जनी अर्थात रजनीकांत के शब्द हैं की मेरा विश्वास ही मेरी मुक्ति और जीत है. यहां तक कि हर फिल्म के बाद रजनी हिमालय चले जाते थे. वह ऋषिकेश में बाबा गुफा में जाकर ध्यान और क्रिया योग करते हैं. हिमालय के बारे में पूछे जाने पर रजनी कहते हैं कि वह स्थान जो उन्हें सबसे अधिक ऊर्जा देता है वह एक शब्द है. ऐसा कोई दूसरा अभिनेता नहीं है जिसके पास ऐसी कहानियाँ और अनुभव हों जो फ़िल्मी कहानियों को भी बेकार बना दें. रजनीकांत ने दिखाया कि समय यह प्रतिभा और कड़ी मेहनत से कहीं अधिक हैं.
वास्तव में शिवाजी राव गायकवाड़, एकमात्र सुपरस्टार जो साढ़े चार दशकों से भारतीय फिल्म उद्योग में हैं, एशिया में सबसे अधिक भुगतान पानेवाले अभिनेता और एक ऐसे अभिनेता जिसके प्रशंसक विदेशों में भी हैं. फिल्म जगत में थलाइवर, सार्वजनिक मंचों पर अटल दृढ़ संकल्प, किसी भी ऊंचाई पर हार न माननेवाली विनम्रता और एक सामान्य इंसान की तमाम खूबियों के साथ नजर आने वाले रजनीकांत? जब वह स्क्रीन पर पहुंचते है तो उत्पन्न ऊर्जा और चमक दूसरे स्तर पर होती हैं तथा स्क्रीन के बाहर एक हरा-भरा आम आदमी दिखाई देता है. तमिलों के लिए तो रजनीकांत एक अवर्णनीय एहसास हैं.... लेकिन भारत में कोई भी ऐसा अभिनेता नहीं है जिसे इतनी उपेक्षा और अपमान मिला हो. एवीएम रजनीकांत, अपमान से भरी आँखों के साथ स्टूडियो से नीचे आए, फिर कलाम के बाद, वही व्यक्ति जिसने उसी सड़क पर उनका अपमान किया था उसके सामने एक महंगी विदेशी कार, एंबेसडर कार में रजनी पहुंचे.
रजनीकांत ने साढ़े चार दशक से अधिक समय तक तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी भाषाओं की 160 फिल्मों में अभिनय किया. कर्नाटक में जन्मे मराठी अभिनेता, 72 साल की उम्र में, अभी भी जेलर इस फ़िल्म में अभिनय का जादू दिखाते हैं जो युवा अभिनेताओं को भी टक्कर देता हैं. रजनीकांत का जन्म एक मराठी परिवार में हुआ था जो कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर एक छोटे से गाँव नाचिकुप्पम में स्थानांतरित हो गया था. उनके पिता रानोजीराव गायकवाड़ एक पुलिस कांस्टेबल थे और बाद में बैंगलोर शहर के हनुमंत नगर चले गए. परिवार में चौथे पुत्र के रूप में जन्मे शिवाजी राव की माँ रामबाई का रजनी के सात वर्ष की आयु में ही निधन हो गया था. माँ की मृत्यु का रजनी की जवानी पर गहरा प्रभाव पड़ा. उस समय कुछ बुरी संगति थी. वह घर से पैसे चुराते थे और बिना किसी को बताए फिल्में देखने चले जाते थे. अपनी 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद, रजनी ने उन्हें कॉलेज भेजने के अपने पिता के प्रयास को नजरअंदाज कर दिया और मद्रास के लिए ट्रेन पकड़ ली. उस कार में बैठे हुए मेरी एक ही इच्छा थी कि मैं किसी फिल्म में काम करूं ऐसा रजनी को लग रहा था. वे काफी समय तक मद्रास में घूमते रहे लेकिन उन्हें कोई अवसर नहीं मिला. छोटी-छोटी नौकरियों पर टिके रहना ज्यादा दिन तक नहीं चलता. अंतत: निराश होकर रजनीकांत बेंगलुरु लौट आए. इसी दौरान उनके भाई सत्यनारायण राव को कर्नाटक परिवहन निगम में कंडक्टर की नौकरी की पेशकश की गईं. फिर भी परिवारवालों को लगा कि रजनीकांत के किरदार में सुधार किया जा सकता है.
कंडक्टर के रूप में काम करते हुए भी उन्हें देश में छोटे-छोटे नाटकों में अभिनय करने का समय मिल गया. मद्रास में फिल्म इंस्टीट्यूट में अभिनय पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए एक आवेदन निम्मी नामक एक प्रेमिका के माध्यम से भेजा गया था, जो उस समय नियमित रूप से बस से आती थी. सन 1973 में रजनी मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में शामिल हुए, लेकिन यह उनकी प्रेमिका राज बहादुर थीं जिन्होंने उन्हें पढ़ाई के दौरान आवश्यक वित्तीय सहायता दी. बाद में निम्मी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली और काफी तलाश की लेकिन वह नहीं मिली. रजनी ने अक्सर इस दुख को कई दोस्तों के साथ साझा किया है. रजनीकांत अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत सन 1975 में के.बाला चंद्रन द्वारा निर्देशित फिल्म अपूर्व रागस से की. हालाँकि, उसी वर्ष रिलीज़ हुई कन्नड़ फिल्म कथासंगामा को रजनी की पहली फिल्म माना जाता है. के. बाला चंद्रन ने शिवाजी राव का नाम भी बदलकर रजनीकांत रख दिया. रजनी अपने विकास के लिए बाला चंद्रन को अपना गुरु मानते थे. ऊर्जावान निर्देशक एस.पी. रजनी ने कई जगहों पर कहा है कि वह मुथुरमन है. मुथुरमन द्वारा निर्देशित फिल्म भुवना ओरु केल्विकुरी (1977) में रजनी की भूमिका ने उन्हें फिल्म उद्योग में प्रसिद्ध बना दिया था.
सन 1980 का दशक रजनी के अभिनय करियर का एक घटनापूर्ण समय था. पिंटिंटनगोडे रजनी की हिट फिल्में थीं. मुरुतुकलाई, पोकिरी राजा, थानिकट राजा, नान महन अल्लाई, मृंद्रुमुखम, भुवना ओरु केल्विकुर, भैरवी, टप्पम तलम, सिक्स एंड सिक्सटी और ओपम अलावुद्दीन चमत्कारी दीपक के माध्यम से मलयालम फिल्मो में आए. हिंदी में 175 दिनों तक चलनेवाले अंधा कानून ने जीत हमारी और मेरी अदालत के जरिए भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इन फिल्मों ने उस समय बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था.
के.बाला चंद्रन द्वारा स्व-निर्मित, नेट्रिकन रजनी के फिल्मी करियर में एक मील का पत्थर बन गई. सन 1988 में रजनीकांत ने हॉलीवुड फिल्म ब्लड स्टोन में भी काम किया. सन 1993 में, फिल्म की पटकथा वल्ली के रूप में लिखी गई थी. सन 1995 में आई रजनीकांत की फिल्म मुथु यह जापानी भाषा में डब होनेवाली पहली भारतीय फिल्म थी. इस एक ही फिल्म से रजनी जापान में लोकप्रिय हो गए थे. सन 2007 की फिल्म शिवाजी द बॉस ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका के चार्ट में शीर्ष पर पहुंचनेवाली पहली तमिल फिल्म बन गई. रजनीकांत ने बाशा , पदयप्पा, यंथिरन, कबाली, काला और पेटा फिल्मों से दर्शकों को रोमांचित किया.
हालाँकि, रजनी की फिल्म बाबा, जिसे उनकी अपनी फिल्म बताया गया था, बॉक्स ऑफिस पर असफल रही. फिर भी, रजनी ने वितरकों और थिएटर मालिकों को मुआवजा देकर भारत में अन्य सितारों के लिए एक मिसाल कायम की. रजनी का करियर एक ऐसा करियर है जिसने स्थापित मानदंडों को तोड़ा है. आज 2023 में सामने आकर वह कहते हैं कि उनकी खुशी का कारण उनका आध्यात्मिक जीवन हैं. यहां तक कि हर फिल्म के बाद रजनी हिमालय चले जाते थे. वह ऋषिकेश में बाबा गुफा में जाकर ध्यान और क्रिया योग करते हैं. हिमालय के बारे में पूछे जाने पर रजनी कहते हैं कि वह स्थान जो उन्हें सबसे अधिक ऊर्जा देता है वह एक शब्द हैं. रजनी के शब्द हैं मेरा विश्वास ही मेरी मुक्ति और जीत है. सिगरेट की हरकतों से लेकर चलने-बैठने, घूरने और अंगुलियों की हरकतों से लेकर हाथ से बंधे बालों के स्टाइल तक, दमदार संवादों के राजा की आज भी प्रशंसक नकल करते हैं. अगर रजनी कोई फिल्म साइन करते हैं तो उसका बिजनेस करोड़ों का होता हैं. आज भारतीय सिनेमा में कोई दूसरा अभिनेता नहीं है जो ऐसी गारंटी दे सके. अन्नामाला फिल्म में 70 मिमी. में पहली बार पर्दे पर नजर आए सुपरस्टार रजनी का नाम आज भी कहीं नहीं गया हैं. इस आदमी के शब्द, चाहे स्क्रीन पर हों या जीवन में, तमिल लोगों द्वारा अत्यधिक मूल्यवान हैं. रोने और हंसने से, रजनीकांत अपनी चमकती आँखों से लोगों को अपने करीब लाने में सक्षम थे, उन्हें थलाइवर कहा जाता था जो दशकों को पीछे छोड़ देता था.
फिल्म जेलर निर्देशक नेल्सन दिलीपकुमार द्वारा लिखित फिल्म जेलर बॉक्स ऑफिस पर आज अच्छी कमाई कर रही हैं. यह बहुप्रतीक्षित फिल्म प्रशंसकों को पूरी संतुष्टि दे रही हैं. यह फिल्म पूरी तरह से रजनीकांत का वन मॅन शो हैं. डायरेक्टर नेल्सन ने रजनी के स्टार और एक्टर होने का बहुत अच्छे से इस्तेमाल किया है. जबकि मलयालम स्टार विनायकन ने खलनायक की भूमिका निभाई. मोहनलाल, जो केवल मिनटों के लिए आए, कन्नड़ सुपरस्टार शिवकुमार और हिंदी अभिनेता जैकी श्रॉफ ने इस फिल्म को एक बड़ी स्टार कास्ट बना दिया. हालांकि वे अतिथि कलाकार के रूप में आ रहे हैं, लेकिन वे तीनों लोग दर्शकों में उत्साह का सागर पैदा कर रहे हैं. 20 साल के लंबे अंतराल के बाद, रजनीकांत अपनी पदयप्पा सह-कलाकार राम्या कृष्णन के साथ फिर से जुड़ रहे हैं. फिल्म में यह एक्ट्रेस रजनीकांत की पत्नी का किरदार निभा रही हैं. योगी बाबू, वसंत रवि, सुनील और विनायकन ने भी अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं. सन पिक्चर्स द्वारा निर्मित यह शो दर्शकों से आज भी खचाखच भरा हुआ है.