संजय दत्त (Sanjay Dutt) ने अपने लंबे करियर में कई हिट फिल्में की हैं. मुन्ना भाई फ्रेंचाइजी, अग्निपथ, खलनायक जैसी फिल्मों में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देखने को मिला. सुभाष घई द्वारा निर्देशित खलनायक उनके करियर का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था. फिल्म ने 15 जून को अपनी रिलीज के 30 साल पूरे कर लिए हैं.
इस फिल्म को मुख्य रूप से इसके एक गाने चोली के पीछे क्या है के कारण पैदा हुए जबरदस्त विवाद के लिए याद किया जाता है. इस गाने पर कई संगठनों ने आपत्ति जताई थी और खलनायक पर बैन लगाने की मांग भी की थी. हालाँकि, फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया और चोली के पीछे क्या है दर्शकों के बीच तुरंत हिट हो गई. निर्देशक सुभाष घई का मानना था कि खलनायक इस विशेष गीत के कारण राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं जीत सका. यह बात उन्होंने 6 मई, 2020 को बॉलीवुड हंगामा को दिए एक इंटरव्यू में कही थी. घई ने कहा कि फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन वह इसे जीत नहीं सकी क्योंकि चोली के पीछे क्या है गाना बेहद विवादास्पद था. निर्देशक ने यह भी कहा कि सिर्फ एक हफ्ते में गाने के 1 करोड़ कैसेट बिक गए.
चोली के पीछे क्या है को अलका याग्निक और इला अरुण द्वारा गाए गए सदाबहार गीतों में से एक के रूप में याद किया जाता है. दर्शकों ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी द्वारा रचित आकर्षक धुनों की भी सराहना की. इस गाने के बोल आनंद बख्शी ने लिखे थे.
गाने को मिली लोकप्रियता के बावजूद खलनायक को शुरुआत में उतनी सफलता नहीं मिल सकी. दर्शकों का मानना था कि निर्देशक सुभाष घई ने फिल्म में बहुत सारी चीजें शामिल करने की कोशिश की थी जो लंबे समय तक दर्शकों का ध्यान खींचने में नाकाम रही.
खलनायक की कहानी एक जेल प्रहरी गंगोत्री देवी (माधुरी दीक्षित) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक अपराधी बलराम प्रसाद (संजय दत्त) को पकड़ने के लिए एक नर्तकी के रूप में गुप्त रूप से जाती है.
समीक्षकों ने इसे औसत फिल्म करार दिया था. 1993 के मुंबई बम धमाकों के सिलसिले में संजय दत्त का नाम सामने आने के बाद यह फिल्म चर्चा में थी. संजय दत्त फिल्म की शूटिंग के लिए मॉरीशस में थे और जैसे ही वह मुंबई पहुंचे, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
हालांकि कलनायक उस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म बन गई, लेकिन गोविंदा की आंखें उससे आगे निकल गईं.