जब शबाना आजमी भी एक आनंदोलंनजीवी थी - अली पीटर जॉन By Mayapuri Desk 28 Feb 2021 | एडिट 28 Feb 2021 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर शबाना आजमी एक वामपंथी (लेफ्टिस्ट) परिवार से ताल्लुक रखती थीं, उनके पिता का नाम कैफी आजमी था, जो एक जाने-माने कवि थे और ‘इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन’ के संस्थापकों में से एक थे। और एक ऐसे व्यक्ति थे जिसने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था और उनकी मां शौकत एक प्रमुख थिएटर कार्यकर्ता थीं। वामपंथी कवि अली सरदार जाफरी ने उन्हें ‘शबाना’ नाम दिया था, जिसका अर्थ ‘शुभ स्वागत’ हैं। वह कुछ प्रमुख साहित्यकारों से घिरी हुई थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। उन्हें के. ए. अब्बास द्वारा निर्देशित फिल्म “फासला” में एक अभिनेत्री के रूप में पहला ब्रेक मिला था और उनके सभी करीबी रिश्तेदार किसी न किसी तरह से किसी न किसी आंदोलन से जुड़े थे। -अली पीटर जॉन फिर शबाना आज़मी अनिश्चितकालीन उपवास (इन्डेफनिट फास्ट) पर चली गई और इसलिए शबाना के खून में आंदोलन और क्रांति होना स्वाभाविक था। वह अपने करियर के चरम पर थी जब आंदोलन की भावना ने उन्हें ओर बेहतर बना दिया था और उन्होंने खुद को दलितों के नेता के रूप में लॉन्च करने का एक लक्ष्य बनाया। झुग्गीवासियों की सेवा के लिए एक विरोध प्रदर्शन चल रहा था। उन्होंने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने का फैसला किया और वह अनिश्चितकालीन उपवास (इन्डेफनिट फास्ट) पर चली गई और महाराष्ट्र सरकार की सीट मंत्रालय के ठीक बाहर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया। उनके अनशन पर जाने से मुंबई में एक तरह की सनसनी फैल गई और एक अभिनेत्री के रूप में उनकी प्रसिद्धि के कारण यह खबर जल्द ही पूरे देश में फैल गई थी। उनका उपवास कुछ दिनों तक चला जब तक कि वह बीमार नहीं पड़ने लगी और मीडिया (जो आज की मीडिया की तरह जंगली नहीं थी) ने उनके इस विरोध प्रदर्शन और इसके कारण को गंभीरता से लिया और उन्होंने लगभग हर दिन उनके इस प्रोटेस्ट पर खबरे बनाई। कुछ प्रमुख राजनेता और राजनीतिक पार्टियाँ भी उनके प्रोटेस्ट का हिस्सा बन गई, लेकिन जब वह बहुत बीमार हो गई तो उनके डॉक्टरों और दोस्तों ने उन्हें स्वास्थ्य कि वजह से उपवास छोड़ने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने अपना उपवास तब तक जारी रखने का संकल्प लिया था जब तक की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। एक दोपहर, उनकी तबीयत खराब हो गई और उनकी हालत शाम होने तक बदतर होती चली गई, और सारे शहर में घबराहट और चिंता फैली हुई थी। उनके मुह से झाग आने लगे थे और वह बात तक नहीं कर पा रही थी। शाम के करीब 6.30 बजे थे जब उनके करीबी दोस्त शशि कपूर और उनके परिवार के कुछ करीबी लोग कोलाबा में उनके प्रोटेस्ट स्थल पर पहुंचे। वह अपनी सफेद पेंट और सफेद कुर्ता पहने हुए थे और उनके हाथ में एक भारी सी छड़ी थी और उनके चेहरे पर फेमस शशि कपूर वाली ही मुस्कुराहट थी, जिसे कुछ लोगों ने शरार भरी मुस्कान के रूप में भी व्याख्या किया था। भीड़ तब बढ़ गई थी क्योंकि वह वो समय था जब क्षेत्र के सभी ऑफिस उस दिन बंद करा दिए गए थे। 'अरे क्यों नाटक कर रही हो, क्या चाहिए तुम्हें, सब कुछ तो है तुम्हारे पास' शशि कपूर शशि अपनी मुस्कान के साथ शबाना के पास गए और शबाना को देखते हुए कहा, “अरे क्यों नाटक कर रही हो, क्या चाहिए तुम्हें, सब कुछ तो है तुम्हारे पास” भीड़ हैरान थी, लेकिन शशि उन लोगों के सामने शबाना से पूछते रहे, जो प्रोटेस्ट का हिस्सा थे कि वह वास्तव में क्या चाहती हैं और क्यों वह इसके लिए अपनी जान जोखिम में डाल रही हैं। शबाना ने फिर शशि के कान में कुछ फुसफुसाया और शशि ने मुस्कुरा कर कहा, “बस इतनी सी बात है, तुम बैठो यहाँ मैं अभी सी. एम से मिलकर आता हूँ” और शशि वहा से चले गए और मन्त्रालय पहुँच गए और सीएम श्री. वसन्त दादा पाटिल से मिले और उनके साथ चाय पी और दोनों पुरुषों के बीच क्या हुआ, यह किसी को नहीं पता था, लेकिन शशि के चेहरे पर एक व्यापक मुस्कान थी और वह शबाना से मिलने के लिए वापस आए थे। शशि ने शबाना को बताया कि सीएम सहमत हो गए थे और यहां तक कि उन्होंने वह करने का वादा भी किया था जिसके लिए वह प्रोटेस्ट कर रही थी। वह अभिनेत्री जो अभी तक कुछ बोल नहीं रही थी वह शशि को देख कर मुस्कुराई थी, उन्होंने शशि से एक गिलास संतरे का जूस माँगा और शशि ने प्यार से शबाना को जूस पिलाया। और आंदोलन के बारे में बहुत चर्चा हुई और शबाना को उनकी पॉश कार में उनके जुहू के पॉश अपार्टमेंट में ले जाया गया। हालांकि झुग्गी वासियों के लिए कुछ भी नहीं बदला। वे अभी भी उन बुरी परिस्थितियों में रह रहे हैं जो उनके पूर्वजों के समय से वैसी ही हैं। और शबाना उस समय से मेरी एक अच्छी दोस्त रही है, जब उन्होंने अपनी पहली फिल्म की थी। हालांकि उस प्रोटेस्ट के बाद उन्होंने फिर कभी कोई प्रोटेस्ट नहीं किया और झुग्गी वालों की समस्याओं के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा था। शबाना, जो एक आनंदोलंजीवी थी को तब तक एक आनंदोलंजीवी के रूप में सुना गया था जब तक कि देश पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का चार्ज नहीं लगाया गया था, लेकिन यह प्रोटेस्ट को एक सीरियस एक्सीडेंट के कारण धीमा पड़ गया था जिसने उनकी अधिकांश गतिविधियों को रोक दिया था। उनके पति प्रख्यात कवि और गीतकार भी एक जाने माने आनंदोलंजीवी रहे हैं जो देश में आने वाले किसी भी मुद्दे के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेते हैं। ये आनंदोलंजीवी अपने आंदोलन के लिए जरूर जाने जाते हैं, लेकिन वे जिस तरह का जीवन जीते हैं, वे आम तौर पर उनके इरादों से मेल नहीं खाता हैं। यह लोग कैसे समझ सकते है आम भारतीय कि समस्या है ये आनंदोलंजीवी कैसे उन आम भारतीय के लिए उग्र भाषण दे सकते हैं जो अपनी रोटी, कपडा, मकान के लिए संघर्ष करते फिरते है, जिनके खुद के घर में खुद एक समृद्ध और सिक्स कोर्स का दोपहर और रात का खाना एक घूमने वाली कांच की मेज पर रखा रहता है? कोई समझाएगा मुझे यह बात जो मुझे सालों से सता रही है? अनु- छवि शर्मा #Shabana Azmi #JAVED AKHTAR #Farhan Akhtar #shashi kapoor हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article