पिछले दिनों सोशल मीडिया और अखबारों की एक खबर ने लोगों को सन्न कर दिया था कि क्या ऐसा भी हो सकता है? देश की महिला व बाल कल्याण मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी (क्योंकि सास भी कभी बहु थी- धारावाहिक की प्रसिद्ध तुलसी) पर आरोप था कि वह और उनकी बेटी गोवा में रेस्तरां व बार चलती हैं जिसका लाइसेंस भी उनके पास नही है. चर्चा यह भी थी कि मां- बेटी को आबकारी विभाग ने उनको सम्बंधित टैक्स ना अदा करने की वजह से नोटिस भेजा है. इस खबर को लेकर कांग्रेस सहित देश की दूसरी राजनैतिक पार्टियों ने हो हल्ला मचा दिया. भाजपा विरोधियों के हाथ एक ऐसा मजबूत हथियार आगया था कि लगा अब 'तुलसी' के कैरियर की नाव डूबी.
लेकिन, पूर्व में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी उठा चुकी और राहुल गांधी जैसे कांग्रेस के युवराज को उनके संसदीय क्षेत्र में पटखनी देनेवाली तुलसी ने हार मानना स्वीकार नही किया और ना ही झुकी.वह हाईकोर्ट में उन नेताओं पर सीधे दीवानी मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दी जो इस खबर को प्रचार दे रहे थे.
फैसला आगया है. हाईकोर्ट के माननीय जज ने पूरे प्रकरण की तफ्तीश कराया. गोवा सरकार, आबकारी विभाग, जमीन विभाग, लाइसेंस विभाग सबकी रिपोर्ट प्रस्तुत हो गयी. अदालत को सारे आरोप बेबुनियाद मिले. माननीय जज मिनी पुष्करणा ने कांग्रेस के तीन नेताओं पर कड़ी टिप्पड़ी दिया है और कहा है कि प्रथम दृष्ट्या वे लोग बेबुनियाद किसी का चरित्र हनन करने की कोशिश करते लगे हैं. स्मृति ईरानी और उनके परिवार की सार्वजनिक छवि बिगाड़ने की कोशिश किया गया. अदालत ने तुरंत आदेश से ट्विटर से उन सारी खबरों को निकालने का आदेश जारी किया जो श्रीमती ईरानी की इमेज को नुकसान देने के लिए इस खबर के रूप में थे. आलेखों से मालूम पड़ा कि स्मृति और उनकी बेटी के नाम ऐसा कोई रेस्तरां या बार नहीं है जो आरोप लगाया जा रहा था. आबकारी विभाग की नोटिस भी किसी एंथोनी डिगामा के नाम थी जिसकी जमीन थी.
सचमुच फिल्म इंडस्ट्री में तो ऐसी गॉसिप खबरें बनती रही हैं अब राजनीति के गलियारे भी अछूते नहीं रह गए हैं.