-अली पीटर जॉन
एकमात्र बार जब मैंने आसाम की आवाज सुनी है और वो आवाज़ थी भारत रत्न से अलंकृत डॉक्टर भूपेन हजारिका की. उनकी आवाज ऐसी थी कि गंगा नदी भी उनके आवाज़ पर नृत्य करने लगे.साधारण से संगीत के संपादक से भी ऐसे संगीत बनवा ले जो भगवान और इंसान को खुश कर दे. मुझे विश्वास है कि अब उनके जैसा दूसरा गायक आसाम से नहीं होगा.
पर मुझे थोड़ा बहुत पता था कि मैं इतना जी लूँगा कि मैं दूसरी हजारीका जो एक युवा महिला थी, जिनके गले में सरस्वती का वास था उनकी आवाज सुन सकूँगा. वो सबसे खूबसूरत आवाज़ के साथ सबसे मुश्किल आवाज की रानी थी (मैं लता मंगेशकर,आशा भोंसले,रूना लैला के दिनों की बात नहीं कर रहा) मैं बात कर रहा हूँ युवा महिला जिनका नाम रानी हजारीका था. जब मैंने पहली बार उनकी आवाज सुनी थी तो मैं निशब्द हो गया था. मुझे याद है जब उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने उनकी आवाज सुनकर अपनी गाड़ी रोकी थी और तब तक रुके रहे जब तक गाना खत्म नहीं हुआ और गाना खत्म होते ही उन्होंने कहा था कि ,'इस आवाज में इबादत है'.
मैं रानी हजारीका को हिंदी गाने गाते सुन रहा था और मैं उनके हिंदी पर पकड़ को देखकर काफी आश्चर्यचकित था और सबकुछ वहाँ संगीत के यश में डूबा हुआ लग रहा था. उनकी आवाज बहुत दिनों तक मेरे कानों में गूंजती रही और मेरे दिल में घर कर गई. मुझे याद है कि जब वो गाती थी तो ऐसा लगता था कि उनकी आवाज़ स्वर्ग तक पहुँच रही है और फूल पत्ते सब उनकी आवाज पर झूम रहे हैं. उनकी आवाज में कुछ तो दैविय शक्ति है जो आज के शोर भरे गीतों को भी धीमा कर देती है. मैं प्रेडिक्शन कने में बिलीव नहीं करता और अगर मैं करूंगी तो मेरे उस पर डिक्शन से रानी हजारीका के वॉइस को क्या मदद मिल सकते हैं पर मेरे अंदर एक ही ए स्ट्रांग फीलिंग है कि जितने भी प्रतिभावान व्यक्ति जिसको मैंने विश किया है वह निश्चित रूप से
हजारिका ने मुझे एक और कारण दिया है थोड़ा और जीने के लिए कि मैं देख सकूँ कि उनकी यशस्वी आवाज़ कितनी दूर तक जाती है. उनकी आवाज में हर वो बात है जो संगीत को आधुनिक और पारंपरिक दोनों रूप दें, और संगीत को जीवंत कर दे.
रानी मुझे उस समय की याद दिलाती हैं जब धुन,सुर,ताल,बीट सब संगीत की प्रतिष्ठा को बढ़ाते थे,यह तब की बात है जब शोर ने संगीत और कविता की इज्जत को डुबाया नहीं था. मैं यह सब उनकी चापलूसी करने के लिए बिल्कुल भी नहीं कह रहा और ना ही मुझे ये करने की जरूरत है क्योंकि आज नहीं तो कल लोग जरूर मानेंगे कि रानी की आवाज में जादू है जो हिंदी फिल्म का वर्तमान और भविष्य दोनो हैं. जहाँ कहीं भी उनकी आवाज सुनी जाएगी,नहीं मानने वाले लोग भी मानने लगेंगे कि संगीत भगवान का दिया हुआ एक बहुमूल्य उपहार है जिसकी रानी धनी है.
रानी को ट्रंपेट बजाना नहीं आता है. उन्होंने बहुत कम समय में अलग-अलग प्रकार के गाने गाए हैं जो संगीत के प्रति उनकी शिक्षा और जानकारी को दर्शाता है, और साथ में उनकी कविता के प्रति रुचि को भी बताता है.
कुछ गाने जिसमें उन्होंने अपनी आवाज दी है ,वो है 'नस नस में' (जिस पर वेलकम बैक के सभी कलाकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी)
'उड़नछू' जो कुछ आर्टिस्ट के ग्रुप पर फिल्माया गया था इसका गाना अमांदा रोसारियो ने गाया था. जीना इसी का नाम है व्हिस्की सोडा पियो जेडी और रिस्कनामा फिल्म का गाना सोडा नहीं पानी नहीं और शूद्र द राइजिंग का आत्मा जले, ये कुछ गाने हैं जो उन्होंने फिल्मों, टीवी के विज्ञापनों एल्बम और वो हर जगह जहाँ उनके गायन का सम्मान है वहाँ गया है और आज के जमाने में वह संगीत के श्रेणी में श्रेष्ठ है.
प्रतिभा को उसके हक का पुरस्कार मिलना चाहिए ताकि वह प्रतिभा दिन प्रतिदिन सही दिशा में बढ़ते रहें. और रानी के गायन की प्रतिभा को ये आशीर्वाद प्राप्त था. रानी को उनके गायन के लिए दादा साहब फाल्के एक्सीलेंस अवार्ड मिला, काबुल,अफगानिस्तान का अंतरराष्ट्रीय खुर्शीद टीवी अवार्ड और और भी बहुत से पुरस्कार मिले रानी को जो उन्होंने अपने घर में सजाएँ है जहाँ वो में अपने पति और बेटे राह निसार लोन के साथ रहती हैं. साथ में संगीत का एक पूरा परिवार भी उनके साथ रहता हैं.
और, ये रानी की सफलता की बस शुरुआत है. अपने दिल, दिमाग और कान को खोल कर रखें और उनकी आवाज सुनें. आपको उनकी आवाज से प्यार हो जाएगा. उनकी आवाज आपकी सभी दुख दर्द पर मलहम का काम करेगी. उनकी आवाज आपको निरंतर आशाओं की ओर ले जाएगी.
मैं बहुत खुश होता हूँ जब किसी प्रतिभावान इंसान की कद्र होते देखता हूँ. और मैं इसके लिए रानी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि मुझे उन्होंने इस दुनिया में खुश होने का मौका दिया जो कि बहुत कम मिलता है.क्योंकि आज के जमाने में खुशी बहुत ही बहुमूल्य चीज़ हो गई है. धन्यवाद