कश्मीर की घाटियों से विश्व मंच तक संतूर को लाने वाले पंडित शिवकुमार शर्मा की विदाई से संगीत की दुनिया विरान

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कश्मीर की घाटियों से विश्व मंच तक संतूर को लाने वाले पंडित शिवकुमार शर्मा की विदाई से संगीत की दुनिया विरान

'-सुलेना मजुमदार अरोरा

मंगलवार सुबह वरिष्ठ मीडिया गुरु इंद्र मोहन पन्नू  जी ने मुझे बताया कि संतूर उस्ताद पंडित शिवकुमार शर्मा जी का सुबह हृदयाघात से निधन हो गया है और संगीत जगत में शोक का माहौल है। वे 84 वर्ष के थे। पंडित शिवकुमार शर्मा जी के सेक्रेटरी दिनेश के अनुसार आठ से साठे आठ बजे के बीच उनका निधन हुआ। वाकई जब संगीत का कोई तार टूट जाता है तो हर संगीत प्रेमी के लिए देर तक उस टूटन की झनकार मन को विकल करता है।

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कला की दुनिया के खालिस दिग्गज कलाकार अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, तबला उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, हरि प्रसाद चौरसिया, जावेद अख्तर, हरीहरन, जतिन ललित, रूप कुमार राठौर, इला अरुण, शबाना आज़मी पहुँचे पंडितजी के अंतिम दर्शन के लिए जहां स्व. पंडित शिवकुमार जी की पत्नी मनोरमा और  दोनों सुपुत्र राहुल और रोहित को उन्होंने धीरज बंधाया। पंडित जी के सम्मान में गार्ड ऑफ ऑनर गन सैलूट, देने के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को विले पार्ले के पवन हंस श्मशान भूमि में सम्पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अग्नि के सुपुर्द कर दिया गया।

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मुखाग्नि बेटे राहुल ने दी। पीछे रह गया संतूर उस्ताद पंडित शिवकुमार शर्मा द्वारा सर्जन किया हुआ संतूर वाद्य का एक विशाल धरोहर। संतूर जैसे फोक इंस्ट्रूमेंट को जम्मू कश्मीर की वादियों से विश्व मंच पर लाने वाले ये महान संतूर उस्ताद, बॉलीवुड इंडस्ट्री में भी शिव हरि द्वय (शिव कुमार शर्मा तथा बाँसुरी वादक हरि प्रसाद चौरसिया की जोड़ी बॉलीवुड में बेहद लोकप्रिय रही) के नाम से कितने ही सुपर हिट गीतों के संगीत दिए, मिसाल के तौर पर फिल्म सिलसिला, लम्हे, चाँदनी, डर।

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संतूर वाद्ययंत्र को विश्व के शीर्ष वाद्ययंत्रों में जगह दिलाने के अभूतपूर्व योगदान के लिए पंडित शिवकुमार शर्मा को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड (1986)  पद्मश्री (1991) तथा पद्मा विभूषण (2001) से सम्मानित किया गया। उन्हें बेस्ट हिन्दुस्तानी क्लासिकल एल्बम इंस्ट्रूमेंटल के लिए GIMA अवार्ड भी प्रदान किया गया। सुप्रसिद्ध साहित्यकार, लेखक, शायर जावेद अख्तर ने इस बारे में कहा, ' जब भी इस दुनिया से कोई दिग्गज हस्ती विदा लेते हैं तो कहा जाता है कि उनके जैसे फिर कोई नहीं होगा, वो जगह कोई नहीं भर सकता है, लेकिन शिव जी के लिए ये सिर्फ कहने वाली बात नहीं बल्कि एकदम सत्य है। जब कोई संगीतकार किसी वाद्य को इस तरह बजाना सीख जाता है जैसे दुनिया में कोई और उनकी तरह नहीं बजा सकता तो वो उस्ताद कहलाता है। शिव जी ने संतूर को छू लिया तो संतूर वाद्य यंत्र को विश्व में सम्मान मिला और धन्य हो गया ये वाद्य। आज से सौ या हज़ार वर्ष बाद भी जब संतूर की बात होगी तो शिव कुमार शर्मा का नाम लिए बिना वो बात अधूरी रहेगी। संतूर से शिवकुमार का वो रिश्ता है जो मॉडर्न साइंस का आइंस्टाइन से है।'

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तेरह जनवरी 1938 को जम्मू में जन्मे शिव कुमार शर्मा के पिता उमा दत्त शर्मा खुद एक तबला वादक और गायक थे, पंडित शिव जब पाँच साल के बच्चे थे तभी से उनके पिता, उन्हें संगीत की दुनिया में ले आए और कश्मीर में लोक वाद्य के रूप में जाने जाने वाले संतूर से उनका परिचय कराया। पिता के इच्छानुसार बालक शिव ने संतूर बजाना सीखा और तेरह वर्ष की उम्र में पहली बार मुंबई में अपनी परफॉर्मेंस प्रस्तुत की। धीरे धीरे वे संतूर में माहिर हो गए और उन्होंने संतूर को शास्त्रीय संगीत वाद्य का रूप दे दिया। उन्होंने मशहूर तबला प्लेयर ज़ाकिर हुसैन, मशहूर बाँसुरी वादन हरिप्रसाद चौरसिया और ब्रिज भूषण काबरा के साथ मिलकर ढेरों परफॉर्मेंस दी और कई एल्बम बनाएँ।

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शिवकुमार शर्मा ने,  वी शांताराम की फिल्म झनक झनक पायल बाजे में बैकग्राउंड म्यूजिक दिया। आगे चलकर उन्होंने कई सारी हिंदी फिल्मों में हरिप्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर हिंदी फिल्मों के म्यूजिक दिए। फिल्म गाईड के गीत 'मो से छल किए जाए' में एस डी बर्मन के जोर देने पर उन्होंने तबला भी बजाया। लेकिन उनका हृदय फिल्मी संगीत में कम और शास्त्रीय संगीत में ज्यादा लगता था। उनके बेटे राहुल को भी उन्होंने संतूर में पारंगत किया और उन्हें अपना शिष्य के रूप में चुना।  सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने भी अपने ब्लॉग में पंडित शिव कुमार शर्मा के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया और उनकी उपलब्धियों की बातें की।

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ईश्वर पंडित शिवकुमार शर्मा की आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार वालों को धीरज दें।

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