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एक वक्त था जब बॉलीवुड में महान नेताओं और क्रांतिकारियों पर फिल्में बनतीं थी। लेकिन शायद अब बॉलीवुड के डायरेक्टर्स के पास अच्छी कहानियां नहीं हैं, या फिर यूं कहिये कि इन महान लोगों कि ज़िन्दगियों में उन्हें अब कोई खास इंट्रेस्ट नहीं रहा है। क्योंकि अब बॉलीवुड में लगातार कई ऐसी फिल्में बन रही हैं जो अंडरवर्ल्ड डॉन रह चुके लोगों कि ज़िन्दगी पर आधारित हैं। पहले 'वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई' फिर रईस, डैडी अंडरवर्ल्ड पर राज करने वाली हसीना पार्कर पर फिल्म बनने जा रही है और उनके इस किरदार को बड़े परदे पर साकार कर रही हैं श्रद्धा कपूर।
चर्चा का विषय बनी 'हसीना पार्कर'
कुछ महीने पहले ही उनकी इस आने वाली फिल्म 'हसीना-द क्वीन ऑफ मुंबई' का टीजर रिलीज हुआ था। इसके बाद से ही लगातार हसीना पार्कर के नाम को लेकर चर्चा है. जाहिर है आप भी जानना चाहते होंगे कि हसीना पार्कर है कौन और आखिर उनकी जिंदगी पर ये फिल्म क्यों बनी है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको चलना होगा 80 के दशक की मुंबई में. ये वो वक्त था जब मुंबई के लिए हसीना पार्कर खौफ का दूसरा नाम बन गया था. ये एक ऐसा नाम था, जिससे मुंबई के नागपाडा एरिया का हर शख्स कांपता था.मोस्ट वांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम की बहन होने की वजह से हसीना को मुंबई के अपराध जगत में आपा के नाम से भी जाना जाता है. फिल्म 'हसीना-द क्वीन ऑफ मुंबई' की कहानी हसीना पार्कर के आम लड़की से चार बच्चों की मां और फिर नागपाड़ा की गॉडमदर और फिर माफिया क्वीन बनने तक मुंबई के चार दशकों का खाका खींचती है।
कौन थी हसीना पार्कर ?
हसीना पार्कर का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था. उसके पिता इब्राहिम कास्कर मुंबई पुलिस विभाग में हेड कॉन्स्टेबल थे और मां अमीना बी एक हाउसवाइफ थी. 10 भाई-बहनों में वो सातवें नंबर पर थी.1991 में अरुण गवली ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए दाऊद इब्राहिम के बहनोई यानी हसीना पार्कर के पति इस्माइल पार्कर को मार दिया था. इसका बदला लेने के लिए दाऊद ने जेजे हॉस्पिटल शूटआउट करवाया था. जे.जे.हॉस्पिटल शूटआउट का ये मामला मुंबई के गैंगलैंड के इतिहास का सबसे सेनसेशनल मुद्दा रहा है. 1993 के बम धमाकों के बाद हसीना के भाई-बहनों ने मुंबई छोड़ दिया और इसके बाद हसीना ने अपने भाई के बनाई हुई अपराध की दुनिया की कमान अपने हाथ में ले ली।
इसके बाद ही हसीना ने अपना घर बनाया मुंबई के नागपाड़ा इलाके की गॉर्डन हॉल नामक बिल्डिंग में. कहा जाता है कि हसीना को ये घर इतना पसंद आया था कि उसने सिर्फ घर का ताला तोड़कर उसमें रहना शुरू कर दिया था. किसी ने उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं की.हसीना का नाम झोपड़ पट्टियों के धंधे, फिल्मों के लिए एक्सटॉर्शन और विदेशों में रिलीज के राइट्स को लेकर मोलभाव करना, हवाला रैकेट और फिरौती जैसे जुर्मों के लिए मशहूर था. तीसरे नंबर का था उसका भाई दाऊद इब्राहिम. 80 के दशक में उसके भाई दाऊद इब्राहिम को अपराध सिंडिकेट करने वाली उसकी डी-कंपनी के लिए जाना जाने लगा था।
फिल्म में श्रद्धा बनीं हसीना पारकर
अब इस फिल्म के ज़रिये श्रद्धा कपूर अपने रियल लाइफ भाई सिद्धांत कपूर के साथ पूरी तरह तैयार हैं। लेकिन इस तरह कि फिल्म से हमारी युवा पीढ़ी क्या सीखेगी ये किसी ने नहीं सोचा। एक गैंगस्टर को हीरो बना के बॉलीवुड आखिर क्या दिखाना चाहता है।