राजस्थान उच्च न्यायालय ने सोमवार को पुलिस को आदेश दिया कि वेब सीरीज 'आश्रम' से दलित लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए दर्ज की गई एक एफआईआर पर बॉलीवुड फिल्म निर्देशक प्रकाश झा के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न करे।
जोधपुर की लुणी पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दर्ज किये गए मामले को रद्द करने की उनकी याचिका की अगली सुनवाई तक उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ ने प्रकाश झा को राहत दी।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग की पीठ ने शिकायतकर्ता और राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किए और छह सप्ताह के भीतर प्रकाश झा की याचिका पर जवाब मांगा।
फिल्म निर्देशक के खिलाफ एफआईआर में वेब सीरीज के पहले एपिसोड में एक सीन को लेकर आपत्ति जताई है, जिसमें कुछ ऊंची जाति के लोग एक दलित समुदाय के दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ते हुए अपनी बारात में आगे बढ़ते हुए अपमानित करते नज़र आ रहे हैं।
एफआईआर को रद्द करने के लिए अदालत के आदेश की मांग करते हुए प्रकाश झा के वकील निशांत बोरा ने तर्क दिया कि पुलिस को एससी/ एसटी अधिनियम के तहत कड़े आरोप नहीं लगाने होंगे क्योंकि यह किसी का अपमान करने का वास्तविक मामला नहीं था। यह सीरीज काल्पनिक है जिसे एंटरटेनमेंट पर्पस से बनाया गया था।