'जीवन में कितना भी अंधकार हो, प्रकाश की चाह कभी ना छोड़ें' अमिताभ By Mayapuri Desk 18 Oct 2017 | एडिट 18 Oct 2017 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर दीपोत्सव के इस पावन पर्व पर मैं सारे पाठकों को हृदय से अभिवादन करते हुए दीपावली की ढेर सारी बधाइयां देता हूं। तमसो मा ज्योतिर्गमय के उच्छास् के साथ मैं सभी से नम्र निवेदन करता हूं कि वातावरण के प्रदूषण का ख्याल जरूर रखें जो हमारे ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। दीप जलाइए प्रकाश फैलाइए। अमावस्या की रात्रि में प्रकाश का यह उत्सव हमें कितना कुछ समझा जाता है। एक जगमगाता दीप भी अनंत दूर तक फैले अंधकार को खत्म करने की शक्ति रखता है। जीवन में कितना भी अंधकार हो, प्रकाश की चाह कभी न छोड़े। प्रार्थना, उत्साह , आशा, आनंद के साथ दीपक जलाते हुए दिवाली मनाइए। आज दीपावली का परिवेश भले ही बदल गया हो लेकिन मर्म तो वही है। बाजारवाद ने सब कुछ महंगा कर दिया होगा, लेकिन हमारे ह्रदय के उत्साह पर कोई असर नहीं पड़ा। हमारे जमाने में दीपावली पर अपने हाथों से द्वार पर मांडने मांडे जाते थे, आज उसकी जगह रंगोली ने ले ली है। पहले घर पर मिट्टी के दीपों में कड़वा तेल डाल कर दीए जलाए जाते थे, हमारे घर पर भी दीपावली से तीन दिन पहले से ही स्टोर रूम से माटी के दीपों को निकालकर धोया पोंछा जाता था, नई रूई की बत्तियां बनाई जाती थी (हम बच्चों को बत्तियाँ बनाने का काम सौंपा जाता था)। लाई, लावा, चीनी के हाथी घोड़े वाली बताशे ख़रीदे जाते थे। दीपावली के दिन, जब घर, आंगन, खिड़की दरवाजे में दीपों की कतार सज जाती तो लगता कि दीपावली हमारे ही आंगन में उतरी है। आज वही दीपक की जगह महंगी लाइटिंग ने ले ली है, जमाना बदल गया है। हमें भी बदलना पड़ता है। फिर भी मैं इको फ्रेंडली कंदीलों से घर सजाना पसंद करता हूँ। पहले भी घर पर दिवाली के तीन दिनों तक मेहमानों का आना जाना लगा रहता था, अब उसे दीपावली पार्टी का नाम दे दिया गया है। आज भी हमारे घर दीपावली पार्टी जरुर रखी जाती है जिसमें फिल्म इंडस्ट्री और गैर फिल्म इंडस्ट्री के मेरे सारे दोस्त आकर दीपावली का जश्न मनाते हैं। हमें इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। #Amitabh Bachchan #diwali हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article