सुशांत जिस मनोदशा से गुज़र रहे थे वो आईना बनकर आज सबकी सूरत दिखा रही है By Sulena Majumdar Arora 17 Jun 2020 | एडिट 17 Jun 2020 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर ★सुलेना मजुमदार अरोरा★ सुशांत सिंह राजपूत की आकस्मिक और असमय मृत्यु ने बॉलीवुड की दुनिया का वो सुनहरा मुखौटा सरका दिया है जिसके पीछे एक भयानक सच्चाई अचानक नग्न होती दिख रही है। पर्दे पर हँसते मुस्कुराते, एक्शन, नाच , गाना, कमेडी, वीरता दर्शाते यह कलाकार हकीकत के जीवन में कितने डरे हुए, मेंटली डिस्टर्बड और छोटी मछली vs बड़ी मछली वाले खेल में हमेशा निगले जाने के खौफ और प्रेशर तले डिप्रेशन की अतल गहराई में डूब जाते हैं। इस सच्चाई पर से पर्दा उठाने के लिए क्या इस तरह की बलि की ज़रूरत थी? यह पूछ रहें हैं वो हर इंसान जो या तो खुद इस प्रेशर को भोग रहे है या इन भुक्तभोग़ियों के अपने हैं। ऐसे में, इन दिनों सुशांत की थ्रोबैक 2016 की IIT-B लीडरशिप समिट में दी गई स्पीच दोबारा वायरल हो रहा है जिसके चलते बॉलीवुड युवाओं में बढ़ते मानसिक समस्याएं और फ़िल्म इंडस्ट्री में नेपोटिसम की टॉपिक गर्म है। वीडियो उस वक्त की है जब वे शैलेश जे मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, आई आई टी बॉम्बे के छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उस स्पीच में जिस तरह से वे अपने अंतरमन की दबी भावनाएं सबके सामने पर्त दर पर्त खोल रहे थे उससे साफ पता लगता था कि वे कितने संवेदनशील, भावनाशील, इंटेलीजेंट और अंतर्द्वंद्व से जूझते इंसान थे। स्पीच के शुरू में ही उन्होंने कहा कि घरवालों द्वारा हमेशा लाड प्यार दिए जाने से वे बाहरी दुनिया की कठोरता से अनजान थे, बचपन से ही बेहद शर्मीले और अंतर्मुखी होने के कारण वे घर से बाहर किसी से बातें करते हुए बेहद हिचकिचाते थे। लेकिन धीरे धीरे मन में कुछ बनने, आसमान छूने की तम्मनाओं ने अँगड़ाई ली, पढ़ाई में अव्वल आते रहे और फिर इंजीनियर तथा सिविल सर्विसेस एस्पिरेन्ट होने से लेकर अपने अंदर छुपे अभिनय प्रतिभा को पहचानकर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए उड़ान भरने की कहानी उन्होंने बताई। वे बीच बीच में अपनी कमजोरियों का खुलासा भी करते नहीं हिचके, अपने स्टेज फ्राईट से लेकर, इवेंट्स पर बोलते हुए घबराहट होने की बात कही, मन के अंतर्द्वंद्व की बातें भी साझा की, बार बार बोलते रहे, 'अगर मैं बात करते करते गड़बड़ा जाऊँ, अगर मेरी बातें बेतुकी, अर्थहीन लगे, अगर बोलते बोलते मुझे पैनिक अटैक आ जाये तो मुझे माफ़ कर देना।' सुशांत ने भौतिकवादी दुनिया को नकारते हुए सीधे शब्दों में कहा था कि बचपन से उनके मन में जो बीज इस समाज ने डाली थी कि दौलत और पहचान पाने का मतलब खुशियाँ पाना और सफल होना है, वो शुरू शुरू में उसने भी माना था पर आज वो सब से बड़ा झूठ निकला। हालांकि मिडल क्लास परिवार से होने के कारण पैसा उनके जीवन में, कदम कदम पर एक बड़ा अंतर जरूर ला रहा था। फिर उन्होंने बताया कि उनके परिवार के अनुसार इंजीनियर बनने और फिर सिविल सर्विसेस की परीक्षा पास करने से ही खुशियों के दरवाजे खुल जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, मन का खालीपन भरा नहीं। तब एहसास हुआ कि उनका मन तो परफोर्मिंग आर्ट्स में ज्यादा लगता है और इंजीनियरिंग की आधी परीक्षा छोड़ एक्टर बनने की चाह लिए वे मुंबई आ गए, लेकिन सिर्फ बड़े बड़े स्टार्स के पीछे खड़े बैकग्राउण्ड डांसर बनने के अलावा कोई और काम नहीं मिल गया। अब आगे बढ़ते रहने के लिए संघर्ष करने के अलावा कोई चारा नहीं था क्योंकि उनके कॉलेज के दोस्तों के अनुसार उन्होंने कॉलेज छोड़कर सब से बड़ी भूल की थी और उसकी तरह किसी इंजीनियरिंग स्टूडेंट को बर्बादी कि तरफ नही बढ़ना चाहिए, इस बात से सुशांत की इज़्ज़त दाँव पर लगी थी। वो जी जान लगाकर संघर्ष करने लगे और दो प्राइम टाइम टीवी श्रंखलाओं में काम किया और वहां से बॉलीवुड में स्टारडम पाने का सिलसिला जारी हो गया। लेकिन सुशांत ने साथ में यह भी कहा कि सफलता के बावजूद अब भी उन्हें लगता है कि कहीं कुछ मिसिंग है, उन्होंने कहा, ' इन सारे वर्षों में मैं बस इसी ऑब्सेशन में रहा कि अब आगे क्या होगा? मैं बस सतत भूत और भविष्य में झूलता रहा, और सचमुच एक्चुअल वर्त्तमान को जी नहीं पा रहा था लेकिन अब आखिर में, इतने समय के बाद मुझे सफलता का सही अर्थ मालूम पड़ा जो पैसा प्लस पहचान नहीं बल्कि 'वर्तमान प्लस एक्ज़ाइटमेंन्ट है।' सुशांत कहते रहे, 'आज पांच साल गुजर गए मुझे यहां आए, पैसा और शोहरत बहुत मिला फिर भी ये मुझे मेरी रेपुटेशन अभी तक दिला नहीं पाई। लेकिन यह जरूर है कि मैंने जितना सोचा भी नहीं था उससे कहीं ज्यादा मुझे मिला।' सुशांत ने स्पीच के अंत में एक घटना भी शेयर किया जब सफलता पाने के बाद उनके कॉलेज के एक प्रोफेसर ने उन्हें बुला कर अपने स्टूडेंट्स के साथ इंटरेक्शन अरेंज करने को कहा तो सुशांत ने बहुत नर्माई से उनसे पूछा था कि क्या उन्हें उनकी अधूरी रह गई डिग्री मिल सकती है?' सुशांत जिस मनोदशा से गुज़र रहे थे वो आज आईना बनकर आज सबके सामने सबकी सूरत दिखा रही है। हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article