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Sanand Verma ‘‘कलाकार के लिए हर वक्त कुछ नया सीखते रहना अनिवार्य है..’’

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By Shanti Swaroop Tripathi
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  2012 में सीरियल ‘सीआईडी’ से अभिनय करियर की शुरूआत करने वाले अभिनेता सानंद वर्मा इन दिनों सब टीवी के सीरियल ‘‘भाभी जी घर पर हैं’’ में ंनजर आ रहे है. वैसे वह ‘मर्दानी’, ‘रेड’, ‘रात बाकी है’, ‘हेलमेट’ व ‘बबली बाउंसर’ सहित कुछ फिल्मों में भी अभिनय कर चुके हैं.हर बार वह अपने अभिनय से दर्शकों को  प्रभावित भी करते रहे हैं, मगर उनकी राय में अभिनय का पेशा काफी कठिन है.के रूप में आसान नहीं है.सानंद वर्मा की माने तो किसी भी किरदार में ख्ुद को तभी ढाला जा सकता है, जब कलाकार खुद को पूरी तरह से भूल जाए।
    खुद सानंद वर्मा कहते हैं- ‘‘अभिनय दुनिया में सबसे कठिन काम है.क्योंकि ईमानदार अभिनय अपने आप को भूलकर एक अलग चरित्र में ढलने के बारे में है.इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप खुद को भूलकर कोई और बन जाएं और आपको ऐसा बार-बार करना है.यह निश्चित रूप से एक बहुत ही कठिन काम है और परिदृश्य हमेशा अलग होते हैं और बदलते समय के साथ विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ आती रहती हैं।’‘
    सानंद वर्मा आगे कहते हैं- ‘‘मैं यह मानता हॅूं कि 20 वर्ष पहले की तुलना में वर्तमान समय के परिदृश्य में कलाकार के सामने अपनी प्रतिभा दिखाने के अनकों अवसर हैं.पहले ओटीटी या लघु फिल्मों का प्लेटफार्म नहीं था.उन दिनों इतने अधिक चैनल नहीं हुआ करते थे.इस समय इतने सारे टीवी चैनल, इतने सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म और ढेर सारे थिएटर हैं.इसलिए हर जगह नए नए कंटेंट का क्रिएशन हो रहा है.बहुत सारे लोग फिल्में और वेब सीरीज, टेलीविजन सीरियल और कई और चीजें जैसे डॉक्यू- सीरीज बना रहे हैं.इसलिए अभिनेताओं के लिए बहुत अधिक अवसर हैं.वहीं, अभिनेताओं की संख्या भी बढ़ी है.अब बहुत सारे अभिनेता हैं.तो निश्चित रूप से अगर अभिनेता प्रतिभाशाली है, तो उसे काम मिलने वाला है.क्योंकि अब हर जगह प्रतिभा की कद्र होने लगी है.हर कास्टिंग डायरेक्टर या निर्देशक व निर्माता की पहली प्राथमिकता होती है कि उसकी फिल्म या वेब सीरीज या सीरियल में प्रतिभाशाली कलाकार हो.ऐसे में आज की तारीख में जो  असली प्रतिभाशाली कलाकार है, उसे काम मिलना तय है.अब नए नए फिल्म निर्माता व निर्देशक भी अत्यधिक योग्य कलाकार को  तलाशने के साथ ही जोखिम लेते हुए कुछ नया करने पर आमादा हैं.जबकि पहले  सिर्फ अभिनेताओं का एक सेट होता था, जो हर दूसरी फिल्म में नजर आता था.प्रेम चोपड़ा, शक्ति कपूर,  कादर खान,अमरीश पुरी आदि... लेकिन अब यह सब बदल गया है.मुझे लगता है कि आज का परिदृश्य अभिनेता बनने का सबसे अच्छा समय है।’’

    आपके लिए अभिनय करना चुनौतीपूर्ण क्यों है? इस सवाल के जवाब में सानंद वर्मा कहते हैं-‘‘मेरे लिए किसी भी किरदार को निभाते हुए ख्ुद को भूलना ही सबसे बड़ी चुनौती रही है.खुद को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह बदलने ही सबसे बड़ी चुनौती होती है.वह भी बहुत ही वास्तविक तरीके से मुझे पूरी तरह से खुद को बदलना है.मेरी सभी वास्तविक विशेषताओं को मेरे द्वारा भुला दिया जाना चाहिए और मुझे नई विशेषताओं, चरित्र लक्षणों का निर्माण करना चाहिए.मुझे वह बनना होता है, जिसकी मैंने अपने जीवन में कभी कल्पना भी नहीं की थी.इसलिए अपने खुद के चरित्र को भूलना, और कोई और बनना मेरे लिए सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है और मुझे लगता है कि सभी वास्तविक, ईमानदार अभिनेताओं के लिए मुझे लगता है कि यह सबसे बड़ी चुनौती होनी चाहिए।’’
    वह आगे कहते हैं, “मेरी यात्रा का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा यह था कि हमारे पास पैसा नहीं था और मैंने बहुत संघर्ष किया और बाद में बहुत लंबे वित्तीय संघर्ष के बाद मुझे एक शानदार कॉर्पोरेट नौकरी मिली.लेकिन मैं फिर भी नाखुश था क्योंकि मैं एक अभिनेता हूं और मैं अपने जीवन में कभी भी कॉर्पोरेट नौकरी नहीं करना चाहता था.तो, मैं सिर्फ अपनी रसोई के लिए कर रहा था, सिर्फ अपने बिलों का भुगतान करने के लिए और फिर आखिरकार मैंने वह नौकरी छोड़ दी.मैं पहले स्थान पर वापस आया, मेरे खाते में कोई पैसा नहीं था और फिर मैंने बहुत संघर्ष किया.मुझे याद है कि मैं एक दिन में 50 किलोमीटर पैदल चलता था और यह एक नवागंतुक की तरह था जो अभी-अभी मुंबई आया था और अभिनय करना शुरू ही किया था.इसलिए, यह बेहद चुनौतीपूर्ण और दर्दनाक था लेकिन भगवान की कृपा से सब कुछ ठीक हो गया और मैं अब एक खुशहाल जगह पर हूं।’’

    बतौर अभिनेता हमेशा काम मिलना भी संभव नही...इसका जिक्र करते हुए सानंद वर्मा कहते हैं- ‘‘कलाकार के तौर पर हमें हर समय कुछ नया सीखना रहना होता है.तभी वह हमेशा अपने कौशल को तराश सकता है.इसलिए, जब प्रवाह नहीं है, तो निश्चित रूप से सीखना जारी रखना चाहिए और अपने कौशल को बढ़ाना चाहिए और सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण रखना चाहिए क्योंकि एक अभिनेता कभी यह नहीं कह सकता कि वह सब कुछ जानता है और उसने सीखना समाप्त कर दिया है.यह असंभव है.इसलिए, इस शिल्प में सीखने की गुंजाइश अनंत है.हमें सीखते रहना चाहिए और आप विभिन्न प्रदर्शनों को देखकर सीख सकते हैं, विभिन्न फिल्म निर्माताओं को देखकर, काम के प्रति दृष्टिकोण और बहुत सारे पुरस्कार विजेता प्रदर्शनों के बारे में जो हम हर समय सुनते हैं कि हम प्रदर्शन नहीं देख पाए.हमें इसे देखते हुए निश्चित रूप से उस समय का सदुपयोग करना चाहिए और इसमें बेहतर होना चाहिए.मैं यही करता हूं और यही मेरा पैशन है.जब मैं कुछ अच्छा देखता हूं तो मैं हमेशा बहुत खुश, आनंदित और बेहद उत्साहित महसूस करता हूं.इस तरह मैं अपना समय व्यतीत करता हूं और अपने आत्मविश्वास को जीवित रखता हूं।”

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