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पिछले कुछ वर्षों के अंतराल में समाज काफी कुछ बदला है. एक तरफ ‘नारी उत्थान’ और ‘बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओ’ की ढेर सारी बातें की जा रही हैं,वहीं आज भी महिलाएं शोषण का शिकार हो रही हैं. कुछ दिन पहले ही मंुबई के उपनगरीय रेलवे स्टेशन पर एक महिला के ट्रेन से गिरने पर उसकी मदद के लिए उठे हाथ न के बराबर थे, मगर उसका वीडियो बनाने के लिए हजारों पुरूष आतुर थे? क्या यही नारी सम्मान है? क्या इसी तरह नारी का उत्थान होगा? इस पर हर इंसान को गंभीरता से विचार करना चाहिए. इसी तरह के समाज में 76 वर्षों से आयुर्वैदिक दवाओं के माध्यम से देश को स्वस्थ व तंदुरुस्त रखने के लिए प्रयास रत ‘‘चरक फार्मा’ ने अपने मोहा केे माध्यम से एक नई पहल की है.
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2022 में ‘मोहाः स्टैंड ऑन योर फीट’ पहल की शुरूआत की गयी थी. और तीन उभरती महिला उद्यमियों/वह महिलाएं जिन्होंने अभी-अभी अपने स्टार्ट अप बिजनेस की शुरूआत कर समाज व नारी जगत में बदलाव लाने, महिलाओं की मदद के लिए कदम उठाया है, उनके बीच से तीन महिला उद्यमियों को उनके काम के आधार पर चुनकर उन्हें मदद या पुरस्कार के तौर पर नगद धनराशि देने का काम शुरू किया है. इस रकम से विजेता महिला उद्यमियों को अपने व्यापार को आगे बढाने में मदद मिलेगी. गत वर्ष दो लाख, पांच लाख और दस लाख रूपए की रकम थी. पर बढ़ती महंगायी और अन्य बातों पर गौर करते हुए इस बार यह रकम पांच लाख, दस लाख और पंद्रह लाख रूपए कर दी गयी. विजेताओं का चयन ‘चरक फार्मा’ कंपनी या ‘मोहा’. खुद नहीं करती है, बल्कि तीन सदस्यीय ज्यूरी पैनल करता हैै. इसके लिए महिला उद्यमियों को स्वयं प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए आवेदन करना होता है.
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सरकार ने ‘स्टार्ट अप’ के तहत काफी सुविधाएं देने की वकालत की है. फिर भी महिला उद्यमियों को विशिष्ट कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. हालाँकि, मोहा स्टैंड ऑन योर फीट इनिशिएटिव ने इन दृढ़ निश्चयी महिलाओं को अटूट सहायता प्रदान करके खेल को बदल दिया है. इसका ध्यान प्रारंभिक पूंजी, मार्गदर्शन के साथ-साथ रुपये की राशि के उदार दान पर है. 15 लाख यह पहल विशेष रूप से महिला उद्यमियों को उनके लक्ष्य हासिल करने में सहायता करने और उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त करने में मदद करने के लिए डिजाइन की गई है.
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इस बार दो नवंबर 2023 को दस चयनित महिला उद्यमियों को देश के कोने कोने से मंुबई बुलाया गया था और जे के बेंक्वेट में इन्होने जूरी के समक्ष अपने काम के बारे में बताया. इस बार ज्यूरी में अभिनेत्री दिव्या दत्ता, ‘द चारकोल प्रोजेक्ट’ की संस्थापक व रितिक रोशन की पूर्व पत्नी सुजैन खान और 2020 की ‘फेमिना मिस इंडिया विजेता’ मान्या सिंह थी. इस ज्यूरी के समक्ष मंुबई की रेबेका परेरा व झलक शाह, राजस्थान की फतेमा दलाल, दिल्ली की गायत्री वरूण, नागपुर की श्रुतिका बागुल, कानपुर से दिक्षा पांडे, कोयंबटूर से प्रेमा सी, अहमदाबाद से मेहेर मिनोचा और हिमाचल प्रदेश से जस्मिन कौर ने अपने काम को लेकर प्रजेंटेशन दिया. चेन्नई की शक्तिवर्शिनी आ नहीं पायी थी, तो उन्होंने वीडियो के माध्यम से अपना प्रजंेटेशन दिया. हर महिला उद्यमी ने अपने व्यापार की विकास योजना के साथ-साथ अपनी व्यावसायिक अवधारणा और खुद के द्वारा किए जाने वाले सकारात्मक प्रभाव का वर्णन किया. उसी आधार पर ज्यूरी के सदस्यों ने उनका मूल्यांकन कर सुनिश्चित किया कि किस सबसे योग्य और आशाजनक उद्यमों को वह सहायता मिले जिसकी उन्हें आवश्यकता है.
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उसके बाद ज्यूरी की सदस्यों ने गंभीर मंथन करने के बाद 15 लाख रूपए के पहले विजेता के तौर पर कानपुर की दिक्षा पांडे, दस लाख रूपए के दूूसरे विजेता के तौर पर गायत्री वरूण व पांच लाख रूपए के तीसरे विजेता के तौर पर जस्मिन कौर को चुना. मगर ज्यूरी को लगा कि मंुबई की झलक शाह को भी प्रोत्साहन के तौर पर कुछ दिया जाना चाहिए. इस पर ज्यूरी ने ‘चरक फार्मा’ के निदेशक डाॅक्टर राम एच शर्मा से विचार विमर्श किया. तब इस साल से एक लाख रूपए के प्रोत्साहन पुरस्कार की शुरूआत की गयी, जो कि मंुबई की झलक शाह को मिला. बाद में दिव्या दत्ता, सुजैन खान और मान्या सिंह ने विजेताओं के नाम की घोषणा करते हुए उन्हें अपने हाथ से पुरस्कार वितरित किए.
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चरक फार्मा के निदेशक डॉ. राम एच. श्रॉफ ने कहा- ‘‘76 वर्षों से आयुर्वेद में अग्रणी ‘चरक फार्मा’ ने भारत में व्यवसाय की गतिशीलता देखी है. पुरुष प्रधान उद्यमी युग में हम बदलाव की लहर बनना चाहते हैं और महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए सशक्त बनाना चाहते हैं. इसी सोच के साथ हम ‘मोहा’का दूसरा संस्करण ‘‘स्टैंड ऑन योर फीट 2023’’ लेकर आए. इस बार दिव्या दत्ता, सुजैन खान और मान्या सिंह की ज्यूरी ने विजेताओं का चयन उनके काम को देखकर किया. हमने ज्यूरी की सलाह का आदर करते हुए एक लाख रूपए का अतिरिक्त पुरस्कार उभरती हुई महिला उद्यमी को दी. हम जहां प्रत्येक महिला को सपने देखने और उन्हें साकार करने में मदद करने के लिए प्रेरित करते हैं, वहीं उन्हें उनके पैरो पर खड़ा करने में अपनी तरफ से कुछ मदद करते हैं. हमारा मकसद हर नारी का उत्थान करने में योगदान देना ही है. फिर चाहे वह नगद पुरस्कार राशि देना हो या दवाएं देना हो.’’
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सशक्तिकरण मोहा की पहल का मूल है. महिला उद्यमियों को परामर्श और प्रारंभिक पूंजी की सहायता से, यह उन्हें अपने विचारों को वास्तविकता में बदलने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करता है. यह पहल प्रत्येक महिला की विशाल क्षमता को पहचानती है. मार्गदर्शन के लिए वित्तीय और सहायता प्रदान करके, यह महिलाओं के लिए सफल होने का द्वार खोलता है.
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पुरस्कृत महिला उद्यमियों का चयन और उन्हें पुरस्कार वितरित करने के बाद दिव्या दत्ता ने कहा- ‘‘ आज कल हम जिस माहौल में रह रहे हैं, उस माहौल में एक तरफ जब महिला सड़क या रेलवे प्लेटफार्म पर गिरती है तो लोग अपने मनोरंजन के लिए उसकी रील बनाकर चलते बनते हैं,कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आता. ऐसे माहौल में यदि कोई इंसान या कंपनी किसी की मदद लेने के लिए कदम आगे बढ़ाता है, तो उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है. ‘मोहा’ का धन्यवाद अदा करना चाहती हॅूं कि उसने इस तरह की पहल की है. किसी महिला को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना, उन्हें उनके व्यापार में आगे बढ़ने की दिशा में मदद करना उन्हें उनके पैरों पर खड़ा करना बहुत ही खूबसूरत पहल है. मुझे खुशी है कि मैं इस नेक काम में जज के रूप में मौजूद रही और हमारे निर्णय को मोहा व चरक के निदेशक डाॅ. राम एच श्राॅफ ने स्वीकार किया.’’
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जबकि दूसरी जज और 2020 की फेमिना मिस इंडिया विजेता मान्या सिंह ने कहा- ‘‘मैं यहां जज बनकर आयी, पर मेरा मूल मकसद किसी को उसके काम को लेकर जज करना नही था, बल्कि यह समझना रहा कि आखिर औरतें यह सब कैसे कर लेती हैं. अब आप देखिए, जो हमारी पहली विजेता हैं दीक्षा पांडे, वह उत्तर प्रदेश के एक गांव से आती हैं. उन्होंने अपने पैशन के बल पर अपने सपने को जिया और इस मुकाम तक पहुॅची हैं. तो मोहा ने भी सिर्फ बड़े शहरों से नही गांवों से भी लोगों को बुलाया और उनके सपनों का पंख देने का काम किया है. मेरा मानना है कि जब हम औरतों को आगे बढ़ाते हैं, तो हमारा देश भी आगे बढ़ता है.’’
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