भारत की पहली ऑस्कर अवार्ड विजेयता फिल्म बनने का गौरव प्राप्त किया है तमिल भाषा मे बनी डोक्युमेंट्री-शार्ट फिल्म "द एलिफेंट व्हीस्पर्स" ने! तमिलनाडु स्थित मुदुमलाई नेशनल पार्क में हाथियों के जंगल मे रहने वाले एक बाल हाथी रघू और उससे प्यार करने वाले बोमन और बेली की कहानी है यह शार्ट फिल्म ''द एलिफेंट व्हीस्पर्स". इस फिल्म को बनानेवाली दो महिलाएं हैं - गुनीत मोंगा और कार्तिकी गोंसाल्विस.
41 मिनट की इस शार्ट फिल्म में इंसान और जानवरों (हाथी) के रिश्ते को बड़े प्याराना अंदाज में दिखाया गया है. कहानी की शुरुवात होती है जंगल के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ. बोमन एक बालक हाथी के बच्चे रघू को नदी में नहलाने ले गया है. रघू जंगल मे बेहोश अवस्था मे पड़ा हुआ मिला था. उसकी पूछ को कुत्ते ने काट खाया था. रघु की माँ को बिजली का झटका लगा था और वो मर गयी थी. हाथियों की देखभाल के लिए बेली भी काम करती है. बामन और बेली को रघू से बेहद लगाव हो गया है. रघू का एक और साथी है कृष्णा, दोनो खूब मस्ती करते हैं खेलते हैं.जंगल मे आग लगी थी तब उस आग से बच गई एक हथिनी की बच्ची अम्मू को भी बोमन और बेली देखभाल करते हैं. रघू और अम्मू की दोस्ती चलती है,बोमन और बेली भी उनके साथ दोस्ती में अपनापन पाते है. रघू के अन्यत्र चले जाने के बाद अम्मू उदास रहती है फिर धीरे धीरे नार्मल हो जाती है.
"द एलिफेंट व्हीस्पर्स" की कहानी इंसान और जानवर के प्यारभरे रिश्ते की बॉन्डिंग बताती है. स्टोरी है प्रिसिला गोंसाल्विस की, निर्देशक हैं कार्तिकी गोंसाल्विस. खूबसूरत सिनेमेटोग्राफी किये हैं- करन थपलियाल, कृष मखीजा, आनंद बंसल और कार्तिकी गोंसाल्विस ने.
तमिलनाडु के मुदुमलाई नेशनल पार्क में जहाँ हाथी रघू और उनकी देखभाल करने वाले बोमन और बेली- जिनको पर्दे पर दिखाया गया है, ऑस्कर विजय की घोषणा के बाद वहां देखने वालों का तांता लगा रहता है.पार्क की इनकम बढ़ गयी बताई जा रही है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने पार्क का दौरा कर बोमन और बेली का सत्कार किया और उन्हें एक एक लाख रुपए का चेक प्रदान किया.