सुप्रीमकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें हाई कोर्ट ने सिनेमा घरों में खाने-पीने का सामान ले जाने की इजाजत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला पहली नजर में सही नहीं लगता।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले वकीलों को नेटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की बेंच में मल्टीप्लेक्स असोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से अर्जी दाखिल कर हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
प्राइवेट कंपनियों का वजूद खतरे में पड़ेगा
असोसिएशन के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि क्या कोई फाइव स्टार होटल में शराब ले जाकर कह सकता है कि हमें सिर्फ सोडा का ऑर्डर करना है। अगर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने आदेश पारित किया तो प्राइवेट कंपनियों पर विपरीत असर होगा और उनका वजूद खतरे में पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट में रोहतगी ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने एक गर्भवती महिला द्वारा घर के खाने की चीज ले जाने की मांग पर आदेश पारित किया था। ऐसा आदेश किस तरह से हो सकता है। रोहतगी ने ये भी दलील दी कि हाई कोर्ट ने जब आदेश पारित किया तब सुरक्षा के पहलू को नहीं देखा।
कोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब
सिनेमा घर में कई बार धमाके हो चुके हैं। कुछ मिनट के अंदर सैकड़ों की चेकिंग नहीं हो सकती। वहीं, दूसरे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि टिकट पर लिखा होता है कि क्या नहीं ले जा सकते । अदालत ने रोहतगी की दलील पर हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाया और हाई कोर्ट के याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।