ऋचा चड्ढा ने हमेशा से अपने मन की बात खुलकर कही है और उन्होने स्पष्ट कर दिया कि वे कभी भी इससे पीछे हटने वाली नहीं हैं. हिंदी सिनेमा में अपनी मजबूत उपस्थिती के लिए जाने जाने वाली ऋचा वास्तव में एक अलग सा प्रभाव पैदा करती है. ऋचा को अपने करियर में, दो फिल्मों के आधिकारिक तौर पर दुनिया के सबसे बड़े फिल्म समारोह, कान के लिए चुना जाना और उस प्रतिष्ठित मंच पर दो पुरस्कार जीतने का सौभाग्य पाना उन्हे खुशी दे रही है. हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया के युग में किसी भी फेस्टिवल पर वहां उपस्थित लोगों के फैशन पर ज्यादा ध्यान दिया जाना, खासकर तब जब यह भारतीय सिनेमा और फेस्टिवल पर उपस्थित लोगों की बात आती हो तो यह ऋचा जैसी जागरूक व्यक्ति के लिए चुप रहने का विषय नहीं है.
ट्विटर और सोशल मीडिया भी इस विषय पर, कई तरह के रायों और प्रश्नों से भरा हुआ है कि क्या फैशन एक फिल्म समारोह का केंद्र बिंदु होना चाहिए? इस मुद्दे को लेकर ऋचा ने अपने सोशल मीडिया पर कहा, “सोशल मीडिया पर कान, फैशन, फिल्म आदि के बारे में बहुत बातें हो रही हैं. लोग यहां आने के लिए उत्साहित हैं, मैंने देखा कि वे ब्रांड/डिजाइनर/अल्कोहल लेबल को धन्यवाद दे रहे हैं जो अपने प्रभावशाली लोगों को यहां ला रहे हैं. क्या यह मार्केटिंग नंबर के लिए गियर स्थल है? तो उन्हें रहने दो. आपने देखा होगा कि ज्यादातर लोग कहते हैं कि वे रेड कार्पेट पर हैं लेकिन वे फिल्म को निर्दिष्ट नहीं करेंगे. ठीक है, वे यहां किसी फिल्म के साथ या फिल्म के लिए नहीं हैं. ऐसा कहने के बावजूद , क्या आप कान्स में पहुंचने वाली फिल्म पर काम करने के लिए अपने को भाग्यशाली महसूस करते हैं? हाँ ... यह दुनिया का सबसे अच्छा एहसास है. आखिरकार यह एक फिल्म फेस्टिवल है, चाहे कोई कुछ भी कहे. और एक कलाकार के रूप में, 7 मिनट लंबे स्टैंडिंग ओवेशन (ऋचा ने अपनी फ़िल्म 'मसान' को यह सम्मान मिलने के संदर्भ में कहा) से बड़ी खुशी और संतोष और कोई नहीं है."
बॉलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्ढा हमेशा अपने बोल्ड और निडर रवैये के लिए ऑन और ऑफ-स्क्रीन दोनों के लिए जानी जाती हैं. वह अपने मन की बात कहने से कभी पीछे नहीं हटी, और उसके मुखर स्वभाव ने उसे उद्योग में सबसे सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक बना दिया. ऋचा चड्ढा ने बॉलीवुड में अपना करियर 2008 में फिल्म 'ओए लकी लकी ओए' से शुरू किया था, लेकिन फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के उनके लीक से हटकर निडर भूमिका ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई. उन्होंने फिल्म में नगमा खातून का किरदार निभाया, वो महिला जो अपने जीवन में आए पुरुषों का सामना करने से डरती नहीं है और वह जो सही मानती है उसके लिए लड़ती है. इस भूमिका के लिए ऋचा ने आलोचनात्मक प्रशंसा अर्जित की और इंडस्ट्री ने उन्हें एक ताकत के रूप में स्थापित किया.
ऑफ-स्क्रीन, ऋचा चड्ढा अपने तमाम कार्यों और शब्दों में समान रूप से निडर रही हैं. वे महिलाओं के अधिकारों की मुखर समर्थक रही हैं और लैंगिकता , स्री-द्वेष और लैंगिक असमानता जैसे मुद्दों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है. वे भारत में #MeToo आंदोलन की मजबूत समर्थक भी रही हैं, और इंडस्ट्री में हर प्रकार के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाकर उन्होने हर बार अपने अनुभव साझा किए हैं. अपने मुखर स्वभाव के लिए अक्सर प्रतिक्रिया और आलोचना का सामना करने के बावजूद, ऋचा चड्ढा अपने विश्वासों में दृढ़ बनी हुई है और अन्याय के खिलाफ बोलने के लिए उन्होने हर संभव मंच का उपयोग करना जारी रखा है. उन्होने अपने वैश्विक प्रभाव का उपयोग पशु अधिकारों, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय जैसे कारणों को बढ़ावा देने के लिए भी किया है.
ऋचा चड्ढा के निडर स्वभाव ने न केवल उन्हें एक सम्मानित अभिनेत्री बना दिया है, बल्कि भारत में कई युवा महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल भी उन्हे माना जाता है. समाज के ज्वलंत मुद्दों पर उनका चुप रहने से इनकार करना और अन्याय के खिलाफ बोलने की उनकी प्रतिबद्धता उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो सही के लिए लड़ने में विश्वास करते हैं.
ऋचा चड्ढा के बोल्ड और निडर रवैये ने उन्हें बॉलीवुड में अलग तरह की अभिनेत्रियों में से एक बना दिया है. अन्याय के खिलाफ हर बार उठ खड़े होने की ताकत और निडरता, उनकी प्रतिबद्धता और महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए उनकी वकालत ने उन्हें भारत में कई युवा महिलाओं के लिए एक आदर्श बना दिया है. उम्मीद है कि ऋचा की तरह फ़िल्म इंडस्ट्री के ज्यादा से ज्यादा स्टार्स उनके लीडरशिप का अनुसरण करते हुए, सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए अपने मंचो का उपयोग करेंगे.