दीपावली पर पहले जो पटाखों की दीवानगी हुआ करती थी वह अब कम होती जा रही है और यह वाकई बहुत अच्छा है क्योंकि नॉइज़ पॉल्युशन और एयर पॉल्युशन कम होता जा रहा है। पहले की दिवाली में महीनों पहले से पटाखों के धमाके शुरू हो जाते थे जो दिवाली के खत्म होने के महीने भर बाद तक चलते रहते थे। मेरे ख्याल से दिवाली एक पर्सनल त्यौहार है जिसे हम सब अपने फैमिली और फ्रेंड्स के साथ सेलिब्रेट करते हैं। मैं अपनी फैमिली के साथ पूजा में शामिल होता हूं और फिर अपने दोस्तों के घर उनकी दिवाली पार्टियों में शिरकत करता हूं। अमिताभ बच्चन सर के दिवाली बैश पर भी बहुत एंजॉय करता हूं। दीपावली का अर्थ मेरे लिए फैमिली और उत्सव है। मेरी दो फिल्में 'सांवरिया', और 'ए दिल है मुश्किल', दीपावली के आसपास रिलीज हुई थी जिससे वो मेरे लिए यादगार दिवाली है। जब छोटा था तो आरके स्टूडियो में लक्ष्मी पूजा की धूम धाम मैंने बहुत एंजॉय किया। एक बार जब मैं 8 वर्ष का था तो दिवाली के अवसर पर आरके स्टूडियो में पूजा स्थल पर जूता पहनकर घुस गया था, पापा को बहुत बुरा लगा, वे जोर से चिल्लाए और मेरे सर पर एक चपत जड़ दिया। मैं बहुत रोया था। बचपन में पटाखें फोड़ता था, अब बिल्कुल नहीं फोड़ता। जब से मैंने दो डॉगी पाली है तब से पटाखे फोड़ना छोड़ दिया। मैं समझने लगा कि पटाखों के धमाके, पालतू पशु पक्षियों पर कितना बुरा असर डालते हैं। सिर्फ उनपर ही क्यों इंसानों पर भी बहुत बुरा असर होता है। मायापुरी के पाठकों को दीपावली की ढेर सारी बेस्ट विशेज़।
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