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गांधी की विरासत पर लक्ष्य के साथ आनंद पंडित निर्मित तथा रणदीप हुड्डा निर्देशित नवीनतम प्रोजेक्ट , "स्वातंत्र्य वीर सावरकर" को लेकर जितनी मुंह उतनी बातें हो रही है. इस तरह के चर्चे से बॉलीवुड के अलावा इतिहासकार, देश भक्त तथा आम पब्लिक सभी उत्सुक है. रणदीप हुड्डा इस फिल्म से अपने निर्देशन की शुरुआत कर रहे हैं और हाल ही में इसके प्रथम टीजर का अनावरण हुआ.
फिल्म का निर्माण आनंद पंडित मोशन पिक्चर्स और रणबीर हुड्डा फिल्म्स कर रहे हैं. रणदीप सिनेमा जगत के उन चंद डिफरेंट लीग के कलाकारों में से एक हैं जिनकी हर हरकत पर दुनिया की नजर उठती है क्योंकी वे कभी समान्य काम करते ही नहीं है. ये वो कलाकार हैं जिसके काम की गहराई में उतरकर या तो आप उन्हे अपना दिल दे बैठते हैं या उन्हे हेट करने लगते हैं, लेकिन क्या मजाल कि आप उन्हे इग्नोर कर दो, नोप, इग्नोर तो हरगिज नहीं कर सकते. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ.
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यह सही है कि टीजर देखने लायक है, वीर सावरकर के चरित्र में रणदीप हुड्डा का रोंगटे खड़े कर देने वाले दृश्य गाहे बगाहे बहुत सारे सवाल खड़े करने के लिए काफी है, बल्कि ऑलरेडी तमाम महकमों के तमाम लोग कई सवाल उठा कर विवाद खड़ा करने की कोशिश भी कर रहे हैं लेकिन आजादी की क्रांतिकारी लड़ाई के काल में हुई विभिन्न घटनाओं का चित्रण बखूब होने के बावजूद यह फ़िल्म एक तूफान खड़ा करने के लिए काफी स्ट्रॉंग जान पड़ रहा है.
यह कितनी आश्चर्य की बात है कि सावरकर जैसे भारत के वीर सपूत की कहानी को लाइम लाइट में आने और दुनिया को उनके जीवन और देश की आज़ादी के लिए किए गए उनके अथक, अदम्य संघर्ष की अद्भुत सत्य कथा को आज की पीढ़ी तक पंहुचाने में इतना समय लगा. हां यह सच है कि आनंद पंडित और संदीप सिंह द्वारा निर्मित 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' एक एतिहासिक जीवनी कथा है जो स्वतंत्रता के लिए, संघर्ष करने वाले एक तेजस्वी व्यक्ति विनायक दामोदर सावरकर की प्रेरणादायक योगदान की कहानी उजागर करती है और स्वतंत्रता के लिए सावरकर की साहसपूर्ण, प्रेरक यात्रा, स्वतंत्र भारत के लिए उनके कठिन, प्रयास, उनके विचार, राष्ट्र के लिए उनकी प्रतिबध्दता, समर्पण, उनका बलिदान को रेखांकित करती है और यह भी सत्य है कि रणबीर हुड्डा स्वातंत्र्य वीर सावरकर के टाइटैनिक चरित्र को चित्रित करने के लिए एक अविश्वसनीय शारीरिक परिवर्तन से गुजरे हैं.
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हट्टे-कट्टे रणदीप चार महीने तक सिर्फ एक ग्लास दूध और कुछ खजूर खाकर जिए ताकि वे वीर सावरकर के कद काठी का दिख सके और क्या खूब बदल गए वे, हाँ, क्या कमाल का काया कल्प किया रणदीप ने कि पर्दे पर कहीं भी रणदीप नहीं थे, अगर कोई थे तो वो थे विनायक दामोदर सावरकर. बतौर एक्टर उनका यह समर्पण और बतौर डाइरेक्टर उनका यह विजन अद्भुत, अकल्पनीय, अविश्वनीय और कमाल का है. वीर सावरकर के 140वीं जयंती पर दुनिया की नई पीढ़ी को बहुत सी नई जानकारियां मिलेगी. इन नई पीढ़ी के अनजान लोगों के लिए, वीर सावरकर सिर्फ एक क्रांतिकारी थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए भारत के सशस्त्र संघर्ष में एक बड़ी भूमिका निभाई थी. लेकिन इस फ़िल्म में इस सच्चाई के अलावा भी बहुत कुछ है. फ़िल्म में भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम बोस और मदन लाल ढींगरा सहित कई स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में अलग ढंग से दिखाया गया जिससे कई लोगों ने अपने अपने विचार, टिप्पणी और आपत्ति भी जताई. इस टीज़र में सावरकर को लार्जर देन लाइफ शख्सियत के रूप में दिखाया गया है, जिसका भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर प्रभाव अद्वितीय था.
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फिल्म के निर्माता आनंद पंडित ने कहा कि "स्वातंत्र्य वीर सावरकर" एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो उनके लिए अविश्वसनीय रूप से सार्थक है. उन्होंने इस बात का खेद व्यक्त किया कि वीर सावरकर की कहानी को आज तक पर्याप्त रूप से नहीं बताया गया है. उनका मानना है कि यह फिल्म हमारे देश के स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई गई सावरकर की भूमिका पर जोर देकर भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत में योगदान देगी.
रणबीर हुड्डा हमेशा एक ऐसे अभिनेता रहे हैं जो उत्कृष्टता और पूर्णता के लिए प्रयास करते रहते हैं, और अपने निर्देशन की शुरुआत के साथ, उन्होंने इस लकीर को और भी ऊंचा कर दिया है. उन्होंने खुलासा किया कि वीर सावरकर के चरित्र के साथ न्याय करने के लिए उन्होंने वीर सावरकर के जीवन पर बहुत शोध किया. टीजर से ही देखा जा सकता है कि किरदार को सही ढंग से चित्रित करने के लिए उन्होंने कितना समर्पण किया है.
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आनंद पंडित बॉलीवुड में सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित निर्माताओं में से एक हैं. भारतीय सिनेमा में कुछ यादगार और सफल फिल्मों को लाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. समीक्षकों द्वारा प्रशंसित नाटक से लेकर रोमांचक एक्शन फिल्मों तक, पंडित ने अपनी सारी फिल्मों में सब कवर किया है. लेकिन हर सफल फिल्म के पीछे कड़ी मेहनत, जुनून और समर्पण की एक असाधारण कहानी होती है और यहीं आनंद पंडित की कहानी सबसे अलग होती है.
आनंद पंडित ने 90 के दशक में एक फिल्म प्रदर्शक के रूप में अपना करियर शुरू किया और महाराष्ट्र में टॉपमोस्ट वितरकों में से एक बनने के साथ अपने करियर में 250 से अधिक बॉलीवुड फिल्मों का वितरण या निर्माण किया है. हालाँकि, जो आनंद पंडित को अलग करता है, वह है क्वालिटी सिनेमा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता. वे ऐसी फिल्मों को सपोर्ट करने में विश्वास करते हैं जिनकी कहानी शक्तिशाली हो और केवल व्यावसायिक सफलता पर केंद्रित न हो. उनकी फिल्में कब्ज़ा, थैंक गॉड, चेहरे, द बिग बुल, टोटल धमाल,, मिसिंग, डॉक्टर जी, उनकी अलग तरह के फ़िल्म अप्रोच को जगजाहिर करती है.
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उनकी फिल्में आलोचनात्मक प्रशंसा और व्यावसायिक सफलता प्राप्त कर रही है. आनंद पंडित फिल्म निर्माण के अलावा अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं. वे विभिन्न सामाजिक कारणों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं और उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आपदा राहत में योगदान दिया है. पंडित का मानना है कि समाज को वापस देना और सकारात्मक प्रभाव पैदा करना उनका कर्तव्य है.
अपने परोपकार के अलावा, आनंद पंडित मनोरंजन उद्योग में भी गेम चेंजर रहे हैं. वे ओटीटी प्लेटफॉर्म और वर्चुअल रियलिटी जैसे नए माध्यमों के साथ प्रयोग करने वाले पहले निर्माताओं में से एक रहे हैं. वह उद्योग के बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए और दर्शकों के साथ नए तरीकों से जुड़ने में विश्वास करते हैं.
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