13 नवंबर 2022 को दिल्ली की शाम और भी सुहावनी हो गई जब पद्म भूषण से सम्मानित उस्ताद साबरी खान के पोते और सबसे कम उम्र के स्थापित सारंगी संगीतकार और गायक Nabeel Khan ने शनिवार को त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस में प्रस्तुति दी. प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित 18वीं तिमाही बैठक में नबील ने एकल गायन प्रस्तुत किया. नबील ने इंडो-अरेबिक पीस के साथ भारतीय शास्त्रीय राग की अपनी रचना प्रस्तुत की. उन्होंने दर्शकों को अपनी सारंगी की लाजवाब धुनों से मंत्रमुग्ध कर दिया. इस प्रस्तुति में तबले पर शाहबाज खान ने उनका साथ दिया.
नबील ने एक ताल विलम्बित में राग सौगंध के साथ अपने प्रदर्शन की शुरुआत की. इसके बाद द्रुत तीन ताल गाया, जिसे उनके दादा, महान सारंगी वादक उस्ताद साबरी खान साहब ने संगीतबद्ध किया था. यह 16-बीट टाइम साइकिल पर आधारित था. यह राग प्रकृति और जीवन के गहरे संबंध की भावनाओं को व्यक्त करता है. राग सौगंध एक अनूठा और बेहद जटिल राग है, जिसे सारंगी पर परफॉर्म करना काफी मुश्किल है, पर अपनी प्रस्तुति में नबील ने काफी सहजता के साथ प्रस्तुत किया है. अगला प्रदर्शन 'द अराइवल ऑफ सुल्तान' था, जो रेगिस्तान थीम पर आधारित एक मूल रचना थी. यह संगीत रचना एक सुल्तान की यात्रा को दर्शाती है जो संघर्षों से जुंझते हुए रेगिस्तान में अपने वैभव को फिर से स्थापित करने का प्रयास करता है.
प्रस्तुति पर अपने विचार साझा करते हुए, Nabeel Khan ने कहा, “राग सौगंध मेरे लिए एक बेहद ही विशेष राग है क्योंकि यह मेरे दादाजी द्वारा रचित था. सारंगी पर ऐसा करना वाकई मुश्किल था. मेरा मानना है कि दर्शकों के प्यार ने इसे सारंगी पर ले लिए बजाना आसान कर दिया. इस प्यार को देखते हुए मैं भारतीय शास्त्रीय संगीत को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के साथ-साथ संगीत के प्रति उत्साही लोगों का मनोरंजन करना जारी रखूंगा."
प्रसिद्ध सारंगी वादक पद्म भूषण उस्ताद साबरी खान साहब के परिवार से आने वाले और सारंगी वादकों के प्रसिद्ध मुरादाबाद घराने से ताल्लुक रखने वाले नबील पारंपरिक हिंदुस्तानी संगीत को आगे रखते हुए आधुनिक युग के संगीत के साथ सारंगी की कला को पुनर्स्थापित करने में अग्रणी हैं.