग्रवाल, ओम कटारे, त्रिलोक दीप, विनोद खत्री, प्रदीप सरदाना,   विवेक शुक्ला, सुमंत मिश्र, इंद्रमोहन पन्नू आदि। ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान द्वारा आयोजित इस समारोह में शामिल थे- सांसद विवेक सेजलकर, देव श्रीमाली, राकेश त्यागी और पत्रकार तथा राजनयिक। सभी ने राज बब्बर की भाव उड़ेलने वाली बातों को बड़े मन से सुना।

  राज बब्बर ने बड़ी विनम्रता से धन्यवाद ट्वीट किया है- 

    " मैं नहीं मानता कि मैंने जो कुछ किया है उसपर किताब लिखी जाए। लेकिन मित्र हरीश पाठक मानते हैं। नतीजा है ये किताब- मेरे लिए अतीत के झरोखे की तरह। कई और दोस्त भी हरीश जी के साथ हो लिए और उनका भी धन्यवाद। संघर्ष  यात्रा जारी है।"

#राजबब्बरदिलमेउतरताफसाना

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