पिछले कुछ सालों से मकर संक्रांति पर्व को जैसे डबल संक्रांति का सामना करना पड़ रहा है. एक सूर्य संक्रमण की चाल, जो अबतक हमलोग बचपन से 14 जनवरी को होना सुनते आरहे हैं. दूसरा संक्रमण इस पर्व की तारीख को फेस करना पड़ रहा है. पिछले कुछ सालों से यह पर्व दो तारीखों को सेलिब्रेट करने की मुश्किल झेल रहा है. जो लोग 14 जनवरी को नियतांक तिथि मानते आए हैं, वे 14 को यह पर्व मनाते हैं जबकि पंडित जी का पत्रा बोल देता है कि 15 जनवरी की तिथि ही अनुकूल है. सच न जान पाने की वजह से लोग द्विविधा में पड़े रहते हैं और कहते हैं कि एक पर्व था जो तारीख से पड़ता था, दक्षिणा के चक्कर मे पंडितों ने इसको भी बिगाड़ दिया है. दरअसल संक्रांति काल का अर्थ होता है एक समय काल से दूसरे समय काल मे जाने का समय. अंग्रेजी में इसे टाइम ट्रांजिशन कहते हैं. काल की इसी गणना में बदलाव होने की वजह से ही तिथियों की स्थित बदल रही है. हमें 14 जनवरी की जगह 15 जनवरी को पर्व का मनाया जाना विचित्र सा महसूस करा रहा है. लेकिन, अब मकर संक्रांति अगले 58 साल तक यानी- सन 2081 तक 15 जनवरी को ही हुआ करेगी.
जैसा कि हम सब जानते हैं कि- सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश (संक्रमण) का दिन "मकर संक्रांति" के रूप में जाना जाता है. ज्योतिषविदों के अनुसार प्रतिवर्ष इस संक्रमण में 20 मिनट का विलंब होता जाता है. इस प्रकार तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का हो जाता है तथा 72 वर्षो में यह फर्क पूरे 24 घंटे का हो जाता है.
सायं 4 बजे के बाद संध्याकाल माना जाता है और भारतीय ज्योतिष विज्ञान के अनुसार संध्या काल के बाद सूर्य से सम्बंधित कोई भी गणना उस दिन न करके अगले दिन से की जाती है. इस हिसाब से वास्तव में मकर संक्रांति सन 2008 से ही 15 जनवरी को हो गई थी. लेकिन सूर्यास्त के पहले का समय होने के कारण 14 जनवरी को ही मकर संक्रांत मानते आ रहे थे. सन 2023 में संक्रांति का समय 14 जनवरी की शाम को 9.35 का है, अर्थात तब सूर्यास्त हो चुका होगा, इसलिए 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी. वैसे तो सन 2008 से सन 2080 तक मकर संक्रांति 15 जनवरी की हो चुकी है.
इसी तरह सन 2081 से मकर संक्रांति 16 जनवरी को हुआ करेगी.और, तब भी उसके बाद भी कुछ लोग कुछ बर्ष तक 15 जनवरी को ही मनाते रहेंगे.
जानने वाली बात यह है कि 72 साल की रेंज में संक्रांति चक्र एक दिन बढ़ जाता है. जैसे कभी सन 275 में मकर संक्रांति 21 दिसम्बर को हुआ करती थी. 2023 आते-आते यह पर्व 15 जनवरी तक आ गयी है. सन 1935 से सन 2008 तक मकर संक्रांति 14 जनवरी को रही और सन 1935 से पहले 72 साल तक यह 13 जनवरी को रही थी.
यानी, यह काल चक्र का बदलाव है. समय थमता नही आगे बढ़ता चलता रहता है. हिन्दू पर्व भी गणना से संचालित होते हैं. ये सब बाते वैदिक ज्योतिष और गणितीय गणना पर आधारित है. इसलिए मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी की वजाय 15 जनवरी को मनाया जाना शुरू हुआ है तो हमें इस पर्व का स्वागत उसी दिन करना चाहिए.
हैप्पी मकर संक्रांति पर्व!