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- शरद राय
 
नेटफ्लिक्स के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम होने वाली नई फिल्म है- ''मीनाक्षी सुंदरेश्वर''- जिसे बनाया तो है बॉलीवुड निर्माता कारण जोहर और अपूर्वा मेहता ने, लेकिन फिल्म पर कहीं भी हिंदी फिल्मों का चस्पा लगा नही दिखाई पड़ता। ना कहानी में, ना गीत-संगीत में, ना लोकेशन में और ना ही मेकिंग में। पूरी कहानी मदुराई और बंगलोर की पृष्ठभूमि में है।
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निर्देशक विवेक सोनी ने फिल्म को दक्षिण का सम्पूर्ण टच देने के लिए कहानी में रजनीकांत का पुट भी डाल दिया है। एक शब्द में कहें तो सेक्स और फाउल लैंग्वेज के लिए बदनाम ओटीटी ओरिजिनल की भीड़ में ''मीनाक्षी सुंदरेश्वर'' एक ऐसी फिल्म है जो पूरे परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती है। फिल्म की शुरुवात ही होती है मदुराई के 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' मंदिर से।कहते हैं यह मंदिर मीनाक्षी (पार्वती) और सुंदरेश्वर (शिव) के प्रेम का प्रतीक है।
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वैवाहिक विज्ञापन के मार्फ़त रिश्ता देखने के लिए सुन्दरेश्वसर (अभिमन्यू दासानी) के परिवार के लोग मीनाक्षी (सान्या मल्होत्रा) के घर आते हैं। लड़का लड़की अलग कमरे में बैठकर एक दूसरे को इंटरव्यू करते हैं तभी मालुम पड़ता है वे गलत घर मे पहुच गए हैं।लेकिन, एक दूसरे को पसंद कर चुके मीनाक्षी और सुन्दरेश्वर का विवाह कर दिया जाता है।
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विवाह की रात ही मालूम पड़ता है सुंदर को ट्रेनिंग के लिए बंगलोर की एक कम्पनी से बुलावा आया है जहां अगली सुबह ही जाना है। सुंदर पत्नी को पास बुलाने का वादा करके मायूस मन अकेले जॉब के लिए बंगलोर चला जाता है। जिस कम्पनी में सुंदर ट्रेनिंग कर रहा है वहां सिर्फ बैचलर को ही काम दिया जाता है। दोनो पति-पत्नी दो अलग शहरों में रहकर प्रेम के वियोग को कैसे सहते हैं, रोचक है। फोन, मैसेज और वीडियो चैटिंग ही एक रास्ता है जो उनको जोड़े रखता है।
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छह छह महीने प्यार के वियोग में बीता पाना उनके चाहत की इंतेहा है।आखिर कहानी में टूटने का दौर भी आता है। मीनाक्षी नौकरी करने कहीं और जाती है। सुंदर अपनी कम्पनी में मौका पाने के लिए टूट टूट कर रहता है। एक वक्त आता है जब उनके बीच सब कुछ विखर जाता है। तब, उनके बीच का अंतर का महसूस किया गया प्यार उनको एक करता है- थलाइवा रजनीकांत की एक फ़िल्म के थियएटर में।
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'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' में मीनाक्षी की भूमिका में सान्या मल्होत्रा ने कमाल का काम किया है। सुंदरेश्वर की भूमिका में अभिमन्यू दासानी (जो फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री के बेटे हैं) बहुत ही आकर्षक लगे हैं।अन्य कलाकार- शिव कुमार, पुरणेन्दू भट्टाचार्य, सोनाली सचदेव, कोमल छाबरिया आदि सभी अपनी भूमिका में जमें हैं।गीतकार(राज शेखर) और संगीतकार (जस्टिन प्रभाकरन) ने हटकर काम किया है।'तीतर-बितर' गीत मन को भाता है। निर्देशक विवेक सोनी ने वैवाहिक रिश्ते को बखूबी पेश किया है। फिल्म देखकर विवाह व्यवस्था पर यकीन बढ़ता है।
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