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मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को आता है, कुछ अपवाद रहें है जब वह 15 जनवरी को आया है. मकर संक्रांति मनाने का मुख्य कारण सूर्य देव को धन्यवाद देना है. यह वह दिन है जब सूर्य कर्क रेखा की ओर उत्तर की ओर बढ़ता है और इस त्योहार के दिन, रात और दिन बराबर हो जाते हैं. मकर संक्रांति भी गर्म दिनों का स्वागत करती है क्योंकि यह शीतकालीन संक्रांति के अंत का प्रतीक है. यह माघ के नए महीने का पहला दिन भी है और लोग सूरज की किरणों में भीगने के लिए जल्दी उठते हैं क्योंकि ये विटामिन डी से भरपूर होती हैं. मराठी मुल्गी, ईशा कोप्पिकर इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि वह अपने घर में त्योहार कैसे लाती हैं.
वह कहती हैं, हम तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों या तिल-गुड़ के लड्डू का आदान-प्रदान करके मकर संक्रांति मनाते हैं. इसके साथ ही लोग पूरन पोली भी बनाते हैं जो शुद्ध घी के साथ गुड़ और बेसन से भरी एक चपटी रोटी होती है. यह सभी शरीर के लिए अच्छे होते हैं क्योंकि सर्दियों के दौरान शरीर को गर्म रखने के लिए और आवश्यक नमी प्रदान करने के लिए इसकी आवश्यकता होती है.
वह आगे बताती हैं कि उनके लिए इस त्योहार का क्या मतलब है, "हम इस दिन एक-दूसरे को शुभकामनाएं भी देते हैं और इस संकेत के साथ, की साल के बाकी दिनों में भी दोस्ती को जीवित रखने का प्रयास करते हैं. यहां तक कि अगर आपके पास कुछ मसले हैं, तो यह दिन है इन मीठे व्यवहारों का आदान-प्रदान करके उसे भूल जाने का और माफ कर देने का. एक कहावत है कि 'तिल गुल घ्या, गोड-गॉड बोला' जिसका अर्थ है "तील और गुड़ यानी के मीठा खाओ और मीठे तरीके से बोलो' क्योंकि इसकी मिठास सारी नकारात्मकता को और रिश्तों की खटास को दूर कर देगी."
RAKESH DAVE