क्या सचमुच सैफ अली खान रावण की तारीफ में कुछ गलत कह गये हैं? By Mayapuri Desk 10 Dec 2020 | एडिट 10 Dec 2020 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर क्या सचमुच सैफ अली खान रावण की तारीफ में कुछ गलत कह गये हैं? हिन्दू धर्म का अपमान कैसे हुआ? - मायापुरी प्रतिनिधि इसकी सलाह पर नवाब ने तुरन्त सरेंडर करने का फैसला किया था हिन्दी और कई भाषाओं में 400 करोड़ की लागत से बन रही फिल्म ’आदि पुरुष’ में रावण की भूमिका कर रहे अभिनेता सैफ अली खान पिछले दिनों खूब भत्र्सना के शिकार हुए हैं। अपने को गलत ट्रोल होते देख सैफ घबरा गए और तुरंत माफ़ी मांग कर लोगों को शांत कर दिए हैं। प्रबुद्ध वर्ग को हैरानी है कि सैफ ने ऐसा कह क्या दिया था जो उनको झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा ? जो लोग सैफ को जानते हैं करीब से, वे भी हैरान हैं कि जूनियर पटौदी झुकने वालों में तो नहीं थे ! खैर, अंदर के सूत्रों का मानना है कि मामला धर्म को लेकर ट्रोल हो रहा था इसलिए बिटिया सारा अली खान की सलाह पर नवाब ने तुरन्त सरेंडर करने का फैसला किया था। 'एक प्रतापी राजा था जिसके बहन की बेइज्जती एक बनवासी ने की थी' सैफ सैफ ने यही तो कहा था कि लंकेश का किरदार निभाना उनके लिए दिलचस्प रहेगा। उसमें रावण को बुरा नहीं बल्कि मानवीय और मनोरंजक बताया गया है। हम उसे दयालु बना देंगे और सीता हरण को भी न्यायोचित बताया जाएगा। सैफ की बात में गलत क्या है, लोग बोल नहीं रहे हैं लेकिन सोच ज़रूर रहे हैं। रावण को आचार्य चतुरसेन ने ’वयम् राक्षमह’ में पूरे नायकत्व के साथ पेश किया है। उनका रावण राम पर भारी है। ज्यादातर लोग रावण को ’रामचरित मानस’ से ही जानते हैं। तुलसी के रावण में भी उदात्त राजा का ही स्वरूप है। सिर्फ एक दो प्रसंग ही हैं जो रावण का खल रूप में दिखाते हैं। किसी की बहन की बेइज्जती की जाए तो क्या भाई चुपचाप सह लेगा? सहेंगे आप? रावण की बहन (सुर्पणखा ) की नाक कटी थी तब उसने अपने शत्रु राम की पत्नी का हरण किया था। राम हमारे आदर्श हैं पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए की जहां तक कथा की बात है - राम रावण के शत्रु ही तो थे ! वह एक प्रतापी राजा था जिसके बहन की बेइज्जती एक बनवासी ने की थी। वो भी नाक काट कर। प्रसंग बस बता दें कि एक मंचित नाटक में सीता राम द्वारा परित्यागित किए जाने पर स्व - मंथन करती हैः मेरे प्रति किसकी निष्ठा अधिक थी ? राम की- जिसके साथ जंगल-जंगल भटकने के बाद वह त्यागाज्य हुई है ! अथवा रावण की- जिसने अपहरण करने के बाद भी उसे सुरक्षित अशोक वाटिका में रखा था? और छुआ तक नहीं था। दर्शकों की तालियां गड़गड़ा उठी थी। मतलब यह कि सबके देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। तुलसी दास ने 38 ग्रंथों की रचना की थी किंतु उनके राम सिर्फ ’रामचरित मानस’ में ही मर्यादा पुरुषोत्तम थे। बाल्मीकि की संस्कृत रामायण के राम कई बार अमर्यादित प्रसंगों में आए हैं। तो क्या दर्शकों को उस नज़रिए से राम या रावण को ही देखना गुनाह है? हर लेखक की अपनी सोच होती है। फ़िल्म के जो लेखक होते हैं वे पटकथा रचते हैं। सैफ ने जो बोला उसमे एक चलचित्र- लेखक का पटकथीय- नज़रिया हो सकता है। वैसे भी अभिनेता अपने रोल को लेकर वही बोलता है जो लेखक ने लिखा होता है और जिसको निर्देशक फिल्माता है। अभिनेता संवाद के मामले में पपेट होता है। तो क्या सैफ अली खान का विरोध सिर्फ इसलिए हुआ कि वह गैर हिन्दू थे? क्या विरोध करने वाले अपने धार्मिक ग्रंथों के नायक ( या पात्रों)को भली भांति पढ़े होते हैं, जानते हैं? सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध धर्मान्धता नही तो और क्या है? सैफ ने समझदारी दिखाई, मामला दब गया। वर्ना राम के नाम पर एक और ’पदमावत’ की जंग शुरू हो जाती इस देश मे !! #Sara Ali Khan #Saif Ali Khan #Ravan #Adipurush हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article