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सिनेमा के ऊपर वैसे तो बहुत सी लिखी गयी किताबें बाजार में बिकती हैं, लाइब्रेरियों में रखी जाती हैं. लेकिन उनमें ज्यादातर शोमैन- सितारों को लेकर ही होती हैं. सिनेमा तकनीक पर भी पुस्तकें उपलब्ध हैं लेकिन सिनेमा लेखन पर विरले ही कुछ मिल पाता है. ऐसी ही जरूरत को महसूस की गई एक किताब इनदिनों सिनेमा इंडस्ट्री में चर्चा का विषय है- "फिल्मों में कथा पटकथा लेखन". इस किताब के लेखक हैं प्रोफेसर (डॉ.) रतन प्रकाश.
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इस पुस्तक की खासियत यह है कि इसे लिखने के लिए डॉ.रतन प्रकाश ने ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड की यात्राएं किया है. वह लॉस एंजेलस, हार्वर्ड (USA), फिल्म अर्काइव, फिल्म लाइब्रेरी, एफटीटीआई (पुणे), सत्यजीत रे एफटीटीआई (कोलकत्ता) आदि स्थानों पर जाकर वहां की अच्छी फिल्में देनेवाले तमाम निर्माता- निर्दशकों से मुलाकात करके उनकी स्क्रिप्ट पर काम करने की तकनीक की जानकारी प्राप्त किया है और फिर इस किताब का सृजन हुआ है.डॉ. रतन प्रकाश एमिनेंट प्रोफेसर हैं जो रांची विश्व विद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष रहे हैं. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीसन (UGC) और भारत सरकार के वित्त पोषित संसाधनों के द्वारा अपने शोध पूर्ण अनुभवों को इस पुस्तक में ऊकेरा है. डॉ. रतन प्रकाश की लिखी कई और किताबें हैं जो सिनेमा, रंग मंच, साहित्य और जीवन प्रेरित पुस्तकें है.उनमें कुछ हैं- नाटक 'दर्द ए ताज', 'फिर मिलेंगे', 'सर्किट हाउस'( उपन्यास) का उर्दू से हिंदी रूपांतरण आदि. फिल्मों में "कथा पटकथा लेखन" हिंदी में लिखी गयी एक उत्कृष्ट किताब है. यह पुस्तक न सिर्फ फिल्म से जुड़े लोगों के लिए बल्कि सिनेमा पर शोधकर्ताओं के लिए भी उतनी ही उपयोगी है.
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पुस्तक के आरंभ के डॉ.रतन प्रकाश पटकथा तथ्य और कथ्य का जिक्र करते बताते हैं- "एक समय था जब फिल्मकार लेखकों के साथ जुड़कर काम करते थे. राज कपूर के साथ ख्वाजा अहमद अब्बास, जैनेन्द्र जैन, अली राजा, इंदराज आनंद जैसे लोग जुड़े थे. देव आनंद के साथ 'गाइड' के पटकथा लेखन में विजयानंद थे. विशिष्ठ पटकथा लेखकों में मुल्कराज आनंद की 'संगम', पंडित मुखराम शर्मा की 'जीने की राह', सचिन भौमिक की 'आराधना',सागर सरहदी की 'सिलसिला', गुलजार की 'कोशिश' ये सब वैसी फिल्में हैं जो साबित करती हैं कि चुस्त दुरुस्त और सशक्त पटकथा ही सफल फिल्म का आधार बन सकती है."
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पुस्तक की अनुक्रमिकता में अनेक अध्याय का जिक्र है जैसे- अच्छे आईडियाज प्राप्त करना/ फिल्मी कथा के प्रकार/ पात्रों के सृजन के मूलमंत्र/ आरम्भ, मध्य तथा अंत/ फिल्मों में मध्यांतर की महत्ता/ दृशयों का सृजन कैसे करें/ संवाद क्या है/ समस्याओं का जन्म/ स्क्रिप्ट की लंबाई… आदिआदि ऐसे अनेक विषयों की बारीकी को बताते हुए वह कई पॉपुलर फिल्मों (मदर इंडिया, श्री 420, मुगल ए आज़म, शोले, उपकार, टाइटेनिक, एक दूजे के लिए, कोई मिलगया) का उद्धरण पेश किए हैं. लेखक ने इस किताब को लिखने में कई साल सिनेमा के अलग अलग विधाओं के जानकारों से मुलाकात करके अनुभव लिया है.वह लिखते हैं- "सारे तथ्य उजागर करते हैं कि कुशलता पूर्वक लिखी गयी पटकथा ही एक अच्छी फिल्म को जन्म दे सकती है."
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प्रोफेसर (डॉ.) रतन प्रकाश की नई किताब जो सत्साहित्य प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है- "कथा पटकथा लेखन" एक ऐसी किताब है जो ना सिर्फ नए फिल्म लेखकों, निर्देशकों का मार्ग दर्शन कर सकती है बल्कि सिनेमा उद्योग पर शोध कर्ताओं के लिए भी एक बेहद उपयोगी साधन श्रोत बन सकती है.
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