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मॉडर्न इंडिया के ये स्टोरी टेलर

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By Sulena Majumdar Arora
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मॉडर्न इंडिया के ये स्टोरी टेलर

एक समय की बात है, एक राजा था जो कहानियों का बहुत शौकीन था। रानी से कोई अपराध हो जाने पर राजा ने उसे अगले दिन मृत्युदंड की सजा सुनाई। रानी को राजा की कमजोरी का ज्ञान था कि वो कहानियाँ सुनने का दीवाना है, रानी ने एक चाल चली, उसने राजा को रात होते ही कहानियाँ सुनाना शुरू किया और सुबह तक सुनाती रही, सुबह होने पर राजा को नींद आने लगी और रानी ने कहानी को एक उत्सुक मोड़ पर छोड़ दिया, जिससे राजा ने अगली रात भी उसे कहानी जारी रखने का आदेश देते हुए मृत्युदंड की सजा को उसके अगले से अगले दिन के लिए टाल दिया रानी। इस तरह रानी हर रात से सुबह तक कहानी कहकर उसे एक उत्सुक मोड़ पर छोड़ने लगी और अपनी जान बचाने के लिए चाल चलती रही।  ये कहानियां सदियों से सुनने वालों को मोहित करती आ रही हैं। लेकिन मॉडर्न वर्ल्ड में आधुनिक कहानीकारों की जरूरत होती है जो सुनने वालों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसी चीजों से थोड़ी देर के लिए भटकाने की क्षमता रखते हुए उन्हें एक अलग काल में ले जाने में क्षमता रखती हों। नीचे  चंद मॉडर्न इंडिया के मॉडर्न स्टोरी टेलर की सूची है जो अपने विशिष्ट तरीकों से सदियों से सुनने वालों के दिलों को जीतने में सक्षम रहे हैं।

नीलेश मिश्रा
इस पत्रकार से कहानीकार में बदले लेखक का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। अपने अद्वितीय रचनाओं के बल पर वे कई क्षेत्रों में मशहूर हो गए हैं। उन्होंने ‘यादों का इडियट बॉक्स’ रेडियो शो के माध्यम से लोगों को अपनी कहानियों के प्रति आकृष्ट करके उनके दिलों पर राज किया।  उनकी कलम, हिंदी फिल्मों की कुछ पसंदीदा गानों के पीछे भी है। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों ‘बॉडीगार्ड’, ‘एक था टाइगर’, ‘टाइगर जिंदा है’, ‘शमशेरा’ और आगामी फिल्म ‘टाइगर 3’ में लेखक के रूप में काम किया है। वह सामान्य लोगों की कहानियों को दर्शकों तक पहुंचाकर उनकी आकांक्षाओं को समझने की कोशिश करते हैं। उनकी कहानियों की विशेषता यह है कि वे हमेशा उत्साह और संतोष का संदेश देती हैं।

सुधांशु राय

इस कहानीकार को 'कहानीकार सुधांशु राय' के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने रेडियो, सोशल मीडिया, डिजिटल पॉडकास्ट और फिल्मों के माध्यम से असंख्य लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। वे विभिन्न सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों पर अपनी कहानियों के जरिए पहली बार सामने आए। वे हमेशा अपने दिल की सुनते हुए, अपने कथाओं को अलग ढंग से लिखा और उन्हें सूचकांक भी दिया, जिससे वे 100 से अधिक कहानियों को लिख चुके हैं। उन्होंने फ़िल्म 'चायपत्ती' के साथ अपनी अभिनय और निर्देशन का डेब्यू किया। उनकी कहानियों में एक लोकप्रिय चरित्र - डिटेक्टिव बूमराह - भी स्क्रीन पर दोबारा जीवित हुआ, जहां सुधांशु ने शीर्ष भूमिका निभाई। उनकी अगली फिल्म, 'साइ-फाई थ्रिलर', 'चिंता मणि', ने उनकी लेखन और अभिनय कौशल की विविधता को दर्शाया। वे वर्तमान में एक आगामी बॉलीवुड फिल्म में काम कर रहे हैं, जहां उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई हैं।

महमूद फारूकी

महमूद फारुखी ने 2005 से दास्तानगोई कला को फिर से जीवंत करने के लिए अथक प्रयास किए हैं। दास्तानगोई एक पारसी कहानी कला है जहां कहानीकार एक लाइव दर्शकों के सामने कहानी सुनाता है। उनकी कुछ प्रसिद्ध कहानियों में एलिस इन वंडरलैंड, थ्रू द लुकिंग ग्लास, राजस्थानी लोककथाएं और सआदत हसन मंटो की जीवनी और उनकी रचनाएं शामिल हैं। उन्होंने पुरानी रोमांचक दास्तान अमीर हमज़ा को भी फिर से जीवंत कर दिया है और इस कला को पुनर्परिभाषित करके युवा और बड़े दोनों को आकर्षित किया है। उन्होंने "दस्तान-ए-करण अज महाभारत" जैसी किताबों का भी लेखन किया है, जहां उन्होंने महाभारत से कर्ण की कहानी को उर्दू, हिंदी, पारसी और संस्कृत साहित्य का संदर्भ लेकर दोहराया है। उन्हें दास्तानगोई के माध्यम से कहानी सुनाने के क्षेत्र में अनवरत कार्य के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार 2010 के अलावा रामनाथ गोयनका पुरस्कार भी हासिल हुआ।

अमर व्यास

जब कहानी कहने की बात आती है तो बेंगलुरु का यह आदमी जीनियस है। गाथा स्टोरी के संस्थापक के रूप में उन्होंने बच्चों के लिए कहानियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय भाषाओं में 500 से अधिक पॉडकास्ट का निर्माण किया है। उन्होंने अमोल दीक्षित बुक सीरीज़, एनआरआई: नाउ रिटर्न्ड टू इंडिया जैसे प्रसिद्ध उपन्यासों के लेखक के रूप में शुरुआत की। उन्होंने फेयरीटेल्स ऑफ़ इंडिया का संपादन भी किया और समझा कि उन्हें बच्चों की कहानियाँ बहुत पसंद हैं। और यहीं से वह बच्चों के लिए और कहानियाँ बनाने के लिए आगे बढ़े। गाथा स्टोरी के हिस्से के रूप में उन्होंने कृष्ण, सत्यभामा और अन्य भारतीय पौराणिक पात्रों की कहानियों पर पॉडकास्ट बनाया। बालगाथा पोडकास्ट के हिस्से के रूप में उन्होंने  'ग्रहण क्यों होता है', तथा 'एक साधु और एक बिच्छू', विषय पर कंटेंट और कहानियां प्रस्तुत की
यह अंग्रेजी और स्थानीय भाषाओं की कहानियाँ युवा श्रोताओं के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।

 विक्रम श्रीधर

विक्रम श्रीधर, संस्कृति के संरक्षण के लिए कहानी कहने का उपयोग करने और इसे आधुनिक दुनिया के लिए अत्यधिक प्रासंगिक बनाने में दृढ़ विश्वास रखते हैं। वे एक मजबूत संदेश देने वाली दिलचस्प और प्रभावशाली कहानियों को बताने के लिए कहानी कहने और और उसे रंगमंच से जोड़ते है। वे बेंगलुरु स्थित एक समूह और अराउंड द स्टोरी के सह-संस्थापक हैं, जहां वह कहानियों की शक्ति के माध्यम से आधुनिक श्रोताओं को पर्यावरण से जोड़ते हैं। अपनी पारंपरिक शैली में, आराम से बैठ कर कहानी सुनाने  के माध्यम से, वे रंगमंच, सामाजिक कार्य और संरक्षण का एक दिलचस्प संयोजन बनाते है। श्रीधर वर्तमान में एक नई परियोजना 'फ़्रीडम वॉक' के साथ आ रहे हैं, जहां वह प्रतिभागियों को अपने साथ बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में एक क्यूरेटेड वॉक पर ले जाएंगे, और इस पार्क की विरासत, इतिहास और कहानियों का पता लगाएंगे, जो किसी जमाने में एक जेलखाना रहा है जहां राजनीतिक कैदियों को डाला जाता था, इतिहास के पन्नो से' के तहत वह लोगों को इतिहास से परिचित करा रहे हैं।

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