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रिषि कपूरःअलविदा जिंदा दिल इंसान,

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By Shanti Swaroop Tripathi
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रिषि कपूरःअलविदा जिंदा दिल इंसान,
सदा के लिए गुम हुआ मुस्कुराता हुआ चेहरा 
मृत्यु अटल है.जो इंसान इस संसार में आया है,उसे एक दिन इस संसार को अलविदा भी कहना है.मगर कुछ लोगों का अप्रत्याषित रूप से जाना दिल को सदमा दे जाता है.कल इरफान खान और आज रिषि कपूर का इस संसार से चले जाने की घटना धक्का पहुॅचाती है.हम सभी इसे झुठलाना चाहते हैं.जबकि हम सभी जानते थे कि उल्टी गिनती षुरू हो चुुकी हैै.यह दोनों कलाकार कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज करवाकर कुछ समय पहले ही विदेष से लौटे थे.इसके बावजूद हमें उम्मीद नहीं थी कि यह दोनों कलाकार इतनी जल्दी हमें छोड़ जाएंगे.
दो वर्षों तक ल्यूकेमिया कैंसर से जूझने के बाद गुरुवार सुबह पौने नौ बजे बॉलीवुड एक्टर ऋषि कपूर का निधन हो गया.बुधवार रात सांस लेने में परेशानी के कारण ऋषि कपूर को एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था,जहां उन्होंने आखिरी सांस ली.सुबह सबसे पहले  अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर जानकारी दी कि,‘ऋषि कपूर का निधन हो गया है और इस खबर से मैं टूट चुका हूं.’फिर ऋषि कपूर के भाई रणधीर कपूर ने भी इस बात की पुष्टि की.
रिषि कपूर से हमारी अंतिम मुलाकात मुंबई दिसंबर 2019 के प्रथम सप्ताह में हुई थी. तब उन्होेने उत्साह के साथ कहा था-‘‘मैने पिछले कुछ साल के दौरान मैने जिस तरह के किरदार निभाए,उस तरह के किरदार मैने अपने 25 साल के कैरियर में कभी नहीं निभाए.सच कहूँ तो अब अभिनेता के तौर पर ज्यादा इंज्वाॅय कर रहा हॅूं.’’
रिषि कपूरःअलविदा जिंदा दिल इंसान,
पत्रकार होने के नाते रिषि कपूर हमारी पहली मुलाकात कल्पतरू की फिल्म ‘‘पराया घर’’के प्रदर्षन के वक्त हुई थी.उसके बाद से अब तक हम हजारों बार मिले होंगे.यह वह दौर था,जब पत्रकार और कलाकार के बीच मैनेजर और पीआरओ नहीं हुआ करते थे.हम अक्सर फिल्म की षूटिंग के दौरान अथवा फिल्मी पार्टियों में आराम से मिला करते थे.उन दिनों कलाकार और पत्रकार के बीच आत्मीय संबंध ज्यादा हुआ करते थे.उनसे मुलाकात और बातचीत के सैकड़ों संस्मरण आज रह रह कर हमें याद आ रहे हैं.रिषि कपूर ऐसे कलाकार रहे हैं,जिनके अभिनय की तारीफ हर कोई करता था.वह एक जिंदादिल इंसान थे.मगर जब से वह राजनीति में रूचि रखने लगे थे और अपनी बेबका राय ट्वीट करने लगे थे,तब से कुछ लोग उनसे नाराज भी रहने लगे थे.जिसके चलते कई बार वह खुद को भीड़ में अकेला पाते थे.
तब अपनी बिरादरी के बीच ही रिषी कपूर अकेले पड़ गए थे
रिषि कपूर सोषल मीडिया पर बहुत ज्यादा सक्रिय रहते थे.यह एक अलग बात है कि दो अप्रैल के बाद उन्होने कुछ भी ट्वीट नही किया.पर वह सदैव हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय निडरता के साथ रखते थे.जबकि अमूमन उनकी अपनी बिरादरी और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग उनका साथ नहीं देते थे.मुझे याद है जब महान कलाकार विनोद खन्ना का कैंसर की बीमारी के चलते देहांत हुआ,तो उनकी अंतिम यात्रा व दाह संस्कार के समय बाॅलीवुड उमड़ पड़ा.अमिताभ बच्चन से लेकर कई बड़े दिग्गज कलाकार, निर्माता निर्देषक,लेखक वगैरह वहां जुटे, लेकिन नई पीढ़ी के कलाकार नदारद रहे.जबकि नई पीढ़ी के तमाम कलाकार उससे एक दिन पहले अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा द्वारा आयोजित पार्टी में सबसे अधिक संख्या में मौजूद थे.यह बात रिषि कपूर को खल गयी थी.इसलिए रिषि कपूर ने ट्वीटर पर लिखा था-‘‘हमारी नई पीढ़ी के कलाकार अपने वरिष्ठ सदस्यों को सम्मान नहीं देती.यह दुःखद स्थिति है कि नई पीढ़ी के कलाकार विनोद खन्ना की अंतेष्टि में नहीं पहॅुंचे,पर प्रियंका चोपड़ा की पार्टी में मौजूद रहे.जबकि नई पीढ़ी के कई कलाकार उनके साथ फिल्मों में अभिनय भी कर चुके हैं.इन्हे दूसरों का सम्मान करना सीखना चाहिए.’’ यूँ तो रिषि कपूर ने बहुत ही वाजिब मुद्दा उठाया था,मगर आज जब उनके निधन में बाॅलीवुड से जुड़े जो लोग दुःख प्रकट कर रहे हैं,उनमे से किसी भी षख्स ने इस पर उनका साथ नही दिया था और रिषि कपूर अकेेले पड़ गए थे.
रिषि कपूरःअलविदा जिंदा दिल इंसान,
लेकिन इसके पूरे पंद्रह दिन बाद कृति सैनन ने एक अखबार से बातचीत करते हुए रिषि कपूर कड़ा जवाब देते और उनके कथन का विरोध करते हुए कहा था-‘‘मेरी राय में लोग परिस्थितिवष नहीं गए.नई पीढ़ी की ही तरह मैं भी बहुत भावुक हूं.जिन्होने विनोद खन्ना के साथ काम किया है,वह अपने निजी कारणों से उनकी अंतेष्टि में नहीं पहुॅचे होंगे.ऐसे में किसी के न पहुॅचने पर मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकती.’’
राजनीति में रूचि के साथ सामाजिक विषय वाली फिल्में कीः
हर कोई जानता है कि रिषि कपूर का निक नेम‘‘चिंटू’’है.वह वहीदा रहमान सहित तमाम कलाकरों से कहा करते थे कि आप मुझे ‘चिंटू’के नाम से ही बुलाए.2009 में जब रिषि कपूर ने फिल्म‘‘चिंटू’’में षीर्ष भूमिका निभायी,तो लोगों ने कहा कि यह उनकी ऑटोबायोग्राफी वाली फिल्म है.इसी संदर्भ में जब हमने उनसे बात की थी,तो उन्होने कहा था-‘‘गलत..यह मेरी ऑटोबायोग्राफी नही है,बल्कि एक फिल्म स्टार की कहानी है,जो राजनीति में जाकर चुनाव लड़ना चाहता है.मगर इस फिल्म के किरदार में मेरे जीनन के कुछ पहलू जरुर हैं.’’
रिषि कपूरःअलविदा जिंदा दिल इंसान, Chintu Ji (2009) Bollywood Movie Poster
पर फिल्म‘‘चिंटू’’एक संदेष था,जिसका जिक्र करते हुए रिषि कपूर ने कहा था-‘मैंने इस फिल्म में अभिनय किया,क्योंकि इसमें एक अति आवष्यक संदेष है.इसमें कहा गया है कि यदि सरकार गाँवों और छोटे शहरों में भी आपकी मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखती है, तो वहाँ के निवासियों को इन स्थानों को छोड़कर सोने के हिरण के सपने दिखाने वाले शहरों की तरफ दोड़ने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा.अगर गाँवों में लोगों को कब्जे में रखने और अच्छी तरह से रखने के लिए पर्याप्त नौकरियां हैं,तो वह अपने मूल जन्म स्थान को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं होंगे.बिजली, पानी,मोबाइल जैसी मूलभूत सुविधाओं की बात की जाए, तो यह उपलब्ध है या नही यह सवाल हर सरकार को खुद से पूछना चाहिए.फिल्म में वर्तमान भारत की सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक स्थिति का चित्रण है.’’
कहने का अर्थ यह है कि वह अपने विचार सिर्फ ट्वीटर पर ही नही रखते थे,बल्कि अपनी फिल्म के माध्यम से भी प्रतिक्रिया देते थे.इस फिल्म के बाद ही रिषि कपूर ने किताब के रूप में अपनी ऑटोबायोग्राफी लिखी.
40 साल बाद रषियन अभिनेत्री केसिया रियाबिंकीना के साथ
फिल्म‘‘चिंटूजी’’एक ऐसी फिल्म रही, फिल्म ‘‘मेरा नाम जोकर’’के निर्माण के 40 साल बाद रषियन अभिनेत्री केसिया रियाबिकीना के साथ पुनः रिषि कपूर नजर आए.1970 में फिल्म‘‘मेरा नाम जोकर’’में रिषि कपूर ने छोटे राज कपूर का किरदार निभाया था.‘मेरा नाम जोकर’में रिषि के  दृष्य सिम्मी ग्रेवाल के साथ और केसिया रियाबिकीना के साथ राज कपूर के दृष्य थे.मगर 40 साल बाद फिल्म‘‘चिंटूजी’’में चिंटू जी यानी कि रिषि कपूर ,केसिया रियाबिकीना के किरदार की जिंदगी में अहम भूमिका निभाते है.इस सदभरज्ञ मे जब रिषि कपूर से हमारी बात हुइ थी,तो उन्होने कहा था-‘‘यह सच है कि 40 साल बाद मैने उनके साथ कोई फिल्म की है.इस फिल्म में काम करना एक असली अनुभव था.क्योंकि मैं ‘मेरा नाम जोकर’में एक बच्चा था.मुझे लगता है कि चिंटू जी में उन्हें बोर्ड पर लाना एक बहुत अच्छा विचार था, जो एक ऐसी फिल्म है जो मेरे जीवन पर आधारित होने के कारण आंशिक रूप से काल्पनिक, आंशिक वास्तविकता और आंशिक भ्रम है.’’
रिषि कपूरःअलविदा जिंदा दिल इंसान,
बच्चों को पूरी स्वतंत्रता
2005 की ही बात है.तब उनकी बेटी रिद्धिमा की षादी नही हुई थी.और उस वक्त हमने उनसे पूछा था कि क्या उनकी बेटी  की फिल्मों में रूचि नही है.तब रिषि कपूर ने कहा था-‘‘बिलकुल नही है.मेरी बेटी तो हिंदी फिल्में ही नही देखती.उसने लंदन में फैषन डिजायनिंग का कोर्स किया है.फिर भी उसने फैषन डिजायनिंग को कैरियर नही बनाया.मैने अपने बच्चों को पूरी स्वतंत्रता दे रखी है.’’
बेटे रणबीर कपूर को उत्कृष्ट अभिनेता मानते थेः 
मुझे आज भी याद है कि 2007 में जब फिल्म‘‘सांवरिया’’के प्रदर्षन से पहले हम उनके बेटे रणबीर कपूर से मिलने के लिए मुंबई में बांदरा के हिल रोड स्थित ‘‘कृष्णा’’ बंगले पर गए थे,तब सबसे पहले रिषि कपूर जी से ही हमारी मुलाकात हुई थी और वह बड़े अपनेपन से मिले थे.बाद में हम रणबीर कपूर से मिले थे.उस दिन वह अपने बेटे रणबीर कपूर के उज्ज्वल भविष्य को लेकर अति आष्वस्त नजर आ रहे थे.उन्होेने सिर्फ इतना कहा था कि,‘रणबीर ने अपना काम अच्छा किया है.
लगभग चार पांच साल बाद जब हमारी उनसे पुनः मुलाकात हुई थी,तो अपने बेटेे रणबीर कपूर को लेकर उन्होने कहा था-‘‘हर पिता की तमन्ना होती है कि वह अपनी संतान को प्रगति करते हुए देखे.तो रणवीर की प्रगति से हम खुष है.वह काफी मेहनत कर रहा है.’’
रिषि कपूरःअलविदा जिंदा दिल इंसान,
रितिक की तारीफ
‘‘अग्निपथ’में रितिक रोषन के साथ काम करने के बाद कहाथा-‘‘रितिक ने इस फिल्म में अपने चरित्र को निभाते समय ‘अंडरप्ले’करते हुए भी बहुत संजीदा अभिनय किया हैं.मैं तो उसे बाॅलीवुड का एक बेहतर कलाकार मानता हूं.’’
बेहतरीन चरित्रों के चलते उन्होने अभिनय में वापसी की थीः
कुछ समय तक अभिनय से दूरी बनाने के बाद जब ऋषि कपूर ने अभिनय में वापसी करने के कुछ समय बाद जब हमारी उनसे बात हुई थी,तो उन्होने कहा था-‘‘जब कोई बेहतरीन चरित्र या विषयवस्तु वाली फिल्म का आफर सामने हो तो यह कलाकार मन षांत कैसे बैठ सकता है.फिल्म ‘तहजीब’के निर्देषक मेरा यार हैं.उसके लिए मैंने इस फिल्म में मेहमान कलाकार के रूप में काम किया था.जबकि‘हम तुम’के निर्माता और निर्देषक ने मुझे इस फिल्म में धमकी देकर अभिनय करने के लिए राजी किया था.उन्होने मुझे धमकाया था कि यदि मैंने उनकी फिल्म में सैफ अली के पिता का चरित्र नही निभाया,तो वह फिल्म नहीं बनाएंगे.इसलिए किया था.‘हम तुम’एक अलग तरह की पे्रम कहानी वाली फिल्म थी.मैं तो हर तरह की पे्रम कहानी वाली फिल्मों से जुड़ा रहना चाहता हूं.‘’
‘हम तुम’से निराष हुए थेः
दबाव में आकर रिषि कपूर ने ‘‘हम तुम’’में अभिनय कर लिया था,पर वह इससे खुष नही थे.एक मुलाकात मे उन्होने इस बात को कबूल करते हुए कहा था-‘‘मुझे उस किरदार में फिल्म‘कभी कभी’वाले षषि कपूर के षेड्स नजर आए,इसलिए मैंने किया.हम तुम’के चरित्र से मैं खुद को आइडेंटीफाय भी करता हूं.वह खाने पीने वाला मौज मस्ती करने वाला इंसान था.जो कि खूबसूरत औरतों पर नजर रखता था.वह जिंदगी से प्यार करता है और अपने काम को करते हुए इन्जाॅय करता हैं.अफसोस की बात है कि फिल्म में मेरे चरित्र को सही ढंग से अंजाम नही दिया गया.उन्हें हमारे रिष्तों को एक मुकाम देना चाहिए था.लेकिन फिल्म हिट हो गई इसलिए सब ठीक हो गया.’’
‘बाॅबी’से ‘प्यार में ट्विस्ट तकः
वापसी के बाद जब ऋषि कपूर निर्देषक हृदय षेट्टी की फिल्म‘‘प्यार में ट्विस्ट’’से जुड़े थे,तो काफी उत्साहित नजर आए थे.क्योंकि राज कपूर की फिल्म‘‘बाॅबी’’में टीनएज लवर के रूप में हिट हो चुके ऋषि कपूर और डिंपल टीएन लवर की तरह ही फिल्म‘प्यार में ट्विस्ट’में दोनों प्यार में मषगूल नजर आए.फिल्म‘बाॅबी’ में इस प्रेम कहानी के दुष्मन उनके माता पिता थे,जबकि ‘प्यार में ट्विस्ट’में इस प्रौढ़ प्रेम कहानी के दुष्मन इनके बच्चे हैं.
रिषि कपूरःअलविदा जिंदा दिल इंसान,
’तीस साल बाद शोमा आनंद के साथअपने कैरियर के शुरूआती दौर में ‘‘चाॅकलेटी चेहरे’’और ‘‘लवर ब्वाॅय’’के रूप में मशहूर रहे अभिनेता रिषि कपूर कभी भी उम्र के मोहताज नही रहे.2006 में बनी निर्देषक बी एच तरूण की फिल्म‘‘लव के चक्कर’’में तीस वर्ष बाद वह शोमा आनंद के साथ रोमांटिक किरदार में नजर आए थे.इस फिल्म के संदर्भ में उन्होने कहा था-‘‘जब फिल्म के निर्देशक बी.एच.तरूण कुमार इस फिल्म की कहानी लेकर मेरे पास आए,तो कहानी पढ़कर मैं काफी खुश हो गया.इसमे मेरा मि. कोचर का चरित्र काफी कमाल का है.आज तक मैंने इस तरह का चरित्र नहीं निभाया है.घर में मेरी पत्नी धारावाहिकों के किरदारों का रूप लेकर मुझे परेशान करती रहती है और मैं बाहर लड़कियों के पीछे डोरे डालता रहता हूं.’’
शान्तिस्वरुप त्रिपाठी 
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