01 अगस्त 1933 को मुंबई के एक थिएटर आर्टिस्ट अली बक्श के घर एक बेटी का जन्म हुआ, जिसने आगे चलकर भारतीय सिने जगत का इतिहास ही बदल दिया. छोटी सी उम्र में ही इन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारी अपने नाजुक कंधों पर उठा ली थी. जिसका नाम था मीना कुमारी. बॉलीवुड में ट्रेजेडी क्वीन के नाम से जाने जाने वाली मीना कुमारी ने अपने हुनर और मेहनत से ना सिर्फ बेस्ट एक्ट्रेस का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता, बल्कि अपनी गजब की एक्टिंग के दम पर बॉलीवुड की एक अलग पहचान हासिल की. कहते हैं कि उनकी एक्टिंग ऐसी थी कि उनके सामने उस जमाने के मशहूर एक्टर राजकुमार, दिलीप कुमार तक अपने डायलॉग तक भूल जाते थे. वह अपने करीबियों से बहुत स्नेह रखती थी, किन्तु दुर्भाग्य से वह पूरी जिंदगी सच्चे प्यार के लिए तरसती रहीं.
तो आईये जानते है उनके जीवन के कुछ अनसुने पहलुओं को
मीना कुमारी का असली नाम महजबीं था जो 1 अगस्त, 1933 को बॉम्बे में डॉ. गाद्रे के क्लिनिक में, एक मुस्लिम पिता, अली बक्श और एक हिंदू मां, इकबाल बेगम (नी प्रभाती टैगोर) के घर जन्मी। उनकी दो बहने थी खुर्शीद और मधु।
वह 'बैजूबावरा', 'परिणीता, 'साहिब बीवी और गुलाम', 'काजल' में उनके शानदार प्रदर्शन और 'सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री' पुरस्कार प्राप्त करने के बाद इसी नाम से जाना जाने लगा।
15 साल बड़े कमाल बने पहला प्यार
मीना कुमारी को पहला प्यार हुआ, उस जमाने के फेमस डॉयरेक्टर कमाल अमरोही से, जो उनसे उम्र में करीब 15 साल बड़े थे. हैरानी की बात तो यह है कि उस वक्त कमाल अमरोही पहले से ही शादीशुदा थे और तीन बच्चों के पिता थे.
दरअसल, 1949 में कमाल अमरोही की फिल्म महल हिट हुई तो वह बतौर डॉयरेक्टर फिल्मी दुनिया में अपने कदम जमाने में सफल रहे. इस फिल्म के बाद वह उस दौर की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी को अपनी नई फिल्म अनारकली के लिए साइन करना चाहते थे. इसी सिलसिले में कमाल उनसे मिलने उनके घर पहुंचे. मगर कुछ दिनों बाद ही एक फिल्म की शूटिंग के घर से आते वक्त उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया.
इसके बाद उन्हें पुणे के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उनसे मिलने कमाल पहुंच गए. यहां मीना की बहन ने शिकायत की वह कुछ खा-पी नहीं रही हैं. तब कमाल साहब ने मोसम्मी का जूस उनकी बहन की हाथ से लिया और मीना कुमारी को सहारा देते हुए उन्हें जूस पिला दिया.
इसके बाद वह उनसे मिलने कई बार अस्पताल गए. कहते हैं कि बस यहीं से शुरू हुआ, दोनों के प्यार का किस्सा. उनके ठीक होने के बाद कमाल मीना को खत लिखने लगे, खास बात यह है कि इन खतों को ये दोनों डाक के जरिये नहीं, बल्कि एक-दूसरे से मुलाकात कर देते थे. अब दोनों एक दूसरे को रियल नेम नहीं, बल्कि दुसरे नाम चंदन और मंजू से पुकारने लगे थे.
दोनों की इस दिलचस्प प्रेम कहानी का जिक्र फेमस पत्रकार विनोद मेहता ने मीना कुमारी की बायोग्राफी– मीना कुमारी-अ-क्लासिक बायोग्राफी में किया है. कुछ दिनों तक ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, नतीजन 24 मई 1952 को मीना कुमारी ने कमाल अमरोही से शादी कर ली और इस तरह वह उनके बच्चों की छोटी अम्मी बन गईं. कुछ दिनों तक तो सब सही रहा, लेकिन शादी के बाद उनकी शादीशुदा जिंदगी में भी दिक्कतें आने लगीं. वजह थी मीना कुमारी की दिन दोगुनी रात चौगुनी शोहरत!
दोनों तलाक लेकर अलग हो गए.
वहीं दूसरी तरफ कमाल अमरोही की पहचान इंडस्ट्री में मीना के पति के रुप में ही सिमट कर रह गई. कमाल इसे सहजता से नहीं ले सके और वह मीना कुमारी पर अनेक तरह की पाबंदियां लगाने लगे. मीना कुमारी भी प्यार में होने और अपने मां-बाप के खिलाफ जाकर शादी करने के कारण वह अपने शौहर की सभी जायज-नाजायज शर्तें मानने लगीं. मगर जब पानी सिर से ऊपर निकल गया, तो ट्रेजडी क्वीन ने बगावत शुरू कर दी. नजीता यह रहा कि दोनों के तलाक लेकर अलग हो गए.
धर्मेंद्र की एंट्री ने जगाई आस, लेकिन…
प्यार में धोखा खाकर मीना कुमारी पूरी तरह टूट चुकीं थीं. इसी बीच उनकी लाइफ में एंट्री हुई धर्मेंद्र की. वह उन दिनों फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे. दोनों ने पहली बार साल 1966 में आई फिल्म फूल और पत्थर में काम किया था.
कहते हैं कि धर्मेंद्र ने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए मीना कुमारी का इस्तेमाल किया! मीना कुमारी ही थीं, जिनकी वजह से धर्मेंद्र को बहुत सी फिल्मों में काम मिला. इस तरह कई फिल्मों में एक साथ काम करते-करते दोनों एक दूजे के करीब आ गए और एक दूसरे को दिल दे बैठे.ये जानते हुए भी कि धर्मेंद्र शादीशुदा हैं, मीना और दोनों के रोमांस की खबरें पूरे देश में आग की तरह फैलने लगी.
फिर क्या हंगामा तो होना ही था!
दोनों के बीच रोमांस की अटकलों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. ये सिलसिला करीब 3 वर्षों तक चला. यहां तक आते-आते धर्मेंद्र बॉलीवुड में खुद को बतौर एक्टर स्थापित कर चुके थे. इस लिहाज से कहते हैं कि उनको अब मीना के सहारे की जरूरत नहीं रह गई थी.
सहन नहीं कर पाईं बेवफाई और…
मीना कुमारी, धर्मेंद्र के रूप में दूसरी बार प्यार में मिले धोखे को बर्दाश्त ना कर सकीं और वह पूरी तरह टूट गईं. उन्हें अवसाद ने घेर लिया और वह अपना गम को भुलाने के लिए शराब का सहारा लेने लगीं. एक प्याला जाम लेने से शुरू हुई मीना कुमारी की शराब की लत दिन पर दिन बढ़ती चली गई. ज्यादा शराब पीने के कारण उन्हें ब्लड कैंसर हो गया और वह बीमार रहने लगीं
गिले-शिकवे भूला कर पूरी की पाकीज़ा
इसी बीच उनके तलाकशुदा पति कमाल अमरोही ने फिल्म पाकीज़ा को पूरा करने के लिए उन्हें अप्रोच किया. इस फिल्म की शुरूआत तो साल 1956 में हो गई थी, लेकिन दोनों के तलाक और रिश्ते में आई दरार के कारण ये बीच में ही अटक गई थी. ट्रेजडी क्वीन ने सारे गिले-शिकवे भूला कर उनके साथ काम किया. ये फिल्म 4 फरवरी 1972 को रिलीज हुई और हिट भी रही. इस तरह पाकीजा से अमरोही को बॉलीवुड में अपनी खोई हुई पहचान वापिस मिल गई और मीना कुमारी भी अमर हो गईं.
फिल्म के रिलीज होने के बाद उसी साल अगस्त में मीना कुमारी ने अस्पताल में आखिरी सांस लीं. कहा जाता है कि एक जमाने में लाखों रुपये कमाने वाली मीना कुमारी के आखिरी दिन काफी तंगी में बीते. यहां तक कि उनके अस्पताल का खर्चा भी मीना के एक फैन डॉक्टर ने ही उठाया था.