दक्षिण भारत की फिल्मों को हिंदी में डब करके ले आने का श्रेय उमेश यादव को भी जाता है By Sharad Rai 05 Jan 2023 | एडिट 05 Jan 2023 09:42 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर बीते साल 2022 में दक्षिण की फिल्मों को हिंदी में डब करके लाने का जो उफान बहा है, उससे बॉलीवुड निर्माताओ के पसीने छूट गए हैं. साउथ की डब की गई फिल्में बॉलीवुड फिल्मों के मुकाबले अधिक बिजनेस दे रही हैं. और, इस बदलाव को लाने के पीछे उन तकनीशियनों की मेहनत है जो दक्षिण की भाषा का हिंदी रूपांतरण करते हैं.बॉलीवुड नगरी का स्टूडियो MGE (मां गायत्री इंटरटेन्मेंट) यही काम करता है.स्टूडियो के ओनर और डबिंग इंचार्ज हैं- उमेश यादव. उमेश ने 1500 से अधिक दक्षिण भारतीय फिल्मों की डबिंग हिंदी मे कराया है. जब मैं उमेश के रेकॉर्डिंग-डबिंग स्टूडियो में उनसे फिल्मों की जानकारी चाहता हूं तो वह मेरे सामने 24 पृष्ठों की लिस्ट रख देते हैं जिनमे तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, भोजपुरी, पंजाबी और गुजराती फिल्मों के नाम होते हैं. "लगभग 2000 के करीब फिल्मों को हमारी टीम ने अपनी आवाज से भरा है. मैं वहां की पूरी फिल्म की डबिंग करने का कांट्रेक्ट कर लेता हूं जिनमे हीरो, हीरोइन, विलेन या हजारों कलाकारों की भीड़ क्यों न हो, हम हर एक कलाकार की आवाज को हिंदी भाषा मे डबिंग करके रूपांतरित करते हैं.'' "क्या हीरो -हीरोइन की आवाज को भी डबर की जरूरत पड़ती है?" यह पूछने पर उमेश रहस्यमयी मुस्कान देते हैं. "कईबार वे स्टूडियो आजाते हैं और अपने करेक्टर को खुद अपनी आवाज देना चाहते हैं. हम उनसे कराते हैं लेकिन हिंदी अच्छी ना होने से समय बहुत ले लेते हैं. और, उसे भी हमें ठीक करने होते हैं उनसे मिलती जुलती आवाज वाले डबर से... इन सितारों की बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है इसलिए हम उनका नाम नहीं ले सकते." बनारस के उमेश यादव मुम्बई के साठे कालेज से ग्रेजुएशन करने के बाद एक स्टूडियो में नौकरी करने लगे थे. जहां डबिंग-एडिटिंग का काम होता था, वहीं उन्हें किसी ने खुद फिल्मों की डबिंग करने की सलाह दिया.वह डबर बने, रिकॉर्डिस्ट बने, गानों की रिकॉर्डिंग किये फिर पूरी फिल्म की डबिंग कांट्रेक्ट करने लग गए.वहीं उनकी मुलाकात फिल्म 'गजनी' के विलेन प्रदीप रावत से हुई. गजनी// तमिल में बनी फिल्म थी जिसको चार भाषाओं में बनाया गया था. 'गजनी' की ओरिजिनल कॉपी राइट लेकर आमिर खान ने उसी फ़िल्म का रीमेक हिंदी में किया था. लेकिन साउथ की भाषा मे बनी फिल्मों की डबिंग उमेश ने ही किया है. उसके बाद तो डबिंग का सिलसिला बढ़ता ही चला गया. "एक हजार से ज्यादे कलाकार फिल्म 'लाठी' में काम किये हैं. हर कलाकार की आवाज हमने डबर्स से कराया है.बड़ी मुश्किल से मैनेज हो सका था.हम ग्रूप में थोड़े थोड़े कलाकारों को स्टूडियो के अंदर लेकर भीड़ की डबिंग - रेकॉर्डिग पूरी करते हैं.हजार की क्राउड हो तो सौ पचास डबर से काम हो जाता है. इसी तरह 'क्षत्रपति' एक बहुत बड़ी फिल्म डब होकर आरही है. 'जिगर ठंडा', 'बंगारम', 'बिग ब्रदर', 'थेल', 'गजनी' (जिसमे दो विलेन (प्रदीप रावत) हैं, आदि कई फिल्में हैं जो चलनेवाली फिल्में हैं.इनमें बड़ी संख्या में कलाकार हैं जिनको आवाज देने वाले बॉलीवुड इंडस्ट्री से ही हैं.हमारी इंडस्ट्री में डबिंग का व्यवसाय बढ़ रहा है और हज़ारों डब करने काम करके अपना घर चला रहे हैं." उमेश साउथ की फिल्मों के गीत भी हिंदी में खुद लिखते हैं. वह बताते हैं कि दर्जनों फिल्मों के गाने वह लिखे हैं और हिंदी फिल्मों के पॉपुलर गायकों से गवा चुके हैं. "पहले की डब फिल्मों में गाने बेमतलब के भी डाल दिए जाते थे लेकिन आजकल ऐसा नही है. हमारे गाने सब कर्णप्रिय हो रहे हैं लोग उन्हें कहानी के साथ जोड़कर आनंद लेते हैं. हम फिल्म लेने पर साउथ की भाषाओं को जानने वाले एक्सपर्ट के साथ फिल्म देखते हैं और उसकी स्क्रिप्टिंग करते हैं.'' तेलुगु, मलयालम, तमिल, कन्नड़ की भाषाओं के अलावा भोजपुरी, पंजाबी,गुजराती फिल्मों की भाषा के रूपांतरण मे भी उमेश ने काम किया है. "क्या डबिंग की जाने वाली फिल्में नए साल में भी हिंदी फिल्मों के लिए खतरा बनी रह सकती हैं?" इसके जवाब में उमेश बॉलीवुड निर्माताओं को सलाह देते हैं कि खतरा काम की क्वालिटी और कंटेंट का तो हमेशा रहने वाला है. अभी भी कई साउथ की अच्छी और बड़े बजट की फिल्में, जो हमने किया है वो आकर धमाका करेंगी. टक्कर भाषा का नही मेकिंग का है जो हमने इस व्यवसाय में रहकर महसूस किया है." #Umesh Yadav #South Indian films हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article