राममय भारत की नींव मेगा धारावाहिक रामायण में रखी जा चुकी थी, डॉक्टर रामानंद सागर के पुत्र श्री प्रेम सागर ने निभाया पुत्र धर्म By Sulena Majumdar Arora 28 Oct 2023 in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर आज पूरा भारत राममय नजर आ रहा है. घर घर में राम और जन जन में राम के नारे लग रहे हैं. अयोध्या में प्रभु श्री रामचन्द्रजी जी के प्राण प्रतिष्ठा के स्वर्ण अवसर पर पूरे देश के साथ साथ दुनिया भर से राम भक्तों की कतारें लगनी शुरू हो गई है, पूरा देश आज राम नगर नजर आ रहा है. बताया जा रहा है कि ऐसा परिवेश पहले के भारत में नहीं था. लेकिन सच पूछो तो राम जी के प्रति भक्ति की लौ जगाने तथा प्रभु राम के जीवन तथा रामराज के प्रति जागृति फैलाने का श्रय निसन्देह रूप से मॉडर्न जमाने के तुलसीदास माने जाने वाले भारतीय सिनेमा जगत तथा टीवी जगत के दिग्गज हस्ती स्वर्गीय श्री रामानंद सागर को जाता है जिन्होने अस्सी के दशक में सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में, अपने टीवी मेगा धाराविक 'रामायण' के जरिए घर घर तक प्रभु राम जी की पवित्र गाथा पहुँचा कर पूरे देश को राममय कर दिया था. लेकिन उस जमाने में रामायण का निर्माण दूरदर्शन के लिए करना, लोहे के चने चबाने जैसा कठिन काम था. डॉक्टर रामानंद सागर उन दिनों चोटी के फ़िल्म निर्माता, निर्देशक, लेखक थे. फिर भी क्यों और कैसे उन्होने टीवी जगत में कदम रखने का निर्णय लिया और कैसे झंझावतों के सागर में डुबकी लगा कर वे राममय मोती खोंज लाएं, यह अद्भुत, अलौकिक कहानी उनके जीवन गाथा, 'एन एपिक लाइफ, रामानंद सागर' और 'रामानंद सागर के जीवन की अकथ कहानी' पुस्तक में डॉक्टर रामानंद सागर के पुत्र श्री प्रेम सागर द्वारा पितृ धर्म और ऋण के रूप में लिखी गई है. हम सबने भी कभी न कभी रामानंद सागर कृत मेगा सीरीज' रामायण' देखा ही है. यह मेगा सीरियल तब से लेकर आज तक इतना देखा गया कि लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया. 25 जनवरी, 1987 को रामायण का प्रथम एपिसोड टेलीकास्ट हुआ था और देखते ही देखते इसने टीवी इंडस्ट्री में हंगामा मचाते हुए इतिहास रच डाला. लेकिन यह सब क्यों और कैसे हुआ? View this post on Instagram A post shared by 𝗦𝗔𝗚𝗔𝗥 𝗪𝗢𝗥𝗟𝗗 (@sagar.world) श्री रामानंद सागर तो 80 के दशक में एक प्रसिद्ध चोटी के फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक के रूप में स्थापित थे. बावजूद, इसके उन्होने दूरदर्शन के लिए मेगा धारावाहिक 'रामायण' का निर्माण करने के लिए एक चुनौतीपूर्ण यात्रा क्यों शुरू की? क्या सृष्टि ने डॉक्टर रामानंद सागर के माथे पर चन्द्र टांक कर शिव की शक्ति अर्पण कर दी थी? क्या उस सर्व शक्तिमान ने रामानंद सागर को टीबी जैसे उन दिनों लाइलाज बीमारी से इसलिए बचा लिया था कि उन्हे ही भारत के जन जन तक प्रभु राम की गाथा को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम यानी टीवी द्वारा पहुंचाना था? दरअसल अपने स्थापित फिल्मों की दुनिया से हटकर टीवी की दुनिया में कदम रखने और चुनौतियों के सागर में उतरने का उनका निर्णय भगवान राम की पवित्र गाथा को भारत के हर घर तक फैलाने की उनकी इच्छा से प्रेरित था. उनके पुत्र श्री प्रेम सागर ने इस पूरी कहानी को 'एन एपिक लाइफ, रामानंद सागर' और 'रामानंद सागर के जीवन की अकथ कहानी' नामक पुस्तक में लिखा है. लगभग हर किसी ने अपने जीवन में कभी न कभी 'रामायण' सीरियल देखी होगी जिसने पूरे विश्व को अचंभित कर दिया था. इस मेगा शो ने एक ऐसा इतिहास रच डाला जिसका मुकाबला आज तक कोई नहीं कर पाया. 'रामायण' सिर्फ एक शो नहीं था, यह लोगों के जीवन का रंग, रूप और हिस्सा बन गया था. 'राम-सीता' के किरदार जैसे ही पर्दे पर आते थे तो लोग भक्तिभाव और श्रद्धा से हाथ जोड़ लेते थे, झुक कर टीवी पर दिखने वाले राम सीता के चरण छू लेते थे. उनकी खुद की प्रॉडक्शन हाउस सागर आर्ट्स द्वारा निर्मित और श्री रामानंद सागर के निर्देशन में बनी 'रामायण', आज के राममय भारत की नींव थी. हालांकि, 'रामायण' को छोटे पर्दे पर लाने का सफर आसान नहीं था. श्री रामानंद सागर को कई चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ा था. अपनी बहुचर्चित फ़िल्म 'चरस' की शूटिंग के दौरान अपने पुत्रों के साथ स्विट्जरलैंड की यात्रा करते हुए एक ठिठुरती शाम को, एक होटल में खाना खाने गए. वहां उन्होंने पहली बार बैरे द्वारा एक लकड़ीनुमा डब्बा खुलते देखा और फिर जो देखा तो देर तक देखते रह गए. वो एक रंगीन टीवी सेट था जिसमें रंगीन फिल्म चल रही थी. इस अनुभव ने उनके मन में टेलीविजन इंडस्ट्री में कदम रखने का विचार पैदा किया और तब उन्हे याद आया कि बरसों पहले चालीस के दशक में, जब परिवार चलाने की जद्दोजहद में दिन रात खटते रहने के कारण टीबी रोग से पीड़ित होकर वे सैनोटोरिकयाम में मौत के बिस्तर पर दिन गिन रहे थे और तब ना जाने कहाँ से एक साधू महाराज अवतरीत होकर उनके करीब आये और बोले, फ़िक्र ना करो, तुम्हें अभी बहुत कुछ करना है, तुम्हें प्रभु राम की कहानी जन जन तक पहुंचानी है. रामानंद स्विट्ज़रलैंड के होटल में उस रंगीन टीवी को देखते हुए सोच रहे थे कि बस, बहुत हो गया फीचर फिल्में, अब प्रभु राम की सेवा करनी है, घर घर प्रभु राम की महिमा पहुंचानी है. जब यह ठान कर वे वापस भारत लौटे तो उनका जैसे पुनर्जन्म हो गया था. मॉडर्न जमाने के तुलसीदास के रूप में उन्होंने भगवान राम, भगवान कृष्ण और मां दुर्गा की कहानियों को लोगों तक पहुंचाने के मिशन के साथ सिनेमा छोड़ने और टेलीविजन की दुनिया में प्रवेश करने का निर्णय लिया. जब श्री रामानंद सागर ने 'रामायण' के निर्माण की अपनी योजना की घोषणा की, तो उन्हें कई लोगों की आलोचना और संदेह का सामना करना पड़ा. हालाँकि, वे अपने निर्णय पर अटल रहे. उन्होंने 'रामायण' और 'श्रीकृष्ण' के कई पैमप्लेट छपवाए और वीडियो कैसेट के माध्यम से उन्हें जारी करने की घोषणा की. उनके बेटे, श्री प्रेम सागर ने उस समय की एक घटना के बारे में मुझे बताते हुए कहा कि उनके पिताश्री रामानंद जी ने उन्हें इस मेगा धारावाहिक के निर्माण के लिए धन इकट्ठा करने की जिम्मेदारी सौंपी और वर्ल्ड टूर का टिकट थमाते हुए एक व्यावसायिक यात्रा पर दुनिया घूमने भेज दिया. प्रेम सागर पूरे जोश और उमंग के साथ अपने पापाजी के विदेशी अमीर मित्रों से मदद के लिए निकल पड़े लेकिन यह देखकर हैरान रह गए कि विदेश में बसे उनके वे अमीर भारतीय मित्र इस तरह की परियोजना की सफलता के बारे में अनिश्चित थे और उन्होंने इसमें कोई भी योगदान देने से इनकार कर दिया. प्रेम सागर खाली हाथ लौट आएं. इन असफलताओं के बावजूद, श्री रामानंद सागर अपने दृष्टिकोण पर कायम रहे. उन्होने भारतीय दर्शकों, खासकर बच्चों और युवाओं का मन टटोलने के लिए 'विक्रम और बेताल' बनाई, जिसने सफलता के परचम गाड़ दिए. यह शो आज भी भारतीय टेलीविजन पर विशेष प्रभावों वाला पहला शो कहलाता है. इसके बाद श्री रामानंद सागर ने 'रामायण' के लिए अपनी योजनाएँ मजबूत कीं. उन्होंने स्टार कास्ट को फाइनल किया, जिसमें अरुण गोविल को 'राम', दीपिका चिखलिया को 'सीता', सुनील लाहिड़ी को 'लक्ष्मण' और दारा सिंह को 'हनुमान' के रूप में शामिल किया गया. उस जमाने में डॉक्टर रामानंद सागर को भी फ़िल्म इंडस्ट्री में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था , जिसमें फिल्म इंडस्ट्री में दुबई माफिया का हस्तक्षेप और सरकारी अधिकारियों की अवहेलना जनक रवैया भी शामिल था. स्तिथि बहुत निराशाजनक थी हालाँकि राजनीति में भी कुछ पढ़े लिखे, सज्जन हस्तियों ने स्वयं सुझाव दिया था कि इन सांस्कृतिक महाकाव्यों को महिमामंडित करने के लिए 'रामायण' और 'महाभारत' को दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाना चाहिए. लेकिन सिर्फ कह देने भर से काम नहीं बनता है. दिल्ली के बड़े बड़े राजनेता, नेता,कार्य कर्ता, द्वारा बिछाए गए बाधाओं और संघर्षों के जाल का सामना करने के बाद, और उन बड़े नेताओं के इन्तज़ार में भटकने तथा , अपमानित होने और चप्पलें घिसवाँने के बाद आखिरकार सागर ग्रुप ने 'रामायण' का प्रसारण शुरू किया. View this post on Instagram A post shared by 𝗦𝗔𝗚𝗔𝗥 𝗪𝗢𝗥𝗟𝗗 (@sagar.world) 'रामायण' की लोकप्रियता वाकई बेजोड़ थी, साधुओं सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग श्री रामानंद सागर के घर और स्टूडियो में आते रहते थे. एक घटना जिसने रामानंद सागर के आत्मविश्वास को और बढ़ाया वह है हिमालय से आए एक युवा दिखने वाले संत द्वारा दिया गया, उनके गुरु का संदेश. यह उन दिनों की बात है जब डॉक्टर रामानंद जी अपने डेब्यू टीवी धारावाहिक, 'रामायण' को लेकर कई मानव जनित बाधाओं और आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. अचानक एक दिन एक साधू ना जाने किधर से अवतरित हुए और जब रामानंद जी विनम्रता पूर्वक उनकी आवभगत कर रहे थे तो अचानक उस कम उम्र, सौम्य साधु ने उग्र रूप धारण करते हुए आदेशात्मक स्वर में कड़े शब्दों में कहा कि क्या आपको लगता है जो कुछ कर रहे हो, वो आप कर रहे हो, आपके चिंता करने ना करने से काम बनेगा या नहीं बनेगा? यह गलतफहमी छोड़ दो और अपना कर्म करते रहो. गुरु का संदेश लाया हूँ. " इस संदेश ने श्री रामानंद सागर को आश्वस्त किया कि 'रामायण' पर उनका काम जागरूकता फैलाने और भारत को दुनिया में अपना हक बनाने के लिए आवश्यक था. 'रामायण' को छोटे पर्दे पर जीवंत करने की यात्रा, श्री रामानंद सागर के लिए चुनौतियों, संदेह और बाधाओं से भरी थी. हालाँकि, उनके दृढ़ संकल्प, दूरदर्शिता और भगवान राम के प्रति समर्पण के कारण एक टेलीविजन इतिहास का निर्माण हुआ जिसने देश भर के लाखों लोगों के दिलों को छू लिया. 'रामायण' की विरासत और इसके प्रभाव को भारतीय टेलीविजन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में हमेशा याद किया जाएगा जिसका प्रभाव आज पूरी शिद्दत से नजर आ रहा है. हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article