आमिर खान (Aamir Khan) के चचेरे भाई, फिल्म निर्माता मंसूर खान (Mansoor Khan) ने कहा है कि जब फिल्म निर्माता एसएस राजामौली (SS Rajamouli) ने लाल सिंह चड्ढा में उनके प्रदर्शन के बारे में ऐसा कहा तो आमिर ने सोचा कि उन्होंने वास्तव में ओवरएक्टिंग की होगी. समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए मंसूर ने कहा कि उन्होंने भी आमिर को लेकर ऐसी ही बातें कही थीं.
लाल सिंह चड्ढा में आमिर की ओवरएक्टिंग
"आमिर में हास्य की बहुत अच्छी समझ है. इसलिए एक दिन वह हंसते हुए मुझसे कहते हैं, 'जब आपने मुझसे कहा था कि यह अतिशयोक्ति है, तो मैंने कहा, ठीक है, आप एक सूक्ष्म व्यक्ति हैं, यही कारण है कि आपको ऐसा महसूस हुआ होगा. लेकिन जब राजामौली जैसा कोई मुझसे कहता है कि ओवरएक्टिंग लग रहा है, तो मैंने खुद से कहा, इसको भी लग रहा है तो क्या ही होगा,'' अभिनेता-निर्देशक मंसूर ने समाचार एजेंसी को बताया. एसएस राजामौली को उनके जीवन से बड़े सेट, किरदारों और आरआरआर जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है.
मंसूर ने सबसे पहले आमिर को उनकी ओवरएक्टिंग के बारे में बताया था
मंसूर ने यह भी कहा कि वह 'इतने स्पष्टवादी' थे कि दूसरों से पहले आमिर को अपनी प्रतिक्रिया दे देते थे. “मुझे स्क्रिप्ट पसंद आई. मुझे लगता है कि लेखक अतुल कुलकर्णी ने इसमें अच्छा काम किया है. हां, मेरा मानना है कि आमिर अपने हाव-भाव से अतिशयोक्तिपूर्ण थे. मेरा मतलब है कि किरदार कोई मूर्ख नहीं है, डिस्लेक्सिया या किसी और चीज़ से पीड़ित कोई व्यक्ति नहीं है. वह थोड़ा अजीब है... लेकिन बस इतना ही. मुझे मूल ( फ़ॉरेस्ट गम्प ) में टॉम हैंक्स बहुत पसंद थे, वह अपने हाव-भाव और चरित्र चित्रण में बहुत न्यूनतम थे. बेशक, मैंने यह बात आमिर को बताई थी.'' हिंदी रूपांतरण का निर्देशन अद्वैत चंदन ने किया था और इसमें करीना कपूर और मोना सिंह भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में थीं.
मंसूर ने आमिर को उनकी 1988 की सुपरहिट पहली फिल्म कयामत से कयामत तक में निर्देशित किया था. दोनों चचेरे भाइयों ने जो जीता वही सिकंदर और अकेले हम अकेले तुम में भी साथ काम किया. मंसूर ने यह भी कहा कि जब लाल सिंह चड्ढा को 'बॉलीवुड के बहिष्कार' के आह्वान का सामना करना पड़ा, तो अभिनेता ने कहा कि बहिष्कार के आह्वान के बावजूद एक अच्छी फिल्म चलेगी. उन्होंने कहा, यह आमिर के लिए झटका था जब फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही.
मंसूर ने QSQT क्यों बनाया?
मंसूर ने कॉर्नेल और एमआईआईटी से पढ़ाई छोड़ दी और बाद में सामान्य 9-5 नौकरियों से इनकार कर दिया और इससे उसे अपने पिता के पैसे बर्बाद करने का "अत्यधिक अपराधबोध" महसूस हुआ. उन्होंने पीटीआई को बताया कि उन्होंने 'कयामत से कयामत तक ' को 'उस अपराधबोध से बाहर' निकाला. वह भी खुद को साबित करना चाहते थे, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो सके. उन्होंने कहा कि वह फिल्म के लिए अपना नाम नहीं देना चाहते.
मंसूर अब अपनी किताब 'वन: द स्टोरी ऑफ द अल्टीमेट मिथ' लेकर आए हैं. हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित, यह पुस्तक ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर्स पर खरीदने के लिए उपलब्ध है.